40 दिन-13 शिकार, 50 गांवों में बाघ की दहशत: VIP अरेंजमेंट में 30 लाख से ज्यादा खर्च; PAC तैनात फिर भी टाइगर का मूवमेंट जारी है – Lucknow News h3>
लखनऊ में 40 दिनों से बाघ की दहशत कामय है। वन विभाग की पूरी कवायद फेल नजर आ रही है।
लखनऊ के रहमानखेड़ा का जंगल और आसपास के 50 गांवों में 40 दिनों से बाघ के डर का साम्राज्य कायम है। वन विभाग की टीम VIP अरेंजमेंट के साथ अब तक 30 लाख रुपए से ज्यादा खर्च कर चुकी है। PAC भी तैनात की गई, लेकिन बाघ को पकड़ना तो दूर उसे ट्रैप भी नहीं किया ज
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वन विभाग की टीमों की कांबिंग, ड्रोन कैमरे, ट्रैप कैमरे, कैचिंग केज, CCTV और पटाखों से भी बाघ को डराया नहीं जा सका। कई एक्सपर्ट अधिकारी और दो एक्सपर्ट हथिनियों के आने से उम्मीद जगी थी, लेकिन हफ्ते भर की कवायद के बाद नतीजा शून्य ही है।
दैनिक NEWS4SOCIALने राजधानी के जंगल में बाघ के आने और अब तक उसे ट्रैप करने की कोशिशों को समझा। बारीकी से वन विभाग की प्लानिंग को डीकोड किया। इसमें कई खामियां और टीम कॉर्डिनेशन की कमी साफ नजर आई।
4 दिसंबर को सुबह 5 बजे लखनऊ CISH संस्थान परिसर में बाघ पहली बार ट्रैप कैमरे में दिखा था।
अब तक क्या-क्या हुआ? 5 प्वाइंट में समझें पूरा मामला
- भगाने की योजना बनी, लेकिन सफल नहीं: शुरुआत में बाघ को इलाके से भगाने की योजना बनाई गई। इसके लिए पटाखे चलाए गए और ड्रोन का इस्तेमाल किया गया, लेकिन इसका कोई ठोस नतीजा नहीं निकला।
- एक्सपर्ट की देरी से एंट्री: इस ऑपरेशन में विशेषज्ञों को बुलाने में प्रशासन ने देरी की। एक महीने बाद दुधवा टाइगर रिजर्व के विशेषज्ञ और डॉक्टरों को बुलाया गया, लेकिन बाघ को ट्रैंकुलाइज करने की कोशिशें अब तक नाकाम रहीं।
- हथिनियों से भी नहीं बन रही बात: सुलोचना और डायना नाम की हथिनियों से जंगल में कांबिंग कराई गई लेकिन कोई फायदा नहीं मिला। जबकि यह हथिनियां 5 सफल ऑपरेशन कर चुकी हैं।
- मचान और हाईटेक उपकरण: कई मचान बनाए गए और CCTV कैमरे लगाए गए। डॉक्टर और अधिकारी मचान पर एक घंटे से ज्यादा नहीं टिक सके। नीलगाय के शिकार जैसे सुराग मिलने के बावजूद टीम बाघ को ट्रैक करने में विफल रही।
- जन-जागरूकता और VIP व्यवस्था पर फोकस: इस ऑपरेशन में 30 लाख रुपए से ज्यादा खर्च हो चुके हैं। अधिकारियों के VIP निरीक्षण, जन-जागरूकता अभियान और मीडिया प्रबंधन पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है।
हर दूसरे-तीसरे दिन बाघ के नए फुट मार्क दिखते हैं। कांबिंग की जाती है, सफलता नहीं मिलती।
रोजाना 70 हजार से ज्यादा खर्च सूत्रों के मुताबिक, बाघ पकड़ने के ऑपरेशन पर अब तक 30 लाख रुपए खर्च किए जा चुके हैं। इसमें हथिनियों पर 5 से 7 लाख रुपए का खर्च भी शामिल है। प्रतिदिन करीब 70,000 रुपए खर्च किया जा रहा है। हालांकि, वन विभाग के अधिकारी खर्च के सटीक आंकड़े शेयर करने से बच रहे हैं।
