73 करोड़ की परियोजना में गड़बड़ी: सीडीओ को मिलीं खामियां, IIT कानपुर-रुड़की से होगी जांच; सांसद ने भी उठाए थे सवाल – Unnao News

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73 करोड़ की परियोजना में गड़बड़ी:  सीडीओ को मिलीं खामियां, IIT कानपुर-रुड़की से होगी जांच; सांसद ने भी उठाए थे सवाल – Unnao News

73 करोड़ की परियोजना में गड़बड़ी: सीडीओ को मिलीं खामियां, IIT कानपुर-रुड़की से होगी जांच; सांसद ने भी उठाए थे सवाल – Unnao News

उन्नाव12 मिनट पहले

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सीडीओ ने परियोजना का निरीक्षण किया।

उन्नाव में यूपीपीसीएल (उत्तर प्रदेश प्रोजेक्ट कॉर्पोरेशन लिमिटेड) द्वारा निर्माणाधीन 73 करोड़ की डलमऊ पंप परियोजना की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठे हैं। मुख्य विकास अधिकारी प्रेम प्रकाश मीणा ने 1 फरवरी को भगवंत नगर विधानसभा के ब्लॉक सुमेरपुर स्थित डौड़ियाखेड़ा में चल रही इस परियोजना का निरीक्षण किया।

निरीक्षण में परियोजना का सिविल वर्क, पंप्स, पाइपलाइन और पूरा हाइड्रोलिक सिस्टम मानकों के अनुरूप नहीं पाया गया। यह परियोजना उन्नाव के सैकड़ों गांवों के साथ-साथ रायबरेली के किसानों की सिंचाई के लिए महत्वपूर्ण है। इससे पहले जनपद के सांसद साक्षी महाराज ने भी इसकी गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए डीएम से शिकायत की थी।

डीएम गौरांग राठी के निर्देश पर गठित जांच समिति में सीडीओ और अन्य अधिकारियों को जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई। सीडीओ ने प्रथम दृष्टया इसे अधोमानक करार देते हुए आईआईटी कानपुर और रुड़की से तकनीकी परीक्षण कराने के आदेश दिए हैं।

सीडीओ ने परियोजना का निरीक्षण किया।

पहले भी उठते रहे हैं सवाल यूपीपीसीएल पिछले एक दशक से अरबों रुपये के विकास कार्य करवा चुकी है, लेकिन इसके कार्यों की गुणवत्ता पर लगातार सवाल उठते रहे हैं। सीडीओ ने एजेंसी से जिले में कराए जा रहे सभी कार्यों की सूची मांगी है। उन्होंने चेतावनी दी है कि गुणवत्ता में कमी पाए जाने पर संबंधित अधिकारियों और ठेकेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

इन दो कार्यों में मिली गड़बड़ियां 1. बी पंप कैनाल निर्माण में अनियमितता छह दिन पहले सीडीओ ने यूपीपीसीएल द्वारा कराए जा रहे बी पंप कैनाल के निर्माण कार्य में अनियमितता पकड़ी थी। निर्माण कार्य में इस्तेमाल की जा रही सामग्री गुणवत्ता मानकों के अनुरूप नहीं थी और कार्य में लापरवाही देखी गई थी। 2. देवमई गोशाला निर्माण में मानकों की अनदेखी इससे पहले देवमई गोशाला के निर्माण में भी मानकों की अनदेखी की गई थी। इस निर्माण कार्य में भी घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया था, जिससे गोशाला की दीवारों और छत की मजबूती पर सवाल खड़े हो गए थे।

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