20 साल से जोड़ों की सेवा को हर रविवार 70 से 110 किलोमीटर सफर कर आ रहे गुरुघर – Amritsar News h3>
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न आंधी की परवाह न बरसात का भय, कड़ाके की ठंड हो या गर्मी, वाहेगुरु के एक बुलावे पर दौड़े चले आते हैं श्री हरमंदर साहिब के जोड़ा घर की सेवा करने सेवादार। जी हां, श्री हरमंदर साहिब परिसर में स्थित गुरुद्वारा अटल राय साहिब से सटे फ्री जोड़ा घर में मोगा (110 किलोमीटर) निवासी मिस्त्री सुखदेव सिंह, फिरोजपुर (70 किलोमीटर) के कस्बा गुरु हरसहाय के राम सिंह, बेगोवाल के पलविंदर सिंह जैसे गुरसिख हर रविवार को सेवा और गुरुघर के सेवादारों की संगत करने पहुंचते हैं। अकसर बस से यहां पहुंचने वाले सुखदेव, राम सिंह और पलविंदर सिंह को न तो आंधी यहां पहुंचने से रोक पाती हैं और न गर्मी और सर्दी। इन्हें बुजुर्गों ने सेवा की ऐसी लगन लगाई कि 2 दशकों से जोड़ा घर में सेवा कर रहे हैं। 44 साल के किसान राम सिंह बताते हैं कि श्री हरमंदर साहिब में आकर सकून मिलता है। वह इसी स्कून को पाने के लिए 20 साल से हर रविवार सुबह 8 बजे से शाम 4 बजे तक जोड़ा घर में सेवा करने पहुंचते हैं। उनका बेटा शाहबाज सिंह भी साथ आता है।
उनका मानना है कि गुरुघर की संगत की सेवा से बड़ा कुछ भी नहीं। वह जूतों की संभाल के अलावा पॉलिश भी करते हैं। बस परमात्मा के समक्ष एक ही अरदास है कि वाहेगुरु उन्हें सदैव सेवा से जोड़े रखें, कभी भी उनकी सेवा की लगन खत्म न हो। उन्होंने बताया कि वह प्रत्येक रविवार सुबह 3.30 बजे बस से श्री हरमंदर साहिब के लिए गुरु हरसहाय से निकलते हैं। सारा दिन सेवा करते हैं। इसी तरह मोगा के सुखदेव सिंह बताते हैं कि उनकी आंखों की रोशनी लगभग खत्म हो गई थी। उन्होंने 2 दशकों से पहले जोड़ा घर में 8-8 घंटे सेवा करनी शुरू की थी। वाहेगुरु पर भरोसा इस कदर बना रहा कि कब उनकी आंखों की रोशनी तेज हुई और कब वह रोगमुक्त हो गए, पता ही नहीं चला। सेवादार पितपाल सिंह बताते हैं कि पिता गुरशरण सिंह श्री हरमंदर साहिब में सेवा करते थे। 12 साल की उम्र में पिता उन्हें भी अपने साथ लाते थे। पिता को सेवा करते देख वह भी सेवा के इस काम जुट गए। 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान भी पिता ने सेवा नहीं छोड़ी, जान की परवाह किए बिना वह श्री हरमंदर साहिब में सेवा करने पहुंच जाते थे। गुरुनगरी में ही मनियारी की दुकान करने वाले पिता 1983 में स्वर्ग सिधार गए थे लेकिन उनकी मौत के बाद भी प्रितपाल सिंह ने न तो वाहेगुरु का दामन छोड़ा और न ही सेवा। 5 माह पहले अमेरिका से डिपोर्ट किए गए जालंधर के कुहालां गांव के मंगल सिंह के पास तो रहने का कोई ठिकाना भी नहीं है।
माता-पिता की मौत के बाद से ही कुहालां में घर बिक चुका है। वाहेगुरु ही अब उनके पालनहार हैं, ऐसे में वह सुबह 5 बजे से ही श्री हरिमंदिर साहिब के इस जोड़ा घर में सेवा करने पहुंच जाते हैं तथा सारा दिन सेवा में जुटे रहने के बाद रात को श्री हरमंदर साहिब परिसर स्थित गुरुद्वारा मंजी साहिब दीवान हाल में सो जाते हैं। ऐसा नहीं है कि न्यूयार्क में भी वह अकेले थे, 60 साल के मंगल सिंह की पत्नी और बच्चे अभी भी अमेरिका में ही रह रहे हैं लेकिन एक मामूली सी गलती से उनका सब कुछ तबाह हो गया। पेशे से ड्राइवर मंगल सिंह 6 माह पहले तक न्यूयार्क में ड्राइविंग ही करते थे, 2 बेटियों व एक बेटे के पिता मंगल सिंह ने गलती से अपनी गाड़ी चलाने के लिए किसी और को दे दी थी जबकि लाइसेंस व रजिस्ट्रेशन इनके नाम पर थी। पुलिस ने न केवल उनकी गाड़ी का चलान काट दिया बल्कि गाड़ी भी जब्त कर ली तथा कुछ अन्य राजनीतिक कारणों से भी उन्हें अमेरिका से भारत डिपोर्ट कर दिया गया। मंगल सिंह का कहना है कि वाहेगुरु ही उनके पालनहार हैं।
