500 के मोबाइल धोखाधड़ी मामले में 18 साल से लड़ रहे केस, राष्ट्रपति तक पहुंचा था मामला | Case in court fighting for 18 years on mobile fraud of 500 /- | Patrika News

113
500 के मोबाइल धोखाधड़ी मामले में 18 साल से लड़ रहे केस, राष्ट्रपति तक पहुंचा था मामला | Case in court fighting for 18 years on mobile fraud of 500 /- | Patrika News


500 के मोबाइल धोखाधड़ी मामले में 18 साल से लड़ रहे केस, राष्ट्रपति तक पहुंचा था मामला | Case in court fighting for 18 years on mobile fraud of 500 /- | Patrika News

हालांकि फिलहाल उनका केस कानूनी दांव-पेच में फंसा है। केस खात्मा लगाने पर सत्यप्रकाश ने जिला न्यायालय से केस दर्ज कराने की मांग की। कोर्ट के निर्देश पर टीआइ ने छह माह बाद चालान पेश किया। कोर्ट ने सुनवाई कर एक साल में मामला खारिज कर दिया। फिर व्यापारी जिला जज की कोर्ट में पहुंचे, लेकिन मूल फाइल से दस्तावेज गायब हो गए। इसकी शिकायत 2012 में हाईकोर्ट से की। हाईकोर्ट ने जांच कराई तो जांचकर्ता जज ने लिखा कि शिकायतकर्ता शिकायत करने का आदी है। दस्तावेज गायब नहीं हुआ है।

शिकायतकर्ता पर अवमानना की कार्रवाई की जाए। इस रिपोर्ट पर हाईकोर्ट ने मामला खारिज कर दिया। तब व्यापारी 2013 में सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। हालांकि यहां उसे निराशा ही मिली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, मामला सार्वजनिक हित का नहीं है, इसलिए सुनवाई नहीं कर सकती।

यह है मामला

सत्यप्रकाश ने दुकान के लिए 500 रुपए का पोस्टपेड मोबाइल सुषमा टाइम्स से खरीदा था। ठीक ढंग से आवाज न आने से कुछ दिन बाद ही उन्होंने कंपनी को मोबाइल लौटा दिया। लेकिन कंपनी एजेंट ने मोबाइल सरेंडर नहीं किया, वह खुद इस्तेमाल करने लगा। उसने सत्यप्रकाश ने नाम पर मोबाइल गुम होने की शिकायत की और क्लेम भी ले लिया। सत्यप्रकाश के नाम से दूसरा मोबाइल भी निकलवा लिया। कंपनी एजेंट के इस फर्जीवाड़े की जानकारी उन्हें तब लगी, जब उन्हें 10 हजार का बिल आया।

इसलिए नहीं किया वकील

बस स्टैंट में चश्मे की दुकान चलाने वाले सत्यप्रकाश 7वीं पास हैं। उन्होंने बताया, एक जज की रसूखदारों के लिए की गई टिप्पणी पढ़ी थी। इसमें लिखा था कि रसूखदार कोर्ट से कैसे बच जाते हैं। पैसे वाले वकील और गवाह तक खरीद लेते हैं। यह बात उनके मन में बैठ गई और उन्होंने खुद ही केस की पैरवी की ठान ली।

राष्ट्रपति तक पहुंचाया मामला

● मोबाइल कंपनी और एजेंट पर पुलिस ने नहीं दर्ज किया केस, एसपी से आइजी तक व्यापारी ने की शिकायत।
● जब केस दर्ज नहीं हुआ तो राष्ट्रपति से गुहार लगाई। तब कलेक्टर ने उपभोक्ता फोरम जाने की सलाह दी।
● उपभोक्ता फोरम ने सुनवाई कर दिलाए 500 रुपए, पर हुए फ्रॉड पर सुनवाई नहीं की।
● 2006 में व्यापारी ने एजेंट पर कार्रवाई के लिए एसपी की मदद से कोलगवां थाना में धोखाधड़ी का केस दर्ज कराया।
● टीआइ ने आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया। कोर्ट में लगा दिया केस खात्मा।





Source link