10 फरवरी को Vasundhara Raje के ‘रिकॉर्ड’ की बराबरी पर होंगे Ashok Gehlot, 25 साल से Rajasthan में इन्हीं का है ‘राज’
ढाई दशक से राजे और गहलोत का राज कायम
राजस्थान में अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे दो ही नेता ऐसे हैं जिनका राज पिछले ढाई दशक से कायम है। वसुंधरा राजे दो बार राजस्थान की सीएम रह चुकी हैं जबकि गहलोत तीन बार मुख्यमंत्री बन चुके हैं। फरवरी में बजट पेश करने की परम्परा शुरू होने के बाद प्रदेश में हर पांच साल बाद सरकारें बदलती आई है। प्रदेश में सरकार बदलने के ठीक छह महीने बाद लोकसभा चुनाव होते हैं। इस कारण हर सरकार को अपने कार्यकाल में पहले साल में तीन माह का लेखानुदान लेना होता है। गहलोत और वसुंधरा ने पिछले बीस साल में दो दो लेखानुदान पेश किए हैं।
20 साल से मुख्यमंत्री के पास है वित्त विभाग
प्रदेश में अर्थ के जरिए सरकार पर कंट्रोल करने का फार्मूला भी 20 साल पहले ही शुरू हुआ था। वर्ष 2003 में वसुंधरा राजे जब पहली बार मुख्यमंत्री बनी थी तब उन्होंने मुख्यमंत्री के पद के साथ वित्त विभाग संभालने की शुरूआत की थी। इसके बाद वर्ष 2008 में अशोक गहलोत जब दूसरी बार मुख्यमंत्री बने थे तब उन्होंने भी वित्त विभाग को अपने पास रखा था। पिछले दो दशक से यही परिपाटी चली आ रही है कि वित्त विभाग को मुख्यमंत्री के अपने पास ही रखते आए हैं। चूंकि सभी विभागों की वित्तीय स्वीकृतियों की फाइलें वित्त विभाग के पास ही आती है। यह अधिकार मुख्यमंत्री अपने पास रखना चाहए हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री द्वारा वित्त विभाग अपने पास रखा जाता है और वे ही बजट पेश करते हैं। ट
बजट में शेरो शायरी की शुरुआत की राजे ने
बजट भाषण में शेरा शायरी की शुरुआत पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने की थी जो लगातार चली आ रही है। राजे ने अपने दूसरे कार्यकाल में बजट भाषण के दौरान शेरो शायरी को शामिल किया। उसके बाद बजट भाषण में शेरो शायरी को शामिल करना आम बात हो गई है। पहले बजट भाषण की शुरुआत में किसी महापुरुष के कथन को बोला जाता था लेकिन अब शेरो शायरी बोली जाने लगी है।
रिपोर्ट – रामस्वरूप लामरोड़
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