मचान, पिंजरा और हथिनियां भी बेअसर बाघ को पकड़ने के लिए बनाई गई योजनाओं में मचान से लेकर ट्रैंकुलाइजर तक का इस्तेमाल किया गया। हालांकि, अधिकारी मचान पर एक घंटे से ज्यादा समय नहीं बिता पाए। इसके बाद हथिनियां ‘सुलोचना’ और ‘डायना’ को बुलाया गया, लेकिन उनकी भी मदद से बाघ को ट्रैक करने में कोई सफलता नहीं मिली।
बाघ को ट्रैप करने के लिए दो एक्सपर्ट हथिनियां भी लखनऊ पहुंची हैं।
50 गांवों में खौफ और PAC की तैनाती बाघ की दहशत के चलते 50 गांवों में PAC की तैनाती की गई है। गांवों में नियमित गश्त की जा रही है। स्थानीय निवासियों को सतर्क रहने की हिदायत दी जा रही है। हालांकि, ग्रामीणों का कहना है, कि PAC की मौजूदगी के बावजूद बाघ की मूवमेंट अब भी जारी है।
रहमानखेड़ा के जंगल में बड़े पेड़ों पर इस तरह से निगरानी के लिए मचान बने हैं।
अब आगे क्या रणनीति बन रही है वन विभाग की टीम अब बाघ को ट्रैक करने के लिए जोन-2 में नई रणनीति बना चुकी है। इस प्लानिंग के तहत जोन-2 में ट्रैप कैमरे और मचान लगाने पर काम किया जा रहा है। माना जा रहा है कि जोन-2 में वन विभाग की टीम को कामयाबी मिल सकती है।
पुलिस, वन विभाग और PAC की टीमें भी लगातार कांबिंग कर रही हैं। हालांकि सफलता नहीं मिली।
घरों में कैद हैं स्थानीय लोग लखनऊ में रहमानखेड़ा व आसपास के लोगों का कहना है कि प्रशासन की ओर से किए जा रहे प्रयास केवल औपचारिकता जैसे दिख रहे हैं। बाघ के डर से गांव वाले घरों में कैद हैं। मवेशियों को भी चारा-पानी मुश्किल से मिल रहा है। किसान अपने खेतों और बागों तक नहीं जा रहे हैं।
दूसरी तरफ वन विभाग का सारा फोकस बाघ से बचाव को लेकर जागरूकता फैलाने पर टिका है। वन विभाग गांवों में लोगों को अवेयर कर रही है। पर्चे बांटे जा रहे हैं। घरों से बाहर न निकलने की सलाह दी जा रही है। बच्चे डर की वजह से न खेल पा रहे हैं और न ही पढ़ाई कर पा रहे हैं।
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लखनऊ के रहमानखेड़ा में बाघ ने मचान के पास बंधे पड़वा (भैंस के बच्चे) का शिकार किया है। सोमवार सुबह मचान के पास पहुंची वन विभाग की टीम को हमला करने की जानकारी हुई। बाघ अब तक 10 शिकार कर चुका है। वहीं उलरा पुर गांव में बाघ के पैरों के नए निशान भी मिले हैं। अपर मुख्य वन संरक्षक रेणु सिंह ऑपरेशन का जायजा लेने के लिए रहमानखेड़ा का दौरा किया। रेणु सिंह ने बताया कि वन विभाग की 70 कर्मचारियों की टीम ऑपरेशन में लगी है। जल्द ही बाघ को पकड़ा जाएगा। एक सामान्य ड्रोन और थर्मल ड्रोन से निरीक्षण किया जा रहा है। पढ़ें पूरी खबर…