1993 सीरियल ब्लास्ट केस के आखिरी गवाह के बयान दर्ज, जानें अयोध्या से लेकर जयपुर तक कैसी फैली थी दहशत

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1993 सीरियल ब्लास्ट केस के आखिरी गवाह के बयान दर्ज, जानें अयोध्या से लेकर जयपुर तक कैसी फैली थी दहशत

1993 सीरियल ब्लास्ट केस के आखिरी गवाह के बयान दर्ज, जानें अयोध्या से लेकर जयपुर तक कैसी फैली थी दहशत


अजमेर: देश के विभिन्न शहरों में 1993 में हुए सीरियल बम ब्लास्ट मामले में गुरुवार को अजमेर की टाडा कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान मास्टरमाइंड आतंकी अब्दुल करीम उर्फ टुंडा, इरफान अहमद, हम्मीदुद्दीन को कड़ी सुरक्षा के बीच अदालत में पेश किया गया। इस मामले में अदालत में जांच अधिकारी के बयान दर्ज किए गए हैं। उल्लेखनीय है कि अब्दुल करीम टुंडा के खिलाफ मुंबई, जयपुर, अयोध्या, लखनऊ, कानपुर और हरियाणा के रोहतक में बम ब्लास्ट और आतंकी साजिश के आरोप हैं। इसके खिलाफ देशभर में 22 मुकदमे थे। लेकिन अब कुल चार मुकदमें विचाराधीन है। पिछले दिनों टुंडा को रोहतक कोर्ट में गवाहों के अभाव में बरी कर दिया था।

अब तक 65 गवाहों के बयान हो चुके हैं दर्ज

मामले में आज आखिरी गवाह के बयान दर्ज किए गए। मामले के तत्कालीन जांच अधिकारी बीड़ी मीणा के कोर्ट में बयान दर्ज किए गए। इस मामले में लगभग 65 गवाहों के बयान दर्ज किए गए है। अब इस मामले 2 मार्च को मुजरिम बयान दर्ज किये जायेंगे। इसके बाद दोनों पक्ष में बहस होगी। वहीं आज बयान दर्ज के बाद सभी आरोपियों को कड़ी सुरक्षा के बीच जेल ले जाया गया।

2 मार्च को मुजरिम के होंगे बयान दर्ज

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इस मामले को लेकर एडवोकेट ने बताया कि 1993 बम ब्लास्ट में देश में विभिन्न ट्रेनों में बम ब्लास्ट हुए थे। इस मामले में 5 एफआईआर कोटा, लखनऊ, कानपुर और बड़ौदा सहित अलग-अलग जगह दर्ज हुई थी। इस मामले में अंतिम गवाह जो कि तत्कालीन जांच अधिकारी थे। बीड़ी मीणा के कोर्ट में बयान दर्ज किए गए। अब इस मामले 2 मार्च को मुजरिम बयान दर्ज किये जायेंगे, जिसके बाद दोनों पक्ष में बहस होगी।

2000 में टुंडा के बांग्लादेश में मारे जाने की आई थी खबर

2000-

मुंबई के डॉक्टर जलीस अंसारी, नांदेड के आजम गौरी और करीम टुंडा ने ‘तंजीम इस्लाम उर्फ मुसलमीन’ संगठन बनाकर बाबरी विध्वंस का बदला के लिए 1993 में साजिश रची थी। इस साजिश के दौरान पांच बड़े शहरों में ट्रेनों में बम धमाके किए थे। 1996 में दिल्ली पुलिस मुख्यालय के सामने बम धमाके का आरोप भी टुंडा पर है। 1996 में सुरक्षा एजेंसी इंटरपोल ने उसका रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया।साल 2000 में टुंडा के बांग्लादेश में मारे जाने की खबरें आईं, लेकिन 2005 में दिल्ली में पकड़े गए लश्कर के आतंकी अब्दुल रज्जाक मसूद ने टुंडा के जिंदा होने का खुलासा किया।

कौन हैं अब्दुल करीम टुंडा

कौन हैं अब्दुल करीम टुंडा

2001 में संसद भवन पर हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान से जिन 20 आतंकियों के प्रत्यर्पण की मांग की थी। इसमें टुंडा भी था। टुंडा पर करीब 33 क्रिमिनल केस हैं और करीब 1997-98 में करीब 40 बम धमाके कराने के आरोप हैं। लश्कर जैसे कुख्यात आतंकी गिरोह से जुड़े अब्दुल करीम का नाम टुंडा एक हादसे के बाद पड़ा। वर्ष 1985 में टुंडा टोंक जिले की एक मस्जिद में जिहाद की मीटिंग ले रहा था। इस दौरान वह पाइप गन चलाकर दिखा रहा था। तभी यह गन फट गई, जिसमें उसका हाथ उड़ गया। इसके कारण उसका नाम टुंडा पड़ गया।

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