12 महिलाओं ने यौन उत्पीड़न मामले में गुंदेचा ब्रदर्स के खिलाफ हलफनामा दायर किया, इनमें ज्यादातर विदेशी h3>
भोपाल : गुंदेचा ब्रदर्स के खिलाफ एक दर्जन महिलाओं ने एमपी हाईकोर्ट की जबलपुर पीठ के समझ आईसीसी की रिपोर्ट के समर्मथन में एक हस्तक्षेप आवेदन दायर किया है। हलफनामा दायर करने वाली महिलाओं में अमेरिका, स्वीडन, कनाडा, पैलैंड, स्पेन, ऑस्ट्रिया और जर्मनी से हैं। आंतरिक शिकायत समिति ने यौन उत्पीड़न मामले में गुंदेचा ब्रदर्स के खिलाफ की कई शिकायतों पर प्रतिकूल टिप्पणी की है।
यूनेस्को से मान्यता प्राप्त भोपाल स्थित ध्रुपद संस्थान में सितंबर 2020 में तूफान आ गया था। यहां की विदेशी छात्रा ने रामाकांत और अखिलेश गुंडेचा पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। आरोप सोशल मीडिया पोस्ट में ध्रुपद फैमिली यूरोप नाम एक समूह की तरफ से लगाए गए थे। साथ ही छात्रों को ईमेल भी किया गया था। इसमें दोनों गुरुओं पर वर्षों से कथित उत्पीड़न को उजागर किया गया था।
एम्सटर्डम की एक योग शिक्षिका ने पोस्ट डालते हुए कहा था कि वह किसी ऐसे व्यक्ति की ओर से ऐसा कर रही है जो गुमनाम रहना चाहता है। रामाकांत गुंदेचा का एक साल पहले निधन हो गया है। वहीं, पखावज की भूमिका निभाने वाले अखिलेश ने संस्थान से शिक्षक का पद छोड़ गिया है। संस्थान के अध्यक्ष उमाकांत गुंदेचा ने कहा कि उन्होंने आतंरिक जांच शुरू कर दी है। बाद में आरोपों की जांच के लिए एक आईसीसी (आंतरिक जांच समिति) का गठन किया गया था।
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आईसीसी ने अखिलेश के खिलाफ प्रतिकूल सिफारिशें पारित कीं। अन्य सिफारिशों के अलावा आईसीसी ने कहा कि ध्रपुद संस्थान अपने न्यासी बोर्ड का पुनर्गठन करे और इसमें गैर-पारिवारिक सदस्यों की संख्या अधिक हो। आईसीसी ने संस्थान पर दंड, अनुशासनात्मक कार्रवाई और क्षतिपूर्ति के उपायों को भी सिफारिश की। इसके बाद गुंडेचा बंधुओं ने आईसीसी की रिपोर्ट और सिफारिशों को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
अधिवक्ता ध्रुव शर्मा के माध्यम से अब 12 विदेशी महिलाओं ने आईए में अपना हलफनामा दिया है। वर्मा ने कहा कि पीड़ितों ने आईसीसी के फैसले का समर्थन करते हुए और आपराधिक कार्रवाइयों को उजागर करते हुए हाईकोर्ट के समक्ष 12 हस्तक्षेप आवेदन दायर किए हैं।
वहीं, हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने शनिवार को अखिलेश गुंदेचा की प्रतिक्रिया जानने के लिए संपर्क किया तो वह भोपाल के भारत भवन में संत रविदात समारोह में पखवाज खेलने के लिए तैयार हो रहे थे। उन्होंने कहा कि मामला हाईकोर्ट में लंबित है। हम नतीजे का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम ध्रुपद संगीत को ईमानदारी से बढ़ावा दे रहे हैं।
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इसके साथ ही गुंदेचा ब्रदर्स के वकीलों ने आईसीसी के फैसले में प्रक्रियात्मक अनियमितताओं की ओर इशारा किया है। वर्मा ने कहा कि पीड़ितों को मामले में पक्षकार नहीं बनाया गया है, इसलिए वे अपना अनुभव बताते हुए विस्तृत हलफनामे के साथ आगे आए हैं। वहीं, हाईकोर्ट में गुंदेचा बंधुओं का केस देख रहे वकील मनोज शर्मा से हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने संपर्क किया तो उन्होंने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
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यूनेस्को से मान्यता प्राप्त भोपाल स्थित ध्रुपद संस्थान में सितंबर 2020 में तूफान आ गया था। यहां की विदेशी छात्रा ने रामाकांत और अखिलेश गुंडेचा पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। आरोप सोशल मीडिया पोस्ट में ध्रुपद फैमिली यूरोप नाम एक समूह की तरफ से लगाए गए थे। साथ ही छात्रों को ईमेल भी किया गया था। इसमें दोनों गुरुओं पर वर्षों से कथित उत्पीड़न को उजागर किया गया था।
एम्सटर्डम की एक योग शिक्षिका ने पोस्ट डालते हुए कहा था कि वह किसी ऐसे व्यक्ति की ओर से ऐसा कर रही है जो गुमनाम रहना चाहता है। रामाकांत गुंदेचा का एक साल पहले निधन हो गया है। वहीं, पखावज की भूमिका निभाने वाले अखिलेश ने संस्थान से शिक्षक का पद छोड़ गिया है। संस्थान के अध्यक्ष उमाकांत गुंदेचा ने कहा कि उन्होंने आतंरिक जांच शुरू कर दी है। बाद में आरोपों की जांच के लिए एक आईसीसी (आंतरिक जांच समिति) का गठन किया गया था।
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अधिवक्ता ध्रुव शर्मा के माध्यम से अब 12 विदेशी महिलाओं ने आईए में अपना हलफनामा दिया है। वर्मा ने कहा कि पीड़ितों ने आईसीसी के फैसले का समर्थन करते हुए और आपराधिक कार्रवाइयों को उजागर करते हुए हाईकोर्ट के समक्ष 12 हस्तक्षेप आवेदन दायर किए हैं।
वहीं, हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने शनिवार को अखिलेश गुंदेचा की प्रतिक्रिया जानने के लिए संपर्क किया तो वह भोपाल के भारत भवन में संत रविदात समारोह में पखवाज खेलने के लिए तैयार हो रहे थे। उन्होंने कहा कि मामला हाईकोर्ट में लंबित है। हम नतीजे का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम ध्रुपद संगीत को ईमानदारी से बढ़ावा दे रहे हैं।
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