40 सालों से चल रहे संघर्ष में बहुत कुछ पाया लेकिन पुनर्वास नहीं हो पाया : मेधा पाटकर – Barwani News

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40 सालों से चल रहे संघर्ष में बहुत कुछ पाया लेकिन पुनर्वास नहीं हो पाया : मेधा पाटकर – Barwani News

40 सालों से चल रहे संघर्ष में बहुत कुछ पाया लेकिन पुनर्वास नहीं हो पाया : मेधा पाटकर – Barwani News

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नर्मदा घाटी में नर्मदा और मानव बचाने के लिए पिछले करीब 40 सालों से चल रहे संघर्ष ने बहुत कुछ पाया है लेकिन आज भी जिन्होंने अपना घर, खेती छिनी जाने के बाद पुनर्वास नहीं पाया। उन्होंने काफी कुछ खोया है। ऐसे निरपराध लोगों में सम्मिलित है। गरीब श्रमिक, आदिवासी, किसान, मजदूर, दलित, कारीगर, कुछ व्यापारी भी इनकी कानूनी पात्रता होते हुए भी उन्हें पुनर्वास से बाहर छोड़ना बड़ा अन्याय और न्यायिक अवमानना है।

नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर ने प्रेसवार्ता लेकर यह बात कही। उन्होंने कहा टीनशेड में 2019 से या 2023 से पड़े रहे गरीब, 2023 में बैकवॉटर लेवल्स बदलने के अवैध खेल से डूबग्रस्त हुए मजदूर, किसान, मछुआरे सभी हैरानी भुगत रहे हैं। वैकल्पिक खेती की पात्रता होते हुए भी 2017 के सर्वोच्च अदालत के आदेश अनुसार 60 लाख रुपए भी नहीं मिले या मकान के लिए भूखंड नहीं मिला या भूखंड मिला तो भी गृहनिर्माण का अनुदान नहीं मिला तो जीने के आजीविका के अधिकार पर आघात भुगत रहे हैं। सवाल यही है कि नर्मदा घाटी के विस्थापितों को आधे रास्ते में छोड़ने का कारण क्या है।

सभी तहसीलों में पुनर्वास अधिकारियों के पद वर्षों से और शिकायत निवारण प्राधिकरण के 5 सदस्य न्यायाधीशों के पद सितंबर 2024 से रिक्त क्यों है। गुजरात राज्य के लिए कानूनी बंधनकारकता होते हुए भी गुजरात ने उर्वरित पुनर्वास तथा मप्र की डूबग्रस्त वन जमीन और शासकीय जमीन की भरपाई के करोड़ों रुपए के खर्च की राशि देने से क्यों इंकार किया है।

अगर राज्य शासन को भी राशि का आबंटन जरूरी था तो नर्मदा पर नए बांध, आदिवासियों के पेसा कानून के तहत जारी विरोध के बाद आगे बढ़ाने के लिए हजारों करोड़ रुपए राशि आबंटित की लेकिन सरदार सरोवर के उर्वरित कार्य के लिए नाम मात्र 150 करोड़ ही क्यों। इन तमाम सवालों का जवाब और सुलझाव के लिए जिला अधिकारी, आयुक्त, अपर मुख्य सचिव, एनवीडीए के उपाध्यक्ष के साथ संवाद होगा या फिर से सत्याग्रही संघर्ष पर उतरना पड़ेगा। इस दौरान भगवान सेप्टा, श्यामा मछुआरा, कमला यादव, देवीसिंह तोमर, गजानंद यादव सहित अन्य कार्यकर्ता उपस्थित थे।

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