9 लोगों की बचत के 34.68 लाख रुपए कहां गए?: पोस्ट ऑफिस के रिकॉर्ड में अकाउंट ही नहीं, पोस्टमास्टर के साइन की फॉरेंसिक जांच होगी – Pali (Marwar) News h3>
पाली के पोस्ट ऑफिस (डाकघर) में 2019 से 2024 तक 5 साल के लिए फिक्स डिपॉजिट रिसिप्ट (FDR) कराने वाले ग्राहकों के साथ फर्जीवाड़ा हो गया। अब तक 9 पीड़ित सामने आए हैं। इनकी बचत के 34 लाख 68 हजार रुपए कहां गए, पता नहीं। इनमें से 8 निवेशकों के साथ FDR संबंधित
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मामले में पाली मुख्य डाकघर अधीक्षक आरसी मीणा का कहना है- इनके अकाउंट ही रिकॉर्ड में नहीं हैं। मामले की जांच की जा रही है। ग्राहकों के पास डाकघर की जो पासबुक हैं, उन पर 2019 में डाकपाल (पोस्टमास्टर) के साइन हैं। पीड़ित ग्राहकों से पासबुक लेकर डाकपाल के साइन की फॉरेंसिक जांच कराई जा रही है।
सवाल यही है कि इन निवेशकों का लाखों रुपया गायब करने में किसका हाथ है? पाली में डाकघर प्रबंधन खुद हैरान है कि 2019 में यह गड़बड़ी किसने की। आरोपी का पता चलने के बाद ही उसके खिलाफ विभागीय और कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। सवाल यह भी है कि जब डाक विभाग में हर साल ऑडिट होता है तो यह मामला 5 साल तक उजागर क्यों नहीं हुआ?
निवेशक पूछ रहे हैं कि गड़बड़ी साबित होने के बाद भी क्या उनका पैसा ब्याज सहित मिल पाएगा? इनमें से अधिकतर ग्राहक गरीब और मध्यम निचले वर्ग से आते हैं। गड़बड़ी सामने आने के बाद पाली के मुख्य डाकघर में विभिन्न योजनाओं में निवेश करने वाले ग्राहक रोजाना डाकघर पहुंचकर अकाउंट और पैसे की जानकारी ले रहे हैं।
पासबुकों की जांच में जुटा डाकघर पीड़ितों की शिकायत के बाद पाली डाकघर अधीक्षक आरसी मीणा ने एक कमेटी गठित की है। यह कमेटी मामले की जांच में जुटी है। एक सप्ताह में कमेटी जांच पूरी करेगी। रिपोर्ट मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
सभी पासबुक पर डाकपाल के साइन हैं। इन सभी साइन के जांच की बात भी कही गई है ताकि पता चल सके कि साइन सही हैं या फर्जी हैं। 9 में से 8 मामले वर्ष 2019 के हैं। इनकी स्कीम की अवधि दिसंबर 2024 में पूरी हो गई। जब ग्राहक ब्याज सहित रुपए लेने पहुंचे तो मामला सामने आया।
इनमें भी अधिकतर मामले औद्योगिक एरिया स्थित उप डाकघर के हैं। उस समय जो इंचार्ज थे, वे रिटायर हो रहे हैं। इस मामले में उनकी क्या भूमिका है, इसकी भी जांच की जा रही है।
अब पीड़ितों के पास क्या कानूनी विकल्प ?
वरिष्ठ एडवोकेट गजेंद्र सिंह राजपुरोहित और विशिष्ट लोक अभियोजक लादूराम मेवाड़ा ने बताया कि पीड़ितों के पास कानूनी विकल्प हैं।
लोकपाल से शिकायत : पीड़ित भारतीय डाकघर लोकपाल में शिकायत दर्ज करा सकते हैं। प्रक्रिया निशुल्क है। 30 दिनों में कार्रवाई होती है।
उपभोक्ता अदालत : उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के तहत उपभोक्ता अदालत में केस किया जा सकता है। मुआवजे की भी मांग कर सकते हैं।
पुलिस में FIR कर सकते हैं : अगर गबन या धोखाधड़ी साबित होती है तो पीड़ित केस दर्ज करा सकते हैं।
लोकायुक्त से संपर्क : इस मामले में अगर उच्च स्तर पर भ्रष्टाचार की बात साबित होती है तो पीड़ित लोकायुक्त से भी संपर्क कर सकते हैं।
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