1991 में जीतन मांझी को पिता ने हराया था, 33 साल बाद बेटे सर्जवजीत से मुकाबला; गया का चुनाव कितना दिलचस्प? h3>
लोकसभा चुनाव 2024 का बिगुल बज चुका है। मोक्षनगरी के रूप में प्रसिद्ध गया लोकसभा सीट का बिहार की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान है। राजनीतिक दलों और नेताओं के बनते-बिगड़ते समीकरण के बावजूद इस सीट पर कई वर्षों से मांझी प्रत्याशियों का ही दबदबा रहा है। 2024 के आम चुनाव में एनडीए के साथ गठबंधन के कारण यह सीट हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के खाते में आई है। गया में पहले चरण में चुनाव होने वाला है जिसके तहत 19 अप्रैल को मतदान होगा।
गया सीट से 1991, 2014 और 2019 में हार का स्वाद चखने वाले ‘हम’ के संरक्षक व पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी चौथी बार फिर भाग्य आजमाने के लिए मैदान में हैं। वहीं, राजद ने बोधगया के विधायक और पूर्व मंत्री कुमार सर्वजीत को चुनाव मैदान में उतारा है। गया सीट पर पांच बार भाजपा का कब्जा रहा है। जिन छह विधानसभा को मिलाकर गया लोकसभा क्षेत्र बना है, उनमें तीन पर एनडीए का और तीन पर महागठबंधन काबिज है। इस लिहाज से भी टक्कर जोरदार होने की प्रबल संभावना है।
यह भी दिलचस्प तथ्य है कि 33 साल पहले चुनाव मैदान में राजेश कुमार से जीतनराम मांझी का मुकाबला हुआ था। आज राजेश कुमार के पुत्र कुमार सर्वजीत पूर्व सीएम जीतनराम के सामने मजबूती से खड़े हैं। तब राजेश कुमार ने जीतनराम को पटखनी दी थी। इस बार का परिणाम 4 जून को आएगा। आम चुनाव के पहले चरण में 19 अप्रैल को मोक्षनगरी गया में वोटिंग होगी।
युवा जोश और राजनीति के माहिर खिलाड़ी में टक्कर राजद ने युवा नेता कुमार सर्वजीत की काबिलियत पर भरोसा जताकर उन्हें उम्मीदवार बनाया है। सर्वजीत बोधगया से राजद विधायक हैं। महागठबंधन सरकार में कृषि मंत्री थे। वहीं जीतनराम मांझी के पास राजनीति का लंबा अनुभव है। लोकसभा चुनाव में उन्हें भले ही हार मिली हो, लेकिन कई मौकों पर उन्होंने खुद की महत्ता साबित की है।
25 सालों से रहा है मांझी का कब्जा गया सीट पर पिछले 25 साल से ‘मांझी’ उम्मीदवारों का कब्जा रहा है। 1999 से अब तक तीन दलों भाजपा, राजद और जेडीयू के मांझी उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। 1999 में भाजपा के रामजी मांझी, 2004 में राजद के राजेश कुमार मांझी, 2009 व 2014 में भाजपा के हरि मांझी और 2019 में जदयू के विजय कुमार मांझी ने जीत हासिल की थी।
ईश्वर चौधरी सबसे अधिक तीन बार रहे सांसद गया संसदीय सीट से सबसे अधिक तीन बार ईश्वर चौधरी सांसद रहे हैं। उन्होंने 1971 में भारतीय जनसंघ के टिकट पर दिग्गज नेता जगजीवन राम के बेटे सुरेश कुमार को हराया था। चौधरी ने 1977 व 1989 में जनता दल के टिकट पर जीत हासिल की थी। जानकार बताते हैं 1989 में जनसंघ पृष्ठभूमि के सिर्फ दो नेता जीते थे। गुजरात से लालकृष्ण आडवाणी और दूसरे बिहार से ईश्वर चौधरी।
प्रचार के दौरान हुई थी ईश्वर चौधरी की हत्या 1991 में लोकसभा के मध्यावधि चुनाव में प्रचार के दौरान 15 मई 1991 कोंच थाना क्षेत्र में ईश्वर चौधरी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। वहीं 22 जनवरी 2005 को विधान सभा चुनाव प्रचार के दौरान डुमरिया के बिहुला कला गांव में पूर्व सांसद राजेश कुमार की हत्या कर दी गई थी। उस समय इसे नक्सली घटना माना गया था। वर्तमान में राजेश कुमार के बेटे राजद कोटे से बोधगया के विधायक कुमार सर्वजीत इस बार चुनाव मैदान में हैं।
कब कौन जीता
वर्ष प्रत्याशी पार्टी
1957 ब्रजेश्वर प्रसाद कांग्रेस
1962 ब्रजेश्वर प्रसाद कांग्रेस
1967 रामधनी दास कांग्रेस
1971 ईश्वर चौधरी भारतीय जनसंघ
1977 ईश्वर चौधरी जनता पार्टी
1980 रामस्वरुप राम कांग्रेस
