हाथरस भगदड़ मामले में आज हाईकोर्ट में सुनवाई: HC ने डीएम-एसएसपी को किया है तलब, कोर्ट ने कहा-क्यों न जिम्मेदारी तय की जाए – Prayagraj (Allahabad) News h3>
इलाहाबाद हाईकोर्ट में आज हाथरस भगदड़ में हुईं मौतों के मामले को लेकर सुनवाई होगी। न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव की ब्रेंक इस मामले में सुनवाई करेगी। इससे पहले हाथरस में हुई भगदड़ के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनवाई कर जवाब तय किए थे। हाईकोर्ट ने 2 ज
.
कोर्ट ने पूछा था कि क्यों न प्रशासनिक बदइंतजामी के कारण 121 श्रद्धालुओं की मौत में उनकी जवाबदेही तय की जाए। इसी के साथ हाईकोर्ट ने महाकुंभ के इंतजामों को लेकर सबक लेने को कहा था।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जनवरी से शुरू हुए विश्व के सबसे बड़े प्रयागराज महाकुंभ मेले के आयोजन करने वाले प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों को हाथरस की घटना से सबक लेने की नसीहत दी थी। कहा था कि प्रयाग महाकुंभ में करोड़ों लोग आएंगे। केंद्र व राज्य सरकार इंतजाम में लगे हैं। प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री मौके पर आकर व्यवस्था देख रहे हैं। बावजूद इसके बदइंतजामी से अप्रिय घटना हो सकती है। पुलिस प्रशासन व्यवस्था देखें। ठीक से मेला होने से प्रदेश व देश ही नहीं देश के बाहर अच्छा उदाहरण पेश होगा।
कोर्ट ने आदेश की प्रति सी जे एम हाथरस, गृह सचिव उ प्र , आयुक्त, जिलाधिकारी व पुलिस आयुक्त प्रयागराज को भेजने का निर्देश दिया।
यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने हाथरस की घटना में बदइंतजामी की आरोपी मंजू देवी की जमानत अर्जी की सुनवाई करते हुए दिया था।
मालूम हो कि बृजेश पांडेय दरोगा पोरा पुलिस चौकी इंचार्ज ने सिकंदराराऊ थाने में एफआईआर दर्ज की। आयोजकों पर भगदड़ से मौत का आरोप लगाया। पुलिस विवेचना जारी है।
सरकार की तरफ से कहा गया कि आयोजकों ने 80 हजार भीड़ आने की शासन से अनुमति ली थी। किंतु ढाई लाख श्रद्धालुओं का जमावड़ा हो गया।भोले बाबा प्रवचन के बाद जाने लगे तो दर्शन के लिए भीड़ उसी तरफ बढ़ी। सेवादारों ने जबरन रोक लिया। सैकड़ों की संख्या में लोग दब व कुचल गये। कीचड़ भरे खेत में पैरों तले रौंद दिए गए। 121 लोगो की मौत हो गई और हजारों घायल हो गये। प्रशासन की तरफ से 50 पुलिस कर्मी ही तैनात थे।जो भीड़ को नियंत्रित करने के लिए नाकाफी थे।जिसमें प्रशासन की बदइंतजामी साफ है।
न्यायमूर्ति यादव ने कहा पूर्व में ऐसी तमाम घटनाएं हुई हैं।गरीब व अनपढ़ लोगों की भीड़ बुला ली जाती है और कोई व्यवस्था नहीं की जाती। श्रद्धा व विश्वास में भीड़ आपा खो बैठती है और भगदड़ में असामयिक मौतें हो जाती है। आयोजकों द्वारा समुचित व्यवस्था नहीं की जाती। प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है।