हायर पेंशन पर कन्फ्यूजन हुआ दूर, कौन देगा अधिक पेंशन की रकम? h3>
नई दिल्ली: हायर पेंशन को लेकर लोगों के मन में कई सवाल उठ रहे हैं। अगर विक्लप चुनते हैं तो अधिक पेंशन का योगदान कौन देगा। कैसे कैलकुलेशन होगा। इन सवालों के जवाब श्रम मंत्रालय ने तैयार कर लिया है। लेबर मिनिस्ट्री ने साफ किया है कि ज्यादा पेंशन का विकल्प चुनने और इसके लिए पात्र पाए जाने वाले मेंबर्स के लिए एम्प्लॉयर को अतिरिक्त योगदान देना होगा। एम्प्लॉयर का EPS में कंट्रीब्यूशन 8.33 फीसदी से बढ़कर 9.49 फीसदी हो जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक यह नोटिफिकेशन 1 सितंबर, 2014 से लागू होगा। इसका मतलब यह है कि पीएफ में एम्प्लॉयर के 12 फीसदी कंट्रीब्यूशन में से 1.16 फीसदी का अतिरिक्त कंट्रीब्यूशन कर्मचारी के पीएफ कॉर्पस से लिया जाएगा। ऐसे में अगर कोई कर्मचारी ज्यादा पेंशन का विकल्प चुनता है तो उसका पीएफ कॉर्पस घट जाएगा।नोटिफिकेशन में कहा गया है कि जिन मेंबर्स ने एम्प्लॉयीज पेंशन स्कीम, 1995 के पैराग्राफ 11 के प्रावधानों के तहत जॉइंट ऑप्शन के लिए आवेदन किया है अगर उन्हें इसके लिए योग्य पाया जाता है तो पेंशन फंड में एम्प्लॉयर का कंट्रीब्यूशन मूल वेतन, डीए का 9.49 फीसदी होगा। पहले यह 8.33 फीसदी था। इस तरह इसमें 1.16 फीसदी की बढ़ोतरी हो जाएगी।
पेंशन स्कीम
यहां से आएगा पेंशन फंड का पैसा
लेबर मिनिस्ट्री ने अपने बयान में कहा कि तय नियम के तहत पेंशन फंड के लिए कर्मचारियों से योगदान नहीं लिया जा सकता है। इसे ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि पेंशन फंड के लिए नियोक्ताओं के उस 12 फीसदी योगदान से ही अतिरिक्त 1.16 फीसदी हिस्सा लिया जाएगा, जो प्रोविडेंट फंड में जा रहा है।
कर्मचारी पर बोझ नहीं
EPS में कर्मचारी अपनी ओर से कोई योगदान नहीं देता है। कंपनी की ओर से जो कुल 12 फीसदी का योगदान दिया जाता है, उसमें से ही 8.33 फीसदी हिस्सा EPS में जाता है। कंपनी के अंशदान में इससे ज्यादा जो भी रकम होती है, वह EPF में चली जाती है। श्रम मंत्रालय ने साफ किया है कि EPS में बढ़ा योगदान भी कंपनी के हिस्से से जाएगा, जिसका मतलब हुआ कि अधिक पेंशन का विकल्प चुनने पर भी टेक होम सैलरी या इन हैंड सैलरी पर कोई असर नहीं होगा।
थोड़ा झटका
बैंकिंग सेक्टर के एक्सपर्ट अश्विनी कहते हैं कि इस फैसला का असर ज्यादा नहीं, मगर कुछ तो पड़ेगा। ज्यादा पेंशन वाला विकल्प चुनने पर कंपनी की ओर से पीएफ में जमा होने वाली रकम कम होगी। पीएफ में कर्मचारियों को चक्रवृद्धि ब्याज का फायदा मिलता है। पीएफ का हिस्सा EPS में जाएगा तो चक्रवृद्धि का फायदा भी कम हो जाएगा। इसी तरह नौकरी से रिटायर होने या पहले ही छोड़ देने पर पीएफ से जो एकमुश्त रकम मिलती है, ज्यादा पेंशन का विकल्प चुनने पर इस रकम पर भी कुछ तो असर होगा।
राजनीति की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – राजनीति
News
पेंशन स्कीम
यहां से आएगा पेंशन फंड का पैसा
लेबर मिनिस्ट्री ने अपने बयान में कहा कि तय नियम के तहत पेंशन फंड के लिए कर्मचारियों से योगदान नहीं लिया जा सकता है। इसे ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि पेंशन फंड के लिए नियोक्ताओं के उस 12 फीसदी योगदान से ही अतिरिक्त 1.16 फीसदी हिस्सा लिया जाएगा, जो प्रोविडेंट फंड में जा रहा है।
कर्मचारी पर बोझ नहीं
EPS में कर्मचारी अपनी ओर से कोई योगदान नहीं देता है। कंपनी की ओर से जो कुल 12 फीसदी का योगदान दिया जाता है, उसमें से ही 8.33 फीसदी हिस्सा EPS में जाता है। कंपनी के अंशदान में इससे ज्यादा जो भी रकम होती है, वह EPF में चली जाती है। श्रम मंत्रालय ने साफ किया है कि EPS में बढ़ा योगदान भी कंपनी के हिस्से से जाएगा, जिसका मतलब हुआ कि अधिक पेंशन का विकल्प चुनने पर भी टेक होम सैलरी या इन हैंड सैलरी पर कोई असर नहीं होगा।
थोड़ा झटका
बैंकिंग सेक्टर के एक्सपर्ट अश्विनी कहते हैं कि इस फैसला का असर ज्यादा नहीं, मगर कुछ तो पड़ेगा। ज्यादा पेंशन वाला विकल्प चुनने पर कंपनी की ओर से पीएफ में जमा होने वाली रकम कम होगी। पीएफ में कर्मचारियों को चक्रवृद्धि ब्याज का फायदा मिलता है। पीएफ का हिस्सा EPS में जाएगा तो चक्रवृद्धि का फायदा भी कम हो जाएगा। इसी तरह नौकरी से रिटायर होने या पहले ही छोड़ देने पर पीएफ से जो एकमुश्त रकम मिलती है, ज्यादा पेंशन का विकल्प चुनने पर इस रकम पर भी कुछ तो असर होगा।
News