31-40 साल के नौजवान बन रहे कोलन कैंसर का शिकार, ज्यादातर केस अडवांस्ड स्टेज में: स्टडी h3>
DSCI में ऑन्कोलॉजी की प्रमुख डॉ. प्रज्ञा शुक्ला हैं। उन्होंने हाल ही में इस स्टडी को बार्सिलोना में 2023 में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर पर यूरोपीय सोसायटी फॉर मेडिकल ऑन्कोलॉजी वर्ल्ड कांग्रेस में प्रस्तुत किया था। डॉ. प्रज्ञा ने कहा कि युवा आबादी में, अधिकांश रोगियों का डायग्नोसिस चरण III और IV में हुआ था – क्रमश: 44.96% और 21.70%। 50 वर्ष से अधिक आयु के और चरण III और IV में डायग्नोसिस किए गए लोगों का प्रतिशत क्रमशः 44.18% और 17.44% था।
कोलन कैंसर पर DSCI की स्टडी के नतीजे
स्टडी में और क्या-क्या पता चला
स्टडी के दौरान, डॉक्टरों ने पाया कि 46% को बाईं ओर कोलन कैंसर था जबकि 39.5% को दाईं ओर था और 13.9% में मलाशय का भी हिस्सा था। डॉक्टरों ने कहा, ”बाईं ओर कोलन कैंसर का खराब रोग का डायग्नोसिस है।’ परिवार में कोलोरेक्टल कार्सिनोमा का इतिहास 24% रोगियों में मौजूद था। 59% रोगियों में तीव्र एनीमिया और 68% रोगियों में भूख न लगना जैसे लक्षण देखे गए। इस स्टडी का उद्देश्य कोलन कैंसर के डायग्नोसिस के पैटर्न का मूल्यांकन करना था, जो आयु और लिंग के संबंध में है। यह स्टडी 2018 और 2019 के दौरान DSCI में पंजीकृत रोगियों पर की गई।
डॉ. शुक्ला ने कहा कि युवा आबादी में कोलन कैंसर के डायग्नोसिस में हालिया वृद्धि और मृत्यु दर की वजहें अभी नहीं पता। लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों जैसे कि मधुमेह, मोटापे के साथ-साथ पर्यावरणीय फैक्टर्स, माइक्रोबायोम फैक्टर्स, आणविक और आनुवंशिक परीक्षण के प्रभाव पर स्टडी करने की जरूरत है। इससे रिस्पांस और सर्वाइवल में सबसे ज्यादा फायदा मिलेगा।