24 साल बाद यूपी से गिरफ्तार हुआ फूलन देवी के अपहरण में शामिल डकैत छिद्दा, गांव जलाकर 12 लोगों को एक साथ मारी थी गोलियां | Dacoit Chhidda involved in the kidnapping of arrested Phoolan Devi | Patrika News h3>
जानकारी के अनुसार पुलिस ने डकैत छिद्दा सिंह को यूपी से गिरफ्तार किया है, उस पर 50 हजार रुपए का इनाम था, छिद्दा सिंह विक्रम मल्लाह के ठिकाने से किए गए फूलन देवी के अपहरण कांड में शामिल था, वह 20 साल की उम्र से लालराम के गिरोह में काम करने लगा, वर्तमान में उसकी उम्र 69 साल है और वह करीब 24 साल से फरार था, बताया जाता है कि वह अविवाहित है फिलहाल उसका स्वास्थ ठीक नहीं है, ऐसे में वह अपने घर गया था, जहां उसे गिरफ्तार कर लिया गया है।
सतना में रह रहा था डकैत
आपको बतादें कि डकैत छिद्दा सिंह लंबे समय से मध्यप्रदेश के सतना में रह रहा था, उसने अपना नाम भी बदलकर ब्रजमोहन दास रख लिया था, वह यहां एक आश्रम से जुड़कर महाराज बनकर रह रहा था, हैरानी की बात तो यह है कि वह 1998 में हुई पुलिस मुठभेड़ के समय से फरार था और साधु के रूप में यहां अपना जीवन काट रहा था।
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कागजों में मर गया था डकैत छिद्दा सिंह पुलिस जब डकैत छिद्दा सिंह को ढूंढने में जुटी थी, तभी उसके भाई ने षडयंत्र रचा और अपने भाई छिद्दा सिंह को मृत घोषित कर दिया, उसने छिद्दा सिंह की जमीन भी अपने नाम करवा ली थी, इस प्रकार उसे कागजों में मृत घोषित कर दिया था, लेकिन पुलिस को पता था कि वह मरा नहीं है, इस डकैत पर करीब दो दर्ज से अधिक प्रकरण चल रहे हैं, उसने साल 1984 में औरेया के अस्ता गांव में आग लगाकर 12 लोगों को एक साथ गोली मारी थी, इस प्रकार एक बड़े डकैत को पुलिस ने गिरफ्तार किया है, हालांकि अब वह खुद के पैरों पर भी ठीक से नहीं चल पाता है।
जानकारी के अनुसार पुलिस ने डकैत छिद्दा सिंह को यूपी से गिरफ्तार किया है, उस पर 50 हजार रुपए का इनाम था, छिद्दा सिंह विक्रम मल्लाह के ठिकाने से किए गए फूलन देवी के अपहरण कांड में शामिल था, वह 20 साल की उम्र से लालराम के गिरोह में काम करने लगा, वर्तमान में उसकी उम्र 69 साल है और वह करीब 24 साल से फरार था, बताया जाता है कि वह अविवाहित है फिलहाल उसका स्वास्थ ठीक नहीं है, ऐसे में वह अपने घर गया था, जहां उसे गिरफ्तार कर लिया गया है।
सतना में रह रहा था डकैत
आपको बतादें कि डकैत छिद्दा सिंह लंबे समय से मध्यप्रदेश के सतना में रह रहा था, उसने अपना नाम भी बदलकर ब्रजमोहन दास रख लिया था, वह यहां एक आश्रम से जुड़कर महाराज बनकर रह रहा था, हैरानी की बात तो यह है कि वह 1998 में हुई पुलिस मुठभेड़ के समय से फरार था और साधु के रूप में यहां अपना जीवन काट रहा था।
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कागजों में मर गया था डकैत छिद्दा सिंह पुलिस जब डकैत छिद्दा सिंह को ढूंढने में जुटी थी, तभी उसके भाई ने षडयंत्र रचा और अपने भाई छिद्दा सिंह को मृत घोषित कर दिया, उसने छिद्दा सिंह की जमीन भी अपने नाम करवा ली थी, इस प्रकार उसे कागजों में मृत घोषित कर दिया था, लेकिन पुलिस को पता था कि वह मरा नहीं है, इस डकैत पर करीब दो दर्ज से अधिक प्रकरण चल रहे हैं, उसने साल 1984 में औरेया के अस्ता गांव में आग लगाकर 12 लोगों को एक साथ गोली मारी थी, इस प्रकार एक बड़े डकैत को पुलिस ने गिरफ्तार किया है, हालांकि अब वह खुद के पैरों पर भी ठीक से नहीं चल पाता है।