होली से पहले ही रंगों में डूब गए बाजार
Authored by सूरज सिंह | Produced by शिशिर चौरसिया | नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated: 5 Mar 2023, 7:50 am
Holi Rang: अगले 8 मार्च को होली है। दिल्ली के होलसेल से लेकर रिटेल बाजार होली के रंगों में डूब गए हैं। सबसे बड़ा थोक मार्केट सदर बाजार रंग, गुलाल, पिचकारी, टीशर्च, मुखौटे, नकली बाल, कैट और हैट जैसी आइटम से पट गए हैं। जहां देखो, वहां होली से जुड़ा सामान बिक रहा है।
2,000 टन गुलाल की सेल
तिलक बाजार केमिकल मर्चेंट एसोसिएशन के प्रेसिडेंट प्रदीप गुप्ता बताते हैं कि दिल्ली के बाजारों में होली के अवसर पर करीब 2,000 टन गुलाल की बिक्री होती है। एक अनुमान के मुताबिक होली के अवसर पर सिर्फ दिल्ली-एनसीआर में 400 से 500 टन गुलाल की खपत है। यहां से काफी माल दूसरे राज्यों में भी सप्लाई होता है। इस बार कारोबार नॉर्मल रहने के आसार हैं। मार्केट में खुले गुलाल के बजाए ब्रैंडिंड पैक की मांग बढ़ी है। इस बार रेट भी अधिक हुए हैं। अरारोट का प्राइस घटता-बढ़ता है, जिसका असर गुलाल के रेट पर दिखता है।
अरारोट से बनता है गुलाल
सदर बाजार के गुलाल विक्रेता सूरज प्रकाश बताते हैं कि वह मथुरा और प्रतापगढ़ से गुलाल मंगवाते हैं। यहां भी अरारोट का गुलाल बनता है। बाजार में अरारोट की मशीन से पिसाई और हाथ से पिसाई दोनों तरह के गुलाल मौजूद है। मशीन का गुलाल बारीक होगा, जिसमें रंग और खुशबू ऑटोमैटिक मिल जाती है। मगर, हाथ से पिसे अरारोट का गुलाल थोड़ा मोटा होता है। इसमें बड़े हिसाब से रंग, पानी और खुशबू डाली जाती है। किसी तरह का कैमिकल यूज नहीं होता है। अब सदर बाजार में गुलाल और रंगों के रिटेल खरीदारों ने आना शुरू कर दिया है। अब तक थोक खरीदार मार्केट में पहुंच रहे थे। होली में कभी गुलाल का काम नहीं पिटेगा, भले नए तरह के रंग, स्प्रे, सिल्वर, गोल्डन पेस्ट आ जाए। गुलाल का उपयोग पूजा में भी किया जाता है। गाजियाबाद, मेरठ, अलीगढ़, फरीदाबाद, गुरुग्राम, रोहतक, बागपत और मथुरा भी लोग गुलाल, रंग-पिचकारी लेने लोग दिल्ली आते हैं।
होली पर गुलाल, दीपावली पर रंगोली का कारोबार
तिलक बाजार में गुलाल विक्रेता नरेंद्र गुप्ता का कहना है कि वह तिलक बाजार में होली और दीपावली से पहले काम करते हैं। होली से 15 दिन पहले गुलाल और दीपावली से महीने 15 दिन पहले रंगोली बेचते हैं। अपना ही गुलाल बनाते हैं, जिसमें मिलावट की गुंजाइश नहीं है। अरारोट का गुलाल जनरल किराना स्टोर पर भी मिल जाता है। उनका कहना है कि अब तो गुलाल से खेलने का प्रचलन भी कम हो रहा है। लोग कहते हैं कि कपड़े और घर खराब हो जाएगा। कौन सफाई करेगा? हाई राइज सोसायटी और बिल्डिंग फ्लैट का कल्चर बढ़ा है। घर में होली खेलने की जगह कम होती है। अब चंदन तिलक लगाकर होली मन रही है।
नकली गुलाल कैसे पहचानें
