हापुड़ लाठीचार्ज केसः यूपी में वकीलों का आंदोलन जारी, जन्माष्टमी के बाद तय करेंगे आगे की रणनीति h3>
लखनऊ/प्रयागराजः उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले में वकीलों पर लाठीचार्ज के विरोध में राज्य विधिज्ञ परिषद (बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश) के आह्वान पर जिला प्रयागराज के अधिवक्ता मंगलवार को भी हड़ताल पर रहे। प्रयागराज जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष गिरीश तिवारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि बार काउंसिल के आह्वान पर जिला अदालत के अधिवक्ता मंगलवार को न्यायिक कार्य से विरत रहे और अदालती कार्यवाही में हिस्सा नहीं लिया।
तिवारी ने कहा कि कल जन्माष्टमी का अवकाश होने के कारण अगले दिन बार काउंसिल के निर्णय के आधार पर आगे की कार्रवाई की जायेगी। इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने मंगलवार को काम शुरू करने का फैसला किया था, जिसके मद्देनजर बुधवार को वकीलों ने अदालती कार्यवाही में हिस्सा लिया। स्टेट बार काउंसिल ने रविवार को एक आपात बैठक में उत्तर प्रदेश भर के वकीलों से हापुड़ लाठीचार्ज के विरोध में छह सितंबर तक हड़ताल जारी रखने का आह्वान किया था।
पुलिस ने 29 अगस्त को कथित तौर पर वकीलों पर लाठीचार्ज किया था जब वे एक महिला वकील और उसके पिता के खिलाफ मामला दर्ज करने का विरोध कर रहे थे। यह मामला महिला वकील और पुलिस के बीच टकराव के बाद दर्ज किया गया था जब वह अपनी कार से गाजियाबाद जा रही थी। मुजफ्फरनगर से मिली खबर के मुताबिक वकीलों ने बुधवार को तीसरे दिन भी अदालतों से दूर रहकर कलेक्ट्रेट में जुलूस निकालकर विरोध प्रदर्शन किया।
मुजफ्फरनगर जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल जिंदल ने कहा कि उप्र बार काउंसिल के निर्देश पर वकील आठ सितंबर को अपनी आगे की रणनीति तय करेंगे। बलिया में भी अधिवक्ताओं ने न्यायिक कार्य का बहिष्कार करके हापुड घटना का विरोध जारी रखा। हापुड़ घटना के विरोध में बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के आह्वान पर बुधवार को बलिया में तीसरे दिन भी हड़ताल जारी रही। बलिया के फौजदारी , सिविल बार तथा अन्य बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं ने बुधवार को लगातार तीसरे दिन भी भी न्यायिक कार्यों का बहिष्कार किया।
इस मौके पर अधिवक्ताओं ने आरोप लगाया कि प्रदेश की पुलिस बेलगाम हो चुकी है। उन्होंने मांग की कि वकीलों पर दर्ज मुकदमा वापस हो और घायल अधिवक्ताओं को मुआवजा दिया जाय। वकीलों के हड़ताल के कारण विभिन्न अदालतों में न्यायिक कामकाज बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। जिले के ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले लोग अदालत में कामकाज न होने के कारण बैरंग लौटे। सोमवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति एम सी त्रिपाठी की पीठ ने वकीलों से काम पर लौटने का अनुरोध करते हुए कहा था कि अदालतें मंगलवार से अपना काम शुरू कर देंगी।
अपर महाधिवक्ता ने अदालत को बताया था कि वकीलों की मांग को देखते हुए सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश हरिनाथ पांडे को हापुड़ घटना की जांच करने वाली विशेष जांच टीम (एसआईटी) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। अदालत ने संबंधित अधिकारियों से यह भी कहा कि वे किसी भी वकील के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई न करें, चाहे वह घटना में नामजद हो या नहीं। संबंधित अधिकारियों के तबादले की वकीलों की मांग पर अदालत ने कहा कि वह इस स्तर पर इस संबंध में कोई आदेश पारित नहीं कर सकती, क्योंकि एसआईटी की रिपोर्ट का इंतजार है।
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तिवारी ने कहा कि कल जन्माष्टमी का अवकाश होने के कारण अगले दिन बार काउंसिल के निर्णय के आधार पर आगे की कार्रवाई की जायेगी। इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने मंगलवार को काम शुरू करने का फैसला किया था, जिसके मद्देनजर बुधवार को वकीलों ने अदालती कार्यवाही में हिस्सा लिया। स्टेट बार काउंसिल ने रविवार को एक आपात बैठक में उत्तर प्रदेश भर के वकीलों से हापुड़ लाठीचार्ज के विरोध में छह सितंबर तक हड़ताल जारी रखने का आह्वान किया था।
पुलिस ने 29 अगस्त को कथित तौर पर वकीलों पर लाठीचार्ज किया था जब वे एक महिला वकील और उसके पिता के खिलाफ मामला दर्ज करने का विरोध कर रहे थे। यह मामला महिला वकील और पुलिस के बीच टकराव के बाद दर्ज किया गया था जब वह अपनी कार से गाजियाबाद जा रही थी। मुजफ्फरनगर से मिली खबर के मुताबिक वकीलों ने बुधवार को तीसरे दिन भी अदालतों से दूर रहकर कलेक्ट्रेट में जुलूस निकालकर विरोध प्रदर्शन किया।
मुजफ्फरनगर जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल जिंदल ने कहा कि उप्र बार काउंसिल के निर्देश पर वकील आठ सितंबर को अपनी आगे की रणनीति तय करेंगे। बलिया में भी अधिवक्ताओं ने न्यायिक कार्य का बहिष्कार करके हापुड घटना का विरोध जारी रखा। हापुड़ घटना के विरोध में बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के आह्वान पर बुधवार को बलिया में तीसरे दिन भी हड़ताल जारी रही। बलिया के फौजदारी , सिविल बार तथा अन्य बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं ने बुधवार को लगातार तीसरे दिन भी भी न्यायिक कार्यों का बहिष्कार किया।
इस मौके पर अधिवक्ताओं ने आरोप लगाया कि प्रदेश की पुलिस बेलगाम हो चुकी है। उन्होंने मांग की कि वकीलों पर दर्ज मुकदमा वापस हो और घायल अधिवक्ताओं को मुआवजा दिया जाय। वकीलों के हड़ताल के कारण विभिन्न अदालतों में न्यायिक कामकाज बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। जिले के ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले लोग अदालत में कामकाज न होने के कारण बैरंग लौटे। सोमवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति एम सी त्रिपाठी की पीठ ने वकीलों से काम पर लौटने का अनुरोध करते हुए कहा था कि अदालतें मंगलवार से अपना काम शुरू कर देंगी।
अपर महाधिवक्ता ने अदालत को बताया था कि वकीलों की मांग को देखते हुए सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश हरिनाथ पांडे को हापुड़ घटना की जांच करने वाली विशेष जांच टीम (एसआईटी) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। अदालत ने संबंधित अधिकारियों से यह भी कहा कि वे किसी भी वकील के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई न करें, चाहे वह घटना में नामजद हो या नहीं। संबंधित अधिकारियों के तबादले की वकीलों की मांग पर अदालत ने कहा कि वह इस स्तर पर इस संबंध में कोई आदेश पारित नहीं कर सकती, क्योंकि एसआईटी की रिपोर्ट का इंतजार है।
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