14 दिन क्वारंटीन में रहेंगे भगवान जगन्नाथ, अमावस्या को होंगे स्वस्थ | rath yatra 2022: sick lord jagannath is quarantine | Patrika News h3>
शहर में मंगलवार को इसी पारंपरिक लीला के तहत विभिन्न मंदिरों में कार्यक्रम आयोजित किए गए। श्रद्धालुओं ने भगवान जगन्नाथ (lord jagannath) को स्नान कराया। बीमार होने के बाद भगवान 14 दिन क्वारंटीन रहेंगे। इस दौरान विभिन्न प्रकार के काढ़े, आयुर्वेद दवाएं देकर भगवान का इलाज किया जाएगा। 14 दिन अमावस्या को भगवान स्वस्थ होंगे, इसके बाद एक जुलाई को रथ यात्रा (rath yatra) पर निकलेंगे।
इस्कॉन भेल
इस्कॉन भेल (श्रीकृष्ण मंदिर-यादव सभा), बरखेड़ा में भगवान जगन्नाथ का स्नान यात्रा महोत्सव मनाया गया। चार दिन से चल रहा बोट फेस्टिवल का मंगलवार को समापन हुआ। इस्कॉन भेल के प्रमुख रसानंद दास एवं यादव सभा के अध्यक्ष राजेंद्र यादव ने बताया कि भगवान का विभिन्न द्रव्यों से स्नान कराया गया। इसमें शहर के लोगों ने भगवान को स्नान कराया। उन्हें तरह-तरह के देसी भारतीय काढ़े व औषधी देकर इलाज किया जाएगा।
ये है भगवान की ज्वर लीला
मान्यता है कि स्नान यात्रा महोत्सव के बाद भगवान जगन्नाथ बीमार हो जाते हैं। इस दौरान अमावस्या तक वे अस्वस्थ रहते हैं। मंदिर में भगवान को काढ़ा, विभिन्न प्रकार की जुड़ी बुटियां देकर इलाज किया जाता है। इसे भगवान की ‘ज्वर लीला’ कहा जाता है। इसी लीला के तहत मंदिरों में भगवान के बीमार होने की लीला की प्रस्तुति दी गई।
भगवान के विग्रहों का किया दूध-जल से अभिषेक
उज्जैन. इस्कॉन मंदिर में स्नान यात्रा का आयोजन मंगलवार को हुआ। इसके तहत भक्तों ने अपने हाथों से भगवान के विग्रहों को स्नान कराने का सौभाग्य प्राप्त किया। पीआरओ राघव पंडितदास ने बताया भक्त और भगवान के बीच कोई दूरी नहीं रही। लोगों ने अपने हाथों से स्नान कराने के अवसर लाभ लिया। इसके लिए किसी तरह का कोई शुल्क नहीं लिया गया। उन्होंने बताया कि सतयुग में परमेश्वर के विग्रह नहीं होते थे, बल्कि ध्यान के माध्यम से उन्हें प्राप्त किया जाता था। सतयुगी राजा महाराज इंद्रद्युम्न की भक्ति से भगवान काष्ठ के विग्रह के रूप में प्रकट हुए तो उनकी प्राण-प्रतिष्ठा से पूर्व उन्हें समस्त तीर्थों के जल से अभिषेक कराया गया था। उसी परम्परा को दोहराते हुए 14 जून को इस्कॉन मंदिर में स्नान यात्रा का आयोजन हुआ, जिसमें भगवान जगन्नाथ जी, सुभद्रा महारानी और बलदेव जी को भक्तों ने स्नान कराया।
जगन्नाथ कथा
सुबह 7.25 पर दर्शन आरती एवं गुरु पूजा के बाद इस्कॉन मंदिर इंदौर के अध्यक्ष महामन प्रभु ने जगन्नाथ कथा आरंभ की। पांडु विजय के चलते भगवान को झुलाते हुए स्नान वेदी पर लाया गया। स्नान अभिषेक के लिए तीर्थों के जल का संग्रहण किया गया और मंत्रों से आमजन ने भगवान पर जल अर्पण किया। इसके लिए ड्रेसकोड के रूप में महिलाओं के लिए साड़ी और पुरुषों के लिए धोती-कुर्ता रखा गया था।