होली पर गुलाल सबसे अधिक यूज होता है। मुनाफाखोरी के चक्कर में कुछ लोग मिलावटी गुलाल बेचते हैं। सस्ता होने की वजह से लोग भूलवश इसे खरीद लेते हैं। प्रदीप गुप्ता का कहना है कि असली-नकली गुलाल की पहचान आसानी से हो सकती है। नकली गुलाल थोड़ा भारी होता है, जबकि अरारोट से बना गुलाल हल्का होता है। ये कपड़े और हाथों पर ठहरता भी नहीं है यानी इसे कपड़े खराब नहीं होते। ये आराम से झड़ जाते हैं। नकली गुलाल में खड़िया मिट्टी और मारबल के पाउडर का यूज होता है। ये शरीर के लिए नुकसानदायक होता है। दोनों गुलाल को हाथ में लेगें, तो अंतर साफ महसूस होगा। असली गुलाल हल्का होने के साथ सॉफ्ट भी होगा।
गुजरात से आते हैं पानी के रंग
प्रदीप गुप्ता ने बताया कि हाथों में रंग मलकर किसी के चेहरे पर लगाने वाले कलर पूरी तरह केमिकल पर आधारित होते हैं। इन्हें पानी में घोलकर किसी के ऊपर फैंक भी सकते हैं। इसका अधिकतर प्रोडक्शन गुजरात में होता है। केमिकल रंगों को इस तरह बनाया जाता है, जिससे त्वचा को नुकसान नहीं पहुंचे। होलसेल में रंग 300 से 400 रुपये किलो और गुलाल 90 से 100 रुपये किलो बिक रहा है।
इस बार तिरंगा पिचकारी
सदर बाजार में प्लास्टिक की पिचकारियों की भी खूब सेल हो रही है। इस बार पिचकारियों में भी नए और आकर्षक डिजाइन आए हैं। 15 अगस्त पर ‘हर घर तिरंगा’ फहराने का आह्वान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। इसका असर होली पर दिख रहा है। मार्केट में तिरंगी पिचकारी अपना ध्यान खींच रही हैं। खास तौर से छोटे बच्चों को केसरिया, सफेद और हरे रंग की पिचकारी चाहिए।
नकली रंगों का जोखिम
होली पर नकली रंग और नकली गुलाल का इस्तेमाल हानिकारक हो सकता है। इससे त्वचा खराब हो सकती है। ये शरीर के लिए कई तरह से जोखिमभरे होते हैं।
– त्वचा में जलन और खुजली
– स्किन एलर्जी और इंफेक्शन
– आंखों में लगने से जलन
– एक्जिमा और कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा
– अस्थमा और फेफड़ों से जुड़ी समस्या का खतरा
हाथरस, मथुरा और प्रतापगढ़ से आता है गुलाल
होली में गुलाल और रंग अहम हैं। इसका मेन मैन्यूफैक्चरिंग सेंटर हाथरस, मथुरा और प्रतापगढ़ है। कई बड़े ब्रांड के गुलाल वहीं तैयार होते हैं। यहां काफी कारीगर महीनों तक गुलाल का प्रोडक्शन करते हैं। दीपावली के बाद से जनवरी तक गुलाल बनाया जाता है। फरवरी से होली तक गुलाल की ट्रेडिंग होती है। फैक्ट्रियों से माल थोक मार्केट और उसके बाद रिटेल मार्केट तक पहुंचता है। दिल्ली में नया बाजार और सदर बाजार में गुलाल की होलसेल खरीद-बिक्री होती है।
बेलन पिचकारी का भी है क्रेज
आप देख रहे हैं फोटो को। आप कहेंगे ये तो बेलन है। इसका होली में क्या काम। हम आपको बता दें कि इस बार बेलन के शेप में पिचकारी आ गई है। यही नहीं, मार्केट में सिगरेट शेप में भी पिचकारी आ गई है। लाहौरी गेट के पिचकारी विक्रेता पप्पू गुप्ता बताते हैं कि दूसरे शहरों से थोक माल खरीदने आने वाले नई वैरायटी मांग रहे हैं। चार नाल की पिचकारी भी छोटे बच्चों को भा रही है। इसमें चार धाराएं एक साथ निकलती हैं, जो देखने में खूबसूरत लगती हैं। टैंक पिचकारी कई डिजाइन में है। गिटार पिचकारी भी लोगों को चाहिए। मार्केट में 15 रुपये से 280 रुपये तक की पिचकारी उपलब्ध है। अब लोहे और स्टील की पिचकारी कोई नहीं बेच रहा है।