1984 रामस्वरुप राम कांग्रेस
1989 ईश्वर चौधरी भाजपा
1991 राजेश कुमार जनता दल
1996 भगवती देवी जनता दल
1998 कृष्ण कुमार चौधरी भाजपा
1999 रामजी मांझी भाजपा
2004 राजेश कुमार मांझी राजद
2009 हरि मांझी भाजपा
2014 हरि मांझी भाजपा
2019 विजय मांझी जेडीयू
पिता की हत्या के बाद राजनीति में आए कुमार सर्वजीत
राजद प्रत्याशी कुमार सर्वजीत तेज तर्रार, मिलनसार और तेजी से कार्य करने के लिए जाने जाते हैं। सर्वजीत ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। पिता की हत्या के बाद 2009 के उप चुनाव में लोजपा के टिकट पर वे बोधगया के विधायक बने। 2015 और 2020 में उन्होंने बोधगया से चुनाव जीता। जेडीयू संग पिछली सरकार में सर्वजीत पहले पर्यटन और फिर बाद में कृषि मंत्री रहे।
मांझी को राजनीति की गहरी समझ
क्लर्क की नौकरी छोड़ 1980 में राजनीति में प्रवेश करने वाले 80 वर्षीय जीतनराम मांझी को राजनीति का बड़ा खिलाड़ी माना जाता है। यही कारण है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें सीएम का पद दिया था। सही बात के लिए अपनी पार्टी के विरोध में भी बातें कहना उनकी पहचान है। छोटी बातों में बड़े मुद्दों की पहचान रखने वाले मांझी ने 1980 के बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
छह विधानसभा ये हैं
● शेरघाटी
● बोधगया
● बाराचट्टी
● गया टाउन
● बेलागंज
● वजीरगंज
कुल मतदाता– 18,13,183
पुरुष मतदाता– 9,42,188
महिला मतदाता – 8,70,974
गया की विशेषताएं
● महाबोधि मंदिर बोधगया में स्थित है। इसे यूनेस्को ने विश्व धरोहर घोषित किया है
● पितरों की शांति के लिए पितृपक्ष मेला विश्व में प्रसिद्ध है। हर साल यहां 20 लाख से अधिक लोग पिंडदान के लिए आते हैं
● विष्णुपद मंदिर के दर्शन के लिए उमड़ते हैं श्रद्धालु, यहां भगवान विष्णु के चरण चिह्न हैं
● मां मंगलागौरी देश के 51 शक्ति पीठों में एक, इन्हें पालन पीठ के रूप में जाना जाता है
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लोकसभा चुनाव 2024 का बिगुल बज चुका है। मोक्षनगरी के रूप में प्रसिद्ध गया लोकसभा सीट का बिहार की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान है। राजनीतिक दलों और नेताओं के बनते-बिगड़ते समीकरण के बावजूद इस सीट पर कई वर्षों से मांझी प्रत्याशियों का ही दबदबा रहा है। 2024 के आम चुनाव में एनडीए के साथ गठबंधन के कारण यह सीट हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के खाते में आई है। गया में पहले चरण में चुनाव होने वाला है जिसके तहत 19 अप्रैल को मतदान होगा।
गया सीट से 1991, 2014 और 2019 में हार का स्वाद चखने वाले ‘हम’ के संरक्षक व पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी चौथी बार फिर भाग्य आजमाने के लिए मैदान में हैं। वहीं, राजद ने बोधगया के विधायक और पूर्व मंत्री कुमार सर्वजीत को चुनाव मैदान में उतारा है। गया सीट पर पांच बार भाजपा का कब्जा रहा है। जिन छह विधानसभा को मिलाकर गया लोकसभा क्षेत्र बना है, उनमें तीन पर एनडीए का और तीन पर महागठबंधन काबिज है। इस लिहाज से भी टक्कर जोरदार होने की प्रबल संभावना है।
यह भी दिलचस्प तथ्य है कि 33 साल पहले चुनाव मैदान में राजेश कुमार से जीतनराम मांझी का मुकाबला हुआ था। आज राजेश कुमार के पुत्र कुमार सर्वजीत पूर्व सीएम जीतनराम के सामने मजबूती से खड़े हैं। तब राजेश कुमार ने जीतनराम को पटखनी दी थी। इस बार का परिणाम 4 जून को आएगा। आम चुनाव के पहले चरण में 19 अप्रैल को मोक्षनगरी गया में वोटिंग होगी।
युवा जोश और राजनीति के माहिर खिलाड़ी में टक्कर राजद ने युवा नेता कुमार सर्वजीत की काबिलियत पर भरोसा जताकर उन्हें उम्मीदवार बनाया है। सर्वजीत बोधगया से राजद विधायक हैं। महागठबंधन सरकार में कृषि मंत्री थे। वहीं जीतनराम मांझी के पास राजनीति का लंबा अनुभव है। लोकसभा चुनाव में उन्हें भले ही हार मिली हो, लेकिन कई मौकों पर उन्होंने खुद की महत्ता साबित की है।
25 सालों से रहा है मांझी का कब्जा गया सीट पर पिछले 25 साल से ‘मांझी’ उम्मीदवारों का कब्जा रहा है। 1999 से अब तक तीन दलों भाजपा, राजद और जेडीयू के मांझी उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। 1999 में भाजपा के रामजी मांझी, 2004 में राजद के राजेश कुमार मांझी, 2009 व 2014 में भाजपा के हरि मांझी और 2019 में जदयू के विजय कुमार मांझी ने जीत हासिल की थी।
ईश्वर चौधरी सबसे अधिक तीन बार रहे सांसद गया संसदीय सीट से सबसे अधिक तीन बार ईश्वर चौधरी सांसद रहे हैं। उन्होंने 1971 में भारतीय जनसंघ के टिकट पर दिग्गज नेता जगजीवन राम के बेटे सुरेश कुमार को हराया था। चौधरी ने 1977 व 1989 में जनता दल के टिकट पर जीत हासिल की थी। जानकार बताते हैं 1989 में जनसंघ पृष्ठभूमि के सिर्फ दो नेता जीते थे। गुजरात से लालकृष्ण आडवाणी और दूसरे बिहार से ईश्वर चौधरी।
प्रचार के दौरान हुई थी ईश्वर चौधरी की हत्या 1991 में लोकसभा के मध्यावधि चुनाव में प्रचार के दौरान 15 मई 1991 कोंच थाना क्षेत्र में ईश्वर चौधरी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। वहीं 22 जनवरी 2005 को विधान सभा चुनाव प्रचार के दौरान डुमरिया के बिहुला कला गांव में पूर्व सांसद राजेश कुमार की हत्या कर दी गई थी। उस समय इसे नक्सली घटना माना गया था। वर्तमान में राजेश कुमार के बेटे राजद कोटे से बोधगया के विधायक कुमार सर्वजीत इस बार चुनाव मैदान में हैं।
कब कौन जीता
वर्ष प्रत्याशी पार्टी
1957 ब्रजेश्वर प्रसाद कांग्रेस
1962 ब्रजेश्वर प्रसाद कांग्रेस
1967 रामधनी दास कांग्रेस
1971 ईश्वर चौधरी भारतीय जनसंघ
1977 ईश्वर चौधरी जनता पार्टी
1980 रामस्वरुप राम कांग्रेस
1984 रामस्वरुप राम कांग्रेस
1989 ईश्वर चौधरी भाजपा
1991 राजेश कुमार जनता दल
1996 भगवती देवी जनता दल
1998 कृष्ण कुमार चौधरी भाजपा
1999 रामजी मांझी भाजपा
2004 राजेश कुमार मांझी राजद
2009 हरि मांझी भाजपा
2014 हरि मांझी भाजपा
2019 विजय मांझी जेडीयू
पिता की हत्या के बाद राजनीति में आए कुमार सर्वजीत
राजद प्रत्याशी कुमार सर्वजीत तेज तर्रार, मिलनसार और तेजी से कार्य करने के लिए जाने जाते हैं। सर्वजीत ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। पिता की हत्या के बाद 2009 के उप चुनाव में लोजपा के टिकट पर वे बोधगया के विधायक बने। 2015 और 2020 में उन्होंने बोधगया से चुनाव जीता। जेडीयू संग पिछली सरकार में सर्वजीत पहले पर्यटन और फिर बाद में कृषि मंत्री रहे।
मांझी को राजनीति की गहरी समझ
क्लर्क की नौकरी छोड़ 1980 में राजनीति में प्रवेश करने वाले 80 वर्षीय जीतनराम मांझी को राजनीति का बड़ा खिलाड़ी माना जाता है। यही कारण है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें सीएम का पद दिया था। सही बात के लिए अपनी पार्टी के विरोध में भी बातें कहना उनकी पहचान है। छोटी बातों में बड़े मुद्दों की पहचान रखने वाले मांझी ने 1980 के बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
छह विधानसभा ये हैं
● शेरघाटी
● बोधगया
● बाराचट्टी
● गया टाउन
● बेलागंज
● वजीरगंज
कुल मतदाता– 18,13,183
पुरुष मतदाता– 9,42,188
महिला मतदाता – 8,70,974
गया की विशेषताएं
● महाबोधि मंदिर बोधगया में स्थित है। इसे यूनेस्को ने विश्व धरोहर घोषित किया है
● पितरों की शांति के लिए पितृपक्ष मेला विश्व में प्रसिद्ध है। हर साल यहां 20 लाख से अधिक लोग पिंडदान के लिए आते हैं
● विष्णुपद मंदिर के दर्शन के लिए उमड़ते हैं श्रद्धालु, यहां भगवान विष्णु के चरण चिह्न हैं
● मां मंगलागौरी देश के 51 शक्ति पीठों में एक, इन्हें पालन पीठ के रूप में जाना जाता है