दिल्ली हाई कोर्ट : देश की राजधानी दिल्ली को 500 नई मानक बसें दी जाएंगी

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नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी के सरकार को हाई कोर्ट ने दी बड़ी रहत, सोमवार हाई कोर्ट ने केजरीवाल सरकार को देश की राजधानी के लिए 500 स्टैंडर्ड फ्लोर बसें खरीदने की मंजूरी दे दी। चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन और जस्टिस वीके राव की बेंच ने अपने फैसले में साफ-साफ कहा है कि स्टैंडर्ड फ्लोर की जिन बसों को खरीदने का प्रस्ताव है उनमें दिव्यांग लोगों की सुविधा के लिए हायड्रोलिक लिफ्ट होनी चाहिए।

दिल्ली हाई कोर्ट ने दिव्यांगों की याचिका खारीच करते हुए लिया फैसला :-

आप को बता दे की बेंच ने यह फैसला एक दिव्यांग व्यक्ति द्वारा दी गई दो जनहित याचिकाएं खारिज करते हुए सुनाया। जिस दिव्यांग व्यक्ति ने यह याचिका दाखिल की थी उनका नाम निपुण मल्होत्रा है | इस याचिका में निपुण ने दिल्ली सरकार और डीटीसी के लो फ्लोर बसों की जगह स्टैंडर्ड फ्लोर बसें खरीदने के फैसले को चुनौती दी थी। हालांकि केजरीवाल सरकार और दिल्ली परिवहन निगम ने हाई कोर्ट को बताया कि सरकार द्वारा जिन स्टैंडर्ड फ्लोर बसों को खरीदा जा रहा है उनमें हाइड्रोलिक लिफ्ट लगाई जा सकती है। याचिकाकर्ता के वकील जय देहदरई ने बताया कि अब वह हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।

दिल्ली सरकार और डीटीसी ने किये दावे :-

दिल्ली सरकार और डीटीसी ने दावा किया था कि डीटीसी में 40 फीसदी बसों की कमी चल रही है इसी वजह से 10 अक्टूबर को यह कहते हुए हाई कोर्ट से 500 स्टैंडर्ड फ्लोर बसें खरीदने की इजाजत मांगी थी कि ये बसें ग्रामीण इलाकों के लिए हैं जहां की ज्यादातर सड़कें खराब हैं। कांग्रेस नेता अजय माकन की ओर से पेश एडवोकेट अमन पंवार के साथ साथ याचिकाकर्ता ने सरकार की इस दलील का विरोध किया था। एडवोकेट अमन पंवार ने दलील दी थी कि लो फ्लोर बसें ज्यादा एडवांस और सुरक्षित होती हैं। तो वही याचिकाकर्ता के वकील दहदराई ने यह भी दलील दी थी कि शहरी विकास मंत्रालय ने साल 2016 की गाइडलांइस के तहत साफ कहा है कि यहां हाइड्रोलिक लिफ्ट वाली स्टैंडर्ड फ्लोर बसों की बजाए रैंप वाली लो फ्लोर बसों की ज्यादा जरूरत है।

डीटीसी के द्वारा दी गई ये दलील:-

डीटीसी के द्वारा दी गई दलील के मुताबिक फिलहाल डीटीसी की कुल बसों में से 66 फीसदी बसें विकलांगों के अनुकूल है| उसने यह भी कहा है कि महंगी होने की वजह से फिलहाल लो फ्लोर बसें खरीदना संभव नहीं है। डीटीसी का कहना है की 500 स्टैंडर्ड फ्लोर बसें लेने के बाद भी विकलांगों के लिए अनुकूल बसों की संख्या आधे से ज्यादा होगी।