40 वर्ग मीटर में बनी पुलिस चौकी ने रोकी 5 लाख लोगों की राह, लाइन पार के लोगों को लगाना पड़ रहा 10 Km का चक्कर h3>
गाजियाबाद: उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में 40 वर्ग मीटर में बनी एक पुलिस चौकी ने 5 लाख से ज्यादा लोगों की राह रोक रखी है। 110 करोड़ रुपये में धोबीघाट आरओबी का निर्माण हुआ है, लेकिन इसका फायदा लाइन पार के लोगों को नहीं मिल रहा। रेलवे से जिला प्रशासन ने पुलिस चौकी के लिए जमीन मांगी है। जब जमीन मिलेगी, तभी पुलिस चौकी शिफ्ट होगी। तब तक आरओबी खोलने का कोई प्लान नहीं है। डीएम राकेश कुमार सिंह ने कहा कि रेलवे को जमीन देने के लिए पत्र लिखा गया है। जमीन मिलने पर चौकी शिफ्ट कर आरओबी खोल दिया जाएगा।
लोगों का कहना है कि आरओबी बनने से पहले पुलिस चौकी को शिफ्ट कर दिया जाता तो ऐसी समस्या ही नहीं होती। प्रॉजेक्ट पूरा होने पर पुलिस चौकी के बारे में सोचना लापरवाही है। आरओबी बंद होने से अभी लोग 3 रास्ते का सहारा लेकर शहर में आते हैं। किसी को जाम से बचना है तो लालकुंआ होकर आता है। फिर तो 8 से 10 किमी का चक्कर लगाने की मजबूरी होती है। जाम से फंसते हुए गोशाला फाटक के रास्ते लोग आते हैं तो 3 से 4 किमी का चक्कर पड़ता है। जाम की वजह से समय और बर्बाद होता है। ऐसा ही कोटगांव फाटक से जो लोग आते हैं, उन्हें से 2 से 3 किमी का चक्कर पड़ता है। कोटगांव फाटक अक्सर बंद होने की वजह से पब्लिक का समय बर्बाद होता है।
रेलवे ने कहा, आरओबी पूरी तैयार
रेलवे अधिकारियों का कहना है कि धोबीघाट आरओबी खुलने के लिए पूरी तरह से तैयार है। जब तक पुलिस चौकी शिफ्ट नहीं होगी, तब तक इसे खोलाना संभव नहीं है। फिलहाल जिला प्रशासन की तरफ से रेलवे को 40 वर्ग मीटर जमीन दिए जाने के लिए पत्र लिखा गया है। पिछले दिनों नार्दर्न रेलवे के दिल्ली डिविजन के सीनियर डिविजनल इंजीनियर-2 अविनाश कुमार मौका मुआयना करने आए थे। डीएम राकेश कुमार सिंह मुलाकात करके भी गए थे। बताया जा रहा है कि जल्द ही रेलवे की तरफ से पुलिस चौकी के लिए 40 वर्ग मीटर जमीन दी जा सकती है। इसके बाद चौकी को शिफ्ट कर दिया जाएगा। फिर धोबीघाट आरओबी को पब्लिक के लिए खोल दिया जाएगा।
चौड़ीकरण का काम नहीं हो सका शुरू
धोबीघाट आरओबी का पूरा ट्रैफिक चौधरी मोड़ चौराहे से पहले ही उतरेगा। जीडीए ने जीटी रोड को 4 लेन से चौड़ा करते हुए 6 लेन का करने का प्लान तैयार किया है। साथ ही शहर के अंदर से अलग-अलग एरिया से आने वाले ट्रैफिक को मैनेज करने के लिए 3 यू-टर्न बनाने का प्लान है। लेकिन यह रोड अभी किसके पास है। इस पर ही फैसला नहीं हो पा रहा है। न तो एनएचएआई सड़क के डिवेलपमेंट पर कुछ कर रहा है और न ही जीडीए। जीडीए को भी एनएचएआई से एनओसी नहीं मिली है, जिससे वह कार्रवाई को आगे बढ़ा सके।
8 बार बढ़ चुकी है डेडलाइन
विजय नगर से शहर को जोड़ने के लिए 1982 में इस आरओबी की मांग शुरू हुई, लेकिन साल 2014 में जनरल (रिटायर्ड) वीके सिंह के सांसद बनने के बाद इस योजना पर काम शुरू हुआ। 26 जून 2016 में इसका शिलान्यास किया गया। 2 साल में इसे तैयार करना था, लेकिन 6 साल बाद भी इसका काम लटका है। अब तक 8 बार इसकी डेडलाइन को आगे बढ़ाया जा चुका है। कभी सेना की जमीन रोड़ा बनी तो कभी रेलवे के कर्मचारियों के क्वार्टर।
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रेलवे ने कहा, आरओबी पूरी तैयार
रेलवे अधिकारियों का कहना है कि धोबीघाट आरओबी खुलने के लिए पूरी तरह से तैयार है। जब तक पुलिस चौकी शिफ्ट नहीं होगी, तब तक इसे खोलाना संभव नहीं है। फिलहाल जिला प्रशासन की तरफ से रेलवे को 40 वर्ग मीटर जमीन दिए जाने के लिए पत्र लिखा गया है। पिछले दिनों नार्दर्न रेलवे के दिल्ली डिविजन के सीनियर डिविजनल इंजीनियर-2 अविनाश कुमार मौका मुआयना करने आए थे। डीएम राकेश कुमार सिंह मुलाकात करके भी गए थे। बताया जा रहा है कि जल्द ही रेलवे की तरफ से पुलिस चौकी के लिए 40 वर्ग मीटर जमीन दी जा सकती है। इसके बाद चौकी को शिफ्ट कर दिया जाएगा। फिर धोबीघाट आरओबी को पब्लिक के लिए खोल दिया जाएगा।
चौड़ीकरण का काम नहीं हो सका शुरू
धोबीघाट आरओबी का पूरा ट्रैफिक चौधरी मोड़ चौराहे से पहले ही उतरेगा। जीडीए ने जीटी रोड को 4 लेन से चौड़ा करते हुए 6 लेन का करने का प्लान तैयार किया है। साथ ही शहर के अंदर से अलग-अलग एरिया से आने वाले ट्रैफिक को मैनेज करने के लिए 3 यू-टर्न बनाने का प्लान है। लेकिन यह रोड अभी किसके पास है। इस पर ही फैसला नहीं हो पा रहा है। न तो एनएचएआई सड़क के डिवेलपमेंट पर कुछ कर रहा है और न ही जीडीए। जीडीए को भी एनएचएआई से एनओसी नहीं मिली है, जिससे वह कार्रवाई को आगे बढ़ा सके।
8 बार बढ़ चुकी है डेडलाइन
विजय नगर से शहर को जोड़ने के लिए 1982 में इस आरओबी की मांग शुरू हुई, लेकिन साल 2014 में जनरल (रिटायर्ड) वीके सिंह के सांसद बनने के बाद इस योजना पर काम शुरू हुआ। 26 जून 2016 में इसका शिलान्यास किया गया। 2 साल में इसे तैयार करना था, लेकिन 6 साल बाद भी इसका काम लटका है। अब तक 8 बार इसकी डेडलाइन को आगे बढ़ाया जा चुका है। कभी सेना की जमीन रोड़ा बनी तो कभी रेलवे के कर्मचारियों के क्वार्टर।