15 सौ में ऑरिजनल, 8 सौ में प्रोविजनल; बिहार के इस यूनिवर्सिटी में हर सेवा का रेट तय, दलाल करते हैं सौदा

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15 सौ में ऑरिजनल, 8 सौ में प्रोविजनल; बिहार के इस यूनिवर्सिटी में हर सेवा का रेट तय, दलाल करते हैं सौदा

15 सौ में ऑरिजनल, 8 सौ में प्रोविजनल; बिहार के इस यूनिवर्सिटी में हर सेवा का रेट तय, दलाल करते हैं सौदा

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बिहार के प्रतिष्ठित तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) के परीक्षा विभाग में हर दिन विद्यार्थी अपनी अलग-अलग समस्याओं को लेकर पहुंचते हैं। कोई रिजल्ट पेडिंग तो कोई ऑरिजिनल सर्टिफिकेट तो कोई उत्तर पुस्तिका की छायाप्रति समेत अन्य कार्य के लिए आ रहा है। इसमें काफी संख्या में दूरदराज के विद्यार्थी शामिल हैं। परेशान छात्र छात्राओं से विश्वविद्यालय में हावी हुए दलाल किस्म के लोग अवैध उगाही कर रहे हैं। ऑरिजनल, प्रोविजनल, माइग्रेशन सबका रेट तय कर रखा है। 

छात्र छात्राओं की मजबूरी का फायदा बाहरी दलाल उठा रहे हैं जो विद्यार्थियों से काम के नाम पर जमकर रुपये ठग रहे हैं। दलालों ने पेडिंग सुधार से लेकर सर्टिफिकेट तक का अलग-अलग रेट तय कर रखा है। दलालों के चंगुल में फंसे कई विद्यार्थियों से बातचीत करने पर जानकारी मिली कि सभी कार्य के लिए अलग-अलग रेट हैं। विद्यार्थियों के मुताबिक ऑरिजनल डिग्री के लिए 1000 से 1500 रुपये, प्रोविजनल सर्टिफिकेट के लिए 500 से 800 रुपये, माइग्रेशन सर्टिफिकेट के लिए 500 से 800 रुपये, परीक्षा देने के बाद अनुपस्थित किए जाने को क्लीयर कराने के लिए 1000 से 2000 रुपये, अंक पत्र के लिए 500 से 700 रुपये, उत्तर पुस्तिका फोटो कॉपी के लिए 500 से 800 रुपये के करीब तय किया है। मुंगेर के बरियारपुर निवासी छात्र ने बताया कि उन्हें मूल प्रमाण पत्र की काफी जरूरत थी। उन्होंने अप्रैल में ऑनलाइन आवेदन भी कर रखा था। जब वे फोटोकॉपी कराने के लिए विवि परिसर स्थित एक फोटो कॉपी स्टॉल पर पहुंचे तो उनसे एक युवक ने परेशान देखकर पूछा।

सर्टिफिकेट की जरूरत बताते ही उसने कहा कि वह काम करवा देगा, लेकिन चालान कटाने के बाद उसे अतिरिक्त 1500 रुपये देने होंगे। काफी मोलभाव करते हुए 900 रुपये पर बात बनी। युवक ने तीन दिन में सर्टिफिकेट उपलब्ध करा दिया। इसी तरह पेडिंग क्लियर कराने के लिए कई दिनों से भटक रहे कहलगांव के एक विद्यार्थी ने बताया कि उसका रिजल्ट पार्ट-3 में पेडिंग हो गया है। विवि आने पर परीक्षा विभाग के बाहर एक युवक ने उसे कहा कि वह काम करा देगा। उसने कहा था कि काम होने के बाद पैसा लेगा, लेकिन कुछ आवेदन परीक्षा विभाग से फारवर्ड कराने के बाद उसने 800 रुपये ले लिया। इसके बाद उसने फोन उठाना ही बंद कर दिया है। उसने कहा था कि 2000 में उसका रिजल्ट क्लियर हो जाएगा, लेकिन उसके साथ ठगी हो गई थी।

कहते हैं परीक्षा नियंत्रक  

विद्यार्थियों से अपील की जाती है कि वे किसी भी काम के लिए दलालों के चंगुल में न फंसें। जरूरी होने पर छात्र दरबार के साथ ही परीक्षा विभाग में भी आवेदन कर सकते हैं। यदि कोई रुपये की मांग करे तो सुबूत के साथ जानकारी दें। कार्रवाई होगी। – डॉ. आनंद कुमार झा परीक्षा नियंत्रक, टीएमबीयू

कुछ कर्मियों से रहती है दलालों की मिलीभगत

परीक्षा विभाग में बाहरी दलालों की सक्रियता कुछ कर्मियों की वजह से है। जो दलालों के कहे में आकर चंद रुपयों के लिए इस तरह के कृत्य में शामिल होते हैं। इस तरह की कई घटनाओं का ऑडियो-वीडियो कुछ दिन पूर्व जारी हुआ था। कैमरे में एक दलाल और कर्मी पर कार्रवाई भी हुई है।

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