होम लोन की EMI कैसे घट सकती है, कस्टमर को बताइए… RBI ने बैंकों से क्या-क्या कहा h3>
नई दिल्ली: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने कल लोन लेने वालों को बड़ी राहत दी है। आरबीआई ने कल मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक के बाद रेपो रेट (Repo Rate) को लेकर बड़ा ऐलान किया था। आरबीआई ने गुरुवार को लोगों को बड़ी राहत देते हुए रेपो रेट को स्थिर रखा है। आरबीआई ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। यानी रेपो रेट 6.50 फीसदी पर बरकरार है। हालांकि आरबीआई होम लोन के टेन्योर को लंबे समय तक बढ़ाए जाने से चिंतित है। डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव ने इस बारे में कहा कि बिना जरूरी लोन के लंबे टेन्योर से बचने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कर्ज भुगतान की अवधि बढ़ाने का मामला अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग हो सकता है। बैंकों को ऐसे मामलों को देखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि बैंक कस्टमर को यह भी बताएं कि किस तरह से लोन की ईएमआई किस तरह से कम हो सकती है। इससे लोगों को लोन के बोझ से राहत मिल सकेगी।
बैंकों के सीईओ से की चर्चा
उन्होंने कहा, “यह बैंक बोर्ड को व्यक्तिगत उधारकर्ताओं की अवधि और प्री पेमेंट की क्षमता को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेना है।” एम राजेश्वर राव ने कहा कि ”हमने पहले ही बैंकों के सीईओ के साथ इस पर चर्चा की है और अपनी चिंताओं के बारे में बताया है। उन्होंने कहा कि आरबीआई जल्द ही इसपर विस्तृत दिशानिर्देश जारी करेगा। एक रिटायर्ड बैंकर के मुताबिक, टेन्योर को बढ़ाए जाने से मौद्रिक नीति के फैसलों का असर कम हो जाता है। कस्टमर काे परेशानी नहीं होती है। इसकी वजह यह है कि लोन लेने वालों को बढ़ती हुई दरों का दबाव तुरंत महसूस नहीं होता है। ऐसे में जबकि होम लोन लेने वालों की संख्या काफी ज्यादा है।
फ्रेमवर्क तैयार किया जा रहा
बैंकरों के मुताबिक, टेन्योर को बढ़ाना हमेशा चिंता का कारण नहीं होता है, क्योंकि ब्याज की दरें एक सर्कल के क्रम में बदलती हैं। अगर आरबीआई दो साल में दरों में कटौती करता है, तो लोन मूल टेन्योर में वापस आ जाएगा। इधर आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के बाद कहा कि लोगों के अपनी सुविधानुसार फ्लोटिंग या फिक्स्ड ब्याज दर में से अपनी सुविधानुसार ऑप्शन में चुनाव के लिए नया फ्रेमवर्क तैयार किया जा रहा है।
इसके तहत ऋणदाताओं को ग्राहकों को कर्ज अवधि और ईएमआई के बारे में स्पष्ट जानकारी देनी होगी। फ्लोटिंग से निश्चित ब्याज दर का विकल्प चुनने या कर्ज समय से पहले खत्म करने का विकल्प देने के साथ लगने वाले शुल्क की जानकारी भी स्पष्ट रूप से देनी होगी।
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बैंकों के सीईओ से की चर्चा
उन्होंने कहा, “यह बैंक बोर्ड को व्यक्तिगत उधारकर्ताओं की अवधि और प्री पेमेंट की क्षमता को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेना है।” एम राजेश्वर राव ने कहा कि ”हमने पहले ही बैंकों के सीईओ के साथ इस पर चर्चा की है और अपनी चिंताओं के बारे में बताया है। उन्होंने कहा कि आरबीआई जल्द ही इसपर विस्तृत दिशानिर्देश जारी करेगा। एक रिटायर्ड बैंकर के मुताबिक, टेन्योर को बढ़ाए जाने से मौद्रिक नीति के फैसलों का असर कम हो जाता है। कस्टमर काे परेशानी नहीं होती है। इसकी वजह यह है कि लोन लेने वालों को बढ़ती हुई दरों का दबाव तुरंत महसूस नहीं होता है। ऐसे में जबकि होम लोन लेने वालों की संख्या काफी ज्यादा है।
फ्रेमवर्क तैयार किया जा रहा
बैंकरों के मुताबिक, टेन्योर को बढ़ाना हमेशा चिंता का कारण नहीं होता है, क्योंकि ब्याज की दरें एक सर्कल के क्रम में बदलती हैं। अगर आरबीआई दो साल में दरों में कटौती करता है, तो लोन मूल टेन्योर में वापस आ जाएगा। इधर आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के बाद कहा कि लोगों के अपनी सुविधानुसार फ्लोटिंग या फिक्स्ड ब्याज दर में से अपनी सुविधानुसार ऑप्शन में चुनाव के लिए नया फ्रेमवर्क तैयार किया जा रहा है।
इसके तहत ऋणदाताओं को ग्राहकों को कर्ज अवधि और ईएमआई के बारे में स्पष्ट जानकारी देनी होगी। फ्लोटिंग से निश्चित ब्याज दर का विकल्प चुनने या कर्ज समय से पहले खत्म करने का विकल्प देने के साथ लगने वाले शुल्क की जानकारी भी स्पष्ट रूप से देनी होगी।
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