शहर में मंगलवार को इसी पारंपरिक लीला के तहत विभिन्न मंदिरों में कार्यक्रम आयोजित किए गए। श्रद्धालुओं ने भगवान जगन्नाथ (lord jagannath) को स्नान कराया। बीमार होने के बाद भगवान 14 दिन क्वारंटीन रहेंगे। इस दौरान विभिन्न प्रकार के काढ़े, आयुर्वेद दवाएं देकर भगवान का इलाज किया जाएगा। 14 दिन अमावस्या को भगवान स्वस्थ होंगे, इसके बाद एक जुलाई को रथ यात्रा (rath yatra) पर निकलेंगे।
इस्कॉन भेल
इस्कॉन भेल (श्रीकृष्ण मंदिर-यादव सभा), बरखेड़ा में भगवान जगन्नाथ का स्नान यात्रा महोत्सव मनाया गया। चार दिन से चल रहा बोट फेस्टिवल का मंगलवार को समापन हुआ। इस्कॉन भेल के प्रमुख रसानंद दास एवं यादव सभा के अध्यक्ष राजेंद्र यादव ने बताया कि भगवान का विभिन्न द्रव्यों से स्नान कराया गया। इसमें शहर के लोगों ने भगवान को स्नान कराया। उन्हें तरह-तरह के देसी भारतीय काढ़े व औषधी देकर इलाज किया जाएगा।
ये है भगवान की ज्वर लीला
मान्यता है कि स्नान यात्रा महोत्सव के बाद भगवान जगन्नाथ बीमार हो जाते हैं। इस दौरान अमावस्या तक वे अस्वस्थ रहते हैं। मंदिर में भगवान को काढ़ा, विभिन्न प्रकार की जुड़ी बुटियां देकर इलाज किया जाता है। इसे भगवान की ‘ज्वर लीला’ कहा जाता है। इसी लीला के तहत मंदिरों में भगवान के बीमार होने की लीला की प्रस्तुति दी गई।
भगवान के विग्रहों का किया दूध-जल से अभिषेक
उज्जैन. इस्कॉन मंदिर में स्नान यात्रा का आयोजन मंगलवार को हुआ। इसके तहत भक्तों ने अपने हाथों से भगवान के विग्रहों को स्नान कराने का सौभाग्य प्राप्त किया। पीआरओ राघव पंडितदास ने बताया भक्त और भगवान के बीच कोई दूरी नहीं रही। लोगों ने अपने हाथों से स्नान कराने के अवसर लाभ लिया। इसके लिए किसी तरह का कोई शुल्क नहीं लिया गया। उन्होंने बताया कि सतयुग में परमेश्वर के विग्रह नहीं होते थे, बल्कि ध्यान के माध्यम से उन्हें प्राप्त किया जाता था। सतयुगी राजा महाराज इंद्रद्युम्न की भक्ति से भगवान काष्ठ के विग्रह के रूप में प्रकट हुए तो उनकी प्राण-प्रतिष्ठा से पूर्व उन्हें समस्त तीर्थों के जल से अभिषेक कराया गया था। उसी परम्परा को दोहराते हुए 14 जून को इस्कॉन मंदिर में स्नान यात्रा का आयोजन हुआ, जिसमें भगवान जगन्नाथ जी, सुभद्रा महारानी और बलदेव जी को भक्तों ने स्नान कराया।
जगन्नाथ कथा
सुबह 7.25 पर दर्शन आरती एवं गुरु पूजा के बाद इस्कॉन मंदिर इंदौर के अध्यक्ष महामन प्रभु ने जगन्नाथ कथा आरंभ की। पांडु विजय के चलते भगवान को झुलाते हुए स्नान वेदी पर लाया गया। स्नान अभिषेक के लिए तीर्थों के जल का संग्रहण किया गया और मंत्रों से आमजन ने भगवान पर जल अर्पण किया। इसके लिए ड्रेसकोड के रूप में महिलाओं के लिए साड़ी और पुरुषों के लिए धोती-कुर्ता रखा गया था।