12 करोड़ की साइबर ठगी का खुलासा: पुलिस ने बैंक के उप शाखा प्रबंधक और पूर्व कर्मचारी को किया गिरफ्तार, मास्टरमाइंड अमन कलाल की तलाश में पुलिस – Banswara News

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12 करोड़ की साइबर ठगी का खुलासा:  पुलिस ने बैंक के उप शाखा प्रबंधक और पूर्व कर्मचारी को किया गिरफ्तार, मास्टरमाइंड अमन कलाल की तलाश में पुलिस – Banswara News

12 करोड़ की साइबर ठगी का खुलासा: पुलिस ने बैंक के उप शाखा प्रबंधक और पूर्व कर्मचारी को किया गिरफ्तार, मास्टरमाइंड अमन कलाल की तलाश में पुलिस – Banswara News

साइबर ठगी के आरोप में गिरफ्तार मैगनेश और दिव्यांशु सिंह।

साइबर थाना पुलिस ने 12.8 करोड़ रुपए की ऑनलाइन साइबर ठगी के संगठित गिरोह का पर्दाफाश करते हुए यस बैंक बांसवाड़ा के उप शाखा प्रबंधक मेगनेश जैन और बैंक के पूर्व कर्मचारी दिव्यांशु सिंह को गिरफ्तार किया है। पूरे घोटाले का मास्टरमाइंड परतापुर निवासी अमन क

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ठगी की रकम में से मोटा कमीशन देकर दोनों को साथ मिलाया। साइबर ठगों ने विभिन्न राज्यों के लोगों से ऑनलाइन डराने-धमकाने, झूठे निवेश, टेलीग्राम चैनलों के जरिए कमाई का झांसा देकर ठगी की। ये लोग पीड़ितों से रकम लेकर उसे बांसवाड़ा स्थित यस बैंक में पहले से खुलवाए गए निष्क्रिय खातों में डलवाते थे। इसके बाद इन खातों से फर्जी चेक और हस्ताक्षरों के जरिये नकद विड्रॉल कर लेते थे। ठगी का ज्यादातर पैसा पहले अमन के निजी खाते में आता था, जहां से खाताधारकों के अलग-अलग खातों में ट्रांसफर किया जाता था। फिलहाल मुख्य आरोपी अमन फरार है। परतापुर में अमन को वर्जिश के नाम से भी जानते हैं। घर बीज भंडार की दुकान है। वह ग्रेजुएट पर है। कुछ समय पहले पढ़ाई के लिए अहमदाबाद भी गया था।

ठगी की रकम में से मोटा कमीशन देकर दोनों को साथ मिलाया। साइबर ठगों ने विभिन्न राज्यों के लोगों से ऑनलाइन डराने-धमकाने, झूठे निवेश, टेलीग्राम चैनलों के जरिए कमाई का झांसा देकर ठगी की। ये लोग पीड़ितों से रकम लेकर उसे बांसवाड़ा स्थित यस बैंक में पहले से खुलवाए गए निष्क्रिय खातों में डलवाते थे। इसके बाद इन खातों से फर्जी चेक और हस्ताक्षरों के जरिये नकद विड्रॉल कर लेते थे। ठगी का ज्यादातर पैसा पहले अमन के निजी खाते में आता था, जहां से खाताधारकों के अलग-अलग खातों में ट्रांसफर किया जाता था। फिलहाल मुख्य आरोपी अमन फरार है। परतापुर में अमन को वर्जिश के नाम से भी जानते हैं। घर बीज भंडार की दुकान है। वह ग्रेजुएट पर है। कुछ समय पहले पढ़ाई के लिए अहमदाबाद भी गया था।

जांच में सामने आया कि वर्तमान उप शाखा प्रबंधक मेगनेश जैन की मिलीभगत से फ्रीज किए बैंक खातों को बिना उच्च अनुमति के अनफ्रीज कर ठगी की रकम चेक से निकाल ली। ये रकम बाद में हवाला चैनल के जरिये दुबई भेजी गई। बैंक से इन खातों में आने वाले रुपयों को हर बार 5 से 6 व्यक्ति ही लेने आते थे। खास बात यह है कि कभी भी इन खातों से एक साथ 10 लाख रुपए से ज्यादा का ट्रांजेक्शन नहीं किया, ताकि ऑडिट न हो और कोई संदेह न हो। इन व्यक्तियों के हवाला से जुड़े होने के इनपुट मिले हैं। कैश दुबई भेजने की आशंका इसलिए ज्यादा है, क्योंकि अमन और उसकी पत्नी पिछले महीने दुबई भी गए थे। ऐसे में साइबर ठगी के असल तार दुबई से जुड़े होने की भी आशंका है।

