हॉस्टल की मैस में मिलेट, नई पीढ़ी होगी सेहतमंद | Health Awareness | Patrika News
इंदौरPublished: Apr 06, 2023 06:50:51 pm
अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष के मद्देनजर प्रदेश की ए प्लस ग्रेड यूनिवर्सिटी डीएवीवी ने अपने सभी हॉस्टलों के मैस में बदलाव की कवायद शुरू कर दी है। कुलपति प्रो. रेणु जैन ने यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं कि लंच या डिनर में से किसी एक मील में मिलेट जरूर हो। नए सिरे से मैन्यू तय करने के लिए एक कमेटी भी गठित की जा रही है।
इंदौर. डीएवीवी के हॉस्टलों की मैस का मैन्यू अब बदलने जा रहा है। गेहूं की रोटी, पूरी और पराठों की जगह अब ज्वार, बाजरा सहित अन्य मिलेट््स को प्राथमिकता दी जाएगी। इसका उद्देश्य मिलेट््स को बढ़ावा देने के साथ स्टूडेंट््स को सेहतमंद बनाना है।
अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष के मद्देनजर प्रदेश की ए प्लस ग्रेड यूनिवर्सिटी डीएवीवी ने अपने सभी हॉस्टलों के मैस में बदलाव की कवायद शुरू कर दी है। अगले सप्ताह से मैस में मिलेट््स के भी व्यंजन परोसे जाएंगे। ये बदलाव अरसे बाद होने जा रहा है। अब तक मैस में आटा, चावल, दालें ही पकती आई हैं। कुलपति प्रो. रेणु जैन ने यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं कि लंच या डिनर में से किसी एक मील में मिलेट जरूर हो। नए सिरे से मैन्यू तय करने के लिए एक कमेटी भी गठित की जा रही है। कुलपति ने बताया, हॉस्टल में रहने वाले विद्यार्थियों की सेहत को लेकर यूनिवर्सिटी पहले भी गंभीरता बरतती आई है। छात्र-छात्राओं को उचित पोषण की जरूरत होती है।
कैंटीन में भी हो चुका है बदलाव
स्टूडेंट््स के स्वास्थ्य को लेकर यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) भी कई बार गाइडलाइन जारी कर चुका है। छात्र कल्याण संकायाध्यक्ष डॉ. एलके त्रिपाठी ने बताया कि यूजीसी की गाइडलाइन पर यह सुनिश्चित किया गया है कि यूनिवर्सिटी कैंटीन में ऐसी कोई खाद्य सामग्री की बिक्री न हो, जो सेहत को नुकसान पहुंचाती हो।
मिनरल और फाइबर का भी अच्छा स्रोत
ज्वार, बाजरा, रागी, सावां, कंगनी, चीना, कोदो, कुटकी और कुट्टी जैसे अनाज मिलेट््स की श्रेणी में आते हैं। इनमें मिनरल, विटामिन, एंजाइम और फाइबर काफी अधिक मात्रा में पाया जाता है। बीटा-कैरोटीन, नाइयासिन, विटामिन-बी6, फोलिक एसिड, पोटेशियम, मैग्नीशियम के लिए भी मिलेट अच्छे स्रोत है।
स्टूडेंट्स से लगातार लेंगे फीडबैक
स्टूडेंट््स को सेहतमंद बनाने के लिए स्वाद से समझौता नहीं किया जाएगा। कुलपति प्रो. रेणु जैन का कहना है, ऐसी व्यवस्था बना रहे हैं कि जिसमें स्टूडेंट््स का लगातार फीडबैक लिया जाएगा। मिलेट में वृहद वैरायटी है। स्टूडेंट अगर किसी खाद्यान्न को पसंद नहीं करते तो उसकी जगह दूसरे मिलेट शामिल करेंगे।