108 डुबकी और स्वयं का पिण्डदान, जूना अखाड़े में 1500 से ज़्यादा नागा संन्यासियों का – News4Social

8
108 डुबकी और स्वयं का पिण्डदान,  जूना अखाड़े में 1500 से ज़्यादा नागा संन्यासियों का  – News4Social

108 डुबकी और स्वयं का पिण्डदान, जूना अखाड़े में 1500 से ज़्यादा नागा संन्यासियों का – News4Social

Image Source : INDIA TV
नागा संन्यासियों का दीक्षा संस्कार

प्रयागराज : गंगा के किनारे आज श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के अवधूतों को नागा दीक्षा की प्रक्रिया शुरू हो गई। ये संन्यासी अखाड़ों में सबसे ज़्यादा नागा संन्यासियों वाला अखाड़ा है। श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा में नागाओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है जिसके विस्तार की प्रक्रिया शनिवार से शुरू हो गई। 

जूना अखाड़े के 1500 अवधूत बने नागा संन्यासी

भगवान शिव के दिगम्बर भक्त नागा संन्यासी महाकुम्भ में सबका ध्यान अपनी तरफ खींचते हैं। शायद यही वजह है कि महाकुम्भ में सबसे अधिक जन आस्था का सैलाब जूना अखाड़े के शिविर में दिखता है। जूना अखाड़े की छावनी सेक्टर 20  है और यहा गंगा का तट इन नागा संन्यासियों की उस परम्परा का साक्षी बना जिसका इंतजार हर 12 साल में अखाड़ों के अवधूत करते हैं। श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय मंत्री श्री महंत चैतन्य पुरी ने बताया कि शनिवार को नागा दीक्षा की शुरुआत हो गई है। पहले चरण में 1500 से अधिक अवधूत को नागा संन्यासी की दीक्षा दी जा रही है। नागा संन्यासियों की संख्या में जूना अखाड़ा सबसे आगे है, जिसमें अभी 5.3 लाख से अधिक नागा संन्यासी हैं। 

महाकुम्भ और नागा संन्यासियों का दीक्षा कनेक्शन

नागा संन्यासी केवल कुंभ में बनते हैं और वहीं उनकी दीक्षा होती है। सबसे पहले साधक को ब्रह्मचारी के रूप में रहना पड़ता है। उसे तीन साल गुरुओं की सेवा करने और धर्म-कर्म और अखाड़ों के नियमों को समझना होता है। इसी अवधि में ब्रह्मचर्य की परीक्षा ली जाती है। अगर अखाड़ा और उस व्यक्ति का गुरु यह निश्चित कर ले कि वह दीक्षा देने लायक हो चुका है तो फिर उसे अगली प्रक्रिया में ले जाया जाता है। यह प्रकिया महाकुम्भ में होती है जहां वह ब्रह्मचारी से उसे महापुरुष और फिर अवधूत बनाया जाता है। 

Mahakumbh 2025, Prayagraj

Image Source : INDIA TV

नागा संन्यासियों का दीक्षा संस्कार

मुंडन कराने के साथ 108 बार डुबकी

महाकुम्भ में गंगा किनारे उनका मुंडन कराने के साथ उसे 108 बार महाकुम्भ की नदी में डुबकी लगवाई जाती है। अन्तिम प्रक्रिया में उनका स्वयं का पिण्डदान तथा दण्डी संस्कार आदि शामिल होता है। अखाड़े की धर्म ध्वजा के नीचे अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर उसे नागा दीक्षा देते हैं। प्रयाग के महाकुम्भ में दीक्षा लेने वालों को राज राजेश्वरी नागा, उज्जैन में दीक्षा लेने वालों को खूनी नागा, हरिद्वार में दीक्षा लेने वालों को बर्फानी व नासिक वालों को खिचड़िया नागा के नाम से जाना जाता है। इन्हें अलग-अलग नाम से केवल इसलिए जाना जाता है, जिससे उनकी यह पहचान हो सके कि किसने कहां दीक्षा ली है। 

देश की और खबर पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे – Breaking News News