कॉल करके धमकाते, फर्जी खातों में रुपए ट्रांसफर कराते

बैंक खाता धारकों से पूछताछ में सामने आया है कि साइबर ठग पहले इन्हें ड्रग्स, मनी लॉन्ड्रिंग, मानव तस्करी में लिप्त होना बताकर गिरफ्तारी की धमकी देकर पैसे वसूलते। इसी प्रकार शेयर और क्रिप्टो ट्रेडिंग में बड़ा फायदा दिलाने का झांसा, नौकरी और पार्टटाइम जॉब के नाम पर फर्जी वेबसाइट बनाकर रकम लेना, डिजिटल अरेस्ट के नाम पर क्यूआर कोड स्कैन कराकर रुपए ट्रांसफर कराना, फर्जी टेलीग्राम ग्रुप के जरिए दुगनी रकम दिलाने का लालच देकर झांसे में लेते थे। खुलासा करने वाली टीम में साइबर थाना प्रभारी सीआई देवीलाल मीणा, एएसआई नटवरलाल, चंद्रवीरसिंह, अशोक कुमार, हैड कांस्टेबल जयप्रभा, कांस्टेबल चंद्रवीरसिंह, प्रभुलाल, अरविंद, मंजुला, समुंदर, अंकित, देवेंद्र, हर्षित व फिरदौस शामिल हैं।

डीएसपी गोपीचंद मीणा ने बताया कि डडूका के संदेश शाह और उनके भाई तनेश शाह ने थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। जिसकी जांच में इस पूरे मामले का खुलासा हुआ। बैंक का पूर्व कर्मचारी आमजा का दिव्यांशु सिंह, जो वर्ष 2022 में बैंक का अस्थाई कर्मचारी था। उसने जान-पहचान और विश्वास का लाभ उठाकर अपने परिचितों को टारगेट पूरा करने का हवाला देकर उनके बैंक खाते खुलवाए। बाद में दिव्यांशु ने काम छोड़ दिया। पहले से बैंक खाते होने और नए खाते में ज्यादा लेन-देन नहीं होने पर जब खाता धारकों ने खाता बंद करने के लिए कहा। इस पर दिव्यांशु ने खाता बंद करने के बहाने चेकबुक और एटीएम खुद ने रख लिए, लेकिन दिव्यांशु ने खाते बंद नहीं किए और इनका इस्तेमाल परतापुर के अमन के साथ मिलकर साइबर ठगी के रुपयों को जमा कराने में किया। दिव्यांशु के पास ही इन खाता धारकों की चेकबुक भी थी, इसलिए वहीं फर्जी दस्तखत कर सेल्फ चेक लगा देता। चेक क्लीयरेंस में कोई अड़चन नहीं आए, इसलिए इन्होंने बैंक के उप शाखा प्रबंधक को मेगनेश को मिलाकर करोड़ों रुपए विड्रॉल किए।

11 लोगों के खातों पर कई राज्यों में साइबर ठगी के मामले दर्ज

साइबर थान पुलिस ने भचड़िया के बालकृष्ण डोडियार के बैंक खाते के खिलाफ 1, डड़का की शीतल बेन कलाल के बैंक खाते के खिलाफ 3, तनेश शाह के 3, आमजा के कौशल पर 8, चौपासाग के राहुल पाटीदार पर 3, आमना की रेखा कुंवर पर 6, शिखा आमरजा की रेखा कुंबर पर शिका शिवानी सोलंकी पर 2, डडूका के संदेश शाह पर 3 और शहर की सिंधी कॉलोनी के संतोष कुमार शर्मा के बैंक खाते के खिलाफ 2 शिकायतें दर्ज हैं। अब तक इन 11 खाताधारकों के बैंक खातों के खिलाफ देश के कर्नाटक, केरल, गोवा, तमीलनाडू, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, बिहार, तेलंगाना, हरियाणा और गुजरात के लोगों के साथ साइबर धोखाधड़ी की 44 शिकायतें दर्ज हुई हैं।

3 बिंदुओं पर हो रही जांच

खाता धारकों की भूमिकाः जिन 11 व्यक्तियों के खाते इस्तेमाल किए, क्या उनकी सहमति थी? तीन से चार खातेदार आरोपी दिव्यांशु के रिश्तेदार भी हैं।

कैश दुबई क्यों भेजाः अगर सारा रुपया आसानी से विड्रॉल हो गया तो फिर इसे दुबई क्यों भेजा गया ?

गिरोह में कितने सदस्यः गिरोह डेढ़ साल से सक्रिय होने की आशंका है। गिरोह में स्थानीय स्तर पर और कितने बदमाश जुड़े हुए हैं, इसकी जांच चल रही है।

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