3700 किलो का महाघंटा देख हड़बड़ा गए DM साहब, मुस्लिम टेक्नीशियन के हुनर से बजने लगा टनाटन, देखें तस्वीरें h3>
विजित राव महाड़िक/ मंदसौर : एमपी के मंदसौर स्थित पशुपतिनाथ मंदिर की चर्चा हाल ही में विशाल शिवलिंग को लेकर थी। अब पशुपतिनाथ मंदिर में निर्माणाधीन सहस्त्रशिवलिंग मंदिर की चर्चा महाघंटा को लेकर हो रही है। इस मंदिर में महाघंटा स्थापित की गई है, जिसका वजन 3700 किलो है। महाघंटा की लंबाई 7.5 फीट है, जिसे बनाने में तीन साल लगे हैं। इस महाघंटा को अकेले बजाना भी संभव नहीं है। दो से तीन लोग लगते हैं तो महाघंटा को बजा पाते हैं। महाघंटा का निर्माण अहमदाबाद में हुआ है। रविवार को मंदिर में इसे स्थापित की गई।
तांबे और पीतल से बना है महाघंटा
महाघंटा का निर्माण तांबे और पीतल से हुआ है। मंदिर प्रबंधन के लोग दावा कर रहे हैं कि यह दुनिया का सबसे वजनी घंटा हो सकता है। उन लोगों के दावे के अनुसार देश का यह सबसे वजनी घंटा है। घंटे की धुन खासकर शहर में त्योहारों पर सुनाई देगी। मंदसौर के बाद दूसरे नंबर पर अभी दतिया के रतनगढ़ माताजी मंदिर में 1635 किलो का घंटा स्थापित है। पूरे जिले में यह महाघंटा आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
3700 किलो का है महाघंटा
दरअसल, पशुपतिनाथ मंदिर में इन दिनों सहस्त्रशिवलिंग मंदिर का निर्माण हो रहा है। इसी में प्रशासन ने शिवना पर बनी बड़ी पुलिया और सहस्त्र शिवलिंग मंदिर के बीच देश का सबसे वजनी 3700 किलो का महाघंटा भी स्थापित कर दिया है। रविवार को ठेकेदार ने क्रेन के माध्यम से महाघंटे को स्टैंड पर स्थापित करने का काम किया गया। इसके लिए करीब 3 मीटर गहरी नींव खोदकर स्टैंड बनाया गया है।
मुस्लिम तकनीशियन के हाथ में पूरी जिम्मेदारी
मंदिर के निर्माण में कई मुस्लिम तकनीशियन लगे हैं। लोहे की मजबूत एंगल पर इसे लटकाया गया है। इस कार्य का मुख्य जिम्मा एक मुस्लिम तकनीशियन नारू भाई के हाथ में है। घंटा स्थापित होने के बाद मौके का मुआयना करने मंदसौर विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया और कलेक्टर गौतम सिंह उपस्थित रहे। दोनों घंटा बजाकर भी देखा है। घंटा बजते ही लोगों ने ताली बजाकर अपनी खुशी का इजहार किया है।
महाघंटा के स्थापना की कहानी कलेक्टर की जुबानी
3700 KG Mahaghanta : कलेक्टर थे परेशान, मुस्लिम तकनीशियन ने 15 दिन में स्थापित कर दिया देश का सबसे वजनी महाघंटा
तीन साल में तैयार हुआ है महाघंटा
इस महाघंटा को तैयार करने में तीन साल साल लगे हैं। 13 महीने पहले यह बनकर मंदसौर आ गया था। इसके लिए कई सामाजिक संगठनों ने तीन साल तक यात्राएं निकाली हैं। यात्रा के दौरान महाघंटा के निर्माण के लिए लोगों से नकदी, पीतल और तांबा लिए गए हैं। इसके बाद इसका निर्माण करवाया गया है। इसकी लंबाई 7.5 फीट है।
‘मुझे लगा घंटा कभी बजेगा नहीं’
मंदसौर कलेक्टर गौतम सिंह ने कहा कि मैंने जब मंदसौर का चार्ज लिया था, तब मंदिर में इस महाघंटा को देखा था। इसकी साइज देखकर मुझे लगा था कि यह प्रदर्शनी की चीज होगी। इसे लगाना मुझे बहुत खतरनाक लग रहा है। इसके बाद यहां काम कर रहे तकनीशियन नारू भाई ने कहा कि आप मुझे कुछ जरूरी चीजें उपलब्ध करवा दें, मैं 15 दिन में इसे लगवा दूंगा। कलेक्टर ने इंजीनियर को इन्हें मदद करने का आदेश दिया। इसके बाद घंटा को स्थापित किया गया है।
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तांबे और पीतल से बना है महाघंटा
महाघंटा का निर्माण तांबे और पीतल से हुआ है। मंदिर प्रबंधन के लोग दावा कर रहे हैं कि यह दुनिया का सबसे वजनी घंटा हो सकता है। उन लोगों के दावे के अनुसार देश का यह सबसे वजनी घंटा है। घंटे की धुन खासकर शहर में त्योहारों पर सुनाई देगी। मंदसौर के बाद दूसरे नंबर पर अभी दतिया के रतनगढ़ माताजी मंदिर में 1635 किलो का घंटा स्थापित है। पूरे जिले में यह महाघंटा आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
3700 किलो का है महाघंटा
दरअसल, पशुपतिनाथ मंदिर में इन दिनों सहस्त्रशिवलिंग मंदिर का निर्माण हो रहा है। इसी में प्रशासन ने शिवना पर बनी बड़ी पुलिया और सहस्त्र शिवलिंग मंदिर के बीच देश का सबसे वजनी 3700 किलो का महाघंटा भी स्थापित कर दिया है। रविवार को ठेकेदार ने क्रेन के माध्यम से महाघंटे को स्टैंड पर स्थापित करने का काम किया गया। इसके लिए करीब 3 मीटर गहरी नींव खोदकर स्टैंड बनाया गया है।
मुस्लिम तकनीशियन के हाथ में पूरी जिम्मेदारी
मंदिर के निर्माण में कई मुस्लिम तकनीशियन लगे हैं। लोहे की मजबूत एंगल पर इसे लटकाया गया है। इस कार्य का मुख्य जिम्मा एक मुस्लिम तकनीशियन नारू भाई के हाथ में है। घंटा स्थापित होने के बाद मौके का मुआयना करने मंदसौर विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया और कलेक्टर गौतम सिंह उपस्थित रहे। दोनों घंटा बजाकर भी देखा है। घंटा बजते ही लोगों ने ताली बजाकर अपनी खुशी का इजहार किया है।
महाघंटा के स्थापना की कहानी कलेक्टर की जुबानी
3700 KG Mahaghanta : कलेक्टर थे परेशान, मुस्लिम तकनीशियन ने 15 दिन में स्थापित कर दिया देश का सबसे वजनी महाघंटा
तीन साल में तैयार हुआ है महाघंटा
इस महाघंटा को तैयार करने में तीन साल साल लगे हैं। 13 महीने पहले यह बनकर मंदसौर आ गया था। इसके लिए कई सामाजिक संगठनों ने तीन साल तक यात्राएं निकाली हैं। यात्रा के दौरान महाघंटा के निर्माण के लिए लोगों से नकदी, पीतल और तांबा लिए गए हैं। इसके बाद इसका निर्माण करवाया गया है। इसकी लंबाई 7.5 फीट है।
‘मुझे लगा घंटा कभी बजेगा नहीं’
मंदसौर कलेक्टर गौतम सिंह ने कहा कि मैंने जब मंदसौर का चार्ज लिया था, तब मंदिर में इस महाघंटा को देखा था। इसकी साइज देखकर मुझे लगा था कि यह प्रदर्शनी की चीज होगी। इसे लगाना मुझे बहुत खतरनाक लग रहा है। इसके बाद यहां काम कर रहे तकनीशियन नारू भाई ने कहा कि आप मुझे कुछ जरूरी चीजें उपलब्ध करवा दें, मैं 15 दिन में इसे लगवा दूंगा। कलेक्टर ने इंजीनियर को इन्हें मदद करने का आदेश दिया। इसके बाद घंटा को स्थापित किया गया है।