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न आंधी की परवाह न बरसात का भय, कड़ाके की ठंड हो या गर्मी, वाहेगुरु के एक बुलावे पर दौड़े चले आते हैं श्री हरमंदर साहिब के जोड़ा घर की सेवा करने सेवादार। जी हां, श्री हरमंदर साहिब परिसर में स्थित गुरुद्वारा अटल राय साहिब से सटे फ्री जोड़ा घर में मोगा (110 किलोमीटर) निवासी मिस्त्री सुखदेव सिंह, फिरोजपुर (70 किलोमीटर) के कस्बा गुरु हरसहाय के राम सिंह, बेगोवाल के पलविंदर सिंह जैसे गुरसिख हर रविवार को सेवा और गुरुघर के सेवादारों की संगत करने पहुंचते हैं। अकसर बस से यहां पहुंचने वाले सुखदेव, राम सिंह और पलविंदर सिंह को न तो आंधी यहां पहुंचने से रोक पाती हैं और न गर्मी और सर्दी। इन्हें बुजुर्गों ने सेवा की ऐसी लगन लगाई कि 2 दशकों से जोड़ा घर में सेवा कर रहे हैं। 44 साल के किसान राम सिंह बताते हैं कि श्री हरमंदर साहिब में आकर सकून मिलता है। वह इसी स्कून को पाने के लिए 20 साल से हर रविवार सुबह 8 बजे से शाम 4 बजे तक जोड़ा घर में सेवा करने पहुंचते हैं। उनका बेटा शाहबाज सिंह भी साथ आता है।
उनका मानना है कि गुरुघर की संगत की सेवा से बड़ा कुछ भी नहीं। वह जूतों की संभाल के अलावा पॉलिश भी करते हैं। बस परमात्मा के समक्ष एक ही अरदास है कि वाहेगुरु उन्हें सदैव सेवा से जोड़े रखें, कभी भी उनकी सेवा की लगन खत्म न हो। उन्होंने बताया कि वह प्रत्येक रविवार सुबह 3.30 बजे बस से श्री हरमंदर साहिब के लिए गुरु हरसहाय से निकलते हैं। सारा दिन सेवा करते हैं। इसी तरह मोगा के सुखदेव सिंह बताते हैं कि उनकी आंखों की रोशनी लगभग खत्म हो गई थी। उन्होंने 2 दशकों से पहले जोड़ा घर में 8-8 घंटे सेवा करनी शुरू की थी। वाहेगुरु पर भरोसा इस कदर बना रहा कि कब उनकी आंखों की रोशनी तेज हुई और कब वह रोगमुक्त हो गए, पता ही नहीं चला। सेवादार पितपाल सिंह बताते हैं कि पिता गुरशरण सिंह श्री हरमंदर साहिब में सेवा करते थे। 12 साल की उम्र में पिता उन्हें भी अपने साथ लाते थे। पिता को सेवा करते देख वह भी सेवा के इस काम जुट गए। 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान भी पिता ने सेवा नहीं छोड़ी, जान की परवाह किए बिना वह श्री हरमंदर साहिब में सेवा करने पहुंच जाते थे। गुरुनगरी में ही मनियारी की दुकान करने वाले पिता 1983 में स्वर्ग सिधार गए थे लेकिन उनकी मौत के बाद भी प्रितपाल सिंह ने न तो वाहेगुरु का दामन छोड़ा और न ही सेवा। 5 माह पहले अमेरिका से डिपोर्ट किए गए जालंधर के कुहालां गांव के मंगल सिंह के पास तो रहने का कोई ठिकाना भी नहीं है।
माता-पिता की मौत के बाद से ही कुहालां में घर बिक चुका है। वाहेगुरु ही अब उनके पालनहार हैं, ऐसे में वह सुबह 5 बजे से ही श्री हरिमंदिर साहिब के इस जोड़ा घर में सेवा करने पहुंच जाते हैं तथा सारा दिन सेवा में जुटे रहने के बाद रात को श्री हरमंदर साहिब परिसर स्थित गुरुद्वारा मंजी साहिब दीवान हाल में सो जाते हैं। ऐसा नहीं है कि न्यूयार्क में भी वह अकेले थे, 60 साल के मंगल सिंह की पत्नी और बच्चे अभी भी अमेरिका में ही रह रहे हैं लेकिन एक मामूली सी गलती से उनका सब कुछ तबाह हो गया। पेशे से ड्राइवर मंगल सिंह 6 माह पहले तक न्यूयार्क में ड्राइविंग ही करते थे, 2 बेटियों व एक बेटे के पिता मंगल सिंह ने गलती से अपनी गाड़ी चलाने के लिए किसी और को दे दी थी जबकि लाइसेंस व रजिस्ट्रेशन इनके नाम पर थी। पुलिस ने न केवल उनकी गाड़ी का चलान काट दिया बल्कि गाड़ी भी जब्त कर ली तथा कुछ अन्य राजनीतिक कारणों से भी उन्हें अमेरिका से भारत डिपोर्ट कर दिया गया। मंगल सिंह का कहना है कि वाहेगुरु ही उनके पालनहार हैं।