हरिगिरि धाम में झंडेवाली माता के मंदिर स्वरूप का बन रहा पंडाल h3>
फ्लायर या बॉटम:::::::ण मिश्र, सचिव गढ़पुरा,निज संवाददाता। बाबा हरिगिरि धाम में शिव ही नहीं बल्कि शक्ति की भी उपासना होती है। इस सिलसिले में प्रतिवर्ष शारदीय नवरात्र के दौरान यहां माता की प्रतिमा…
Newswrap हिन्दुस्तान, बेगुसरायSun, 29 Sep 2024 03:09 PM
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गढ़पुरा,निज संवाददाता। बाबा हरिगिरि धाम में शिव ही नहीं बल्कि शक्ति की भी उपासना होती है। इस सिलसिले में प्रतिवर्ष शारदीय नवरात्र के दौरान यहां माता की प्रतिमा स्थापित कर धूमधाम से पूजा-अर्चना की जाती है। इस बार भी यहां मेले की तैयारी शुरू हो गई है। मूर्तिकार प्रतिमा को अंतिम रूप देने में लगे हुए हैं। वहीं साउंड, लाइट, डेकोरेशन आदि को लेकर सारी तैयारी हो चुकी है। कलश स्थापना से लेकर विजयादशमी तक यहां पूजा-अर्चना के लिए श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है। धाम परिसर स्थित दुकानों में पूजा-अर्चना के दौरान माता की चुनरी, कलश, प्रसाद, सिंदूर, बिंदी, दीप, घी आदि की खूब बिक्री होती है। गढ़पुरा में चार दुर्गा स्थान है जिसमें बाबा हरिगिरि धाम की अपनी महत्ता है। इसके आकर्षण का मुख्य केंद्र सजावट, भव्य प्रतिमा और विजयादशमी के दिन रावण का पुतला दहन शामिल है। मनोहारी होती है पंडाल, डेकोरेशन व लाइटिंग की व्यवस्था यहां का मुख्य आकर्षक पंडाल, डेकोरेशन और लाइटिंग की व्यवस्था है। इसके लिए स्थानीय संगम टेंट हाउस को जिम्मेदारी सौंप गई है। पूरे बाबा हरिगिरि धाम परिसर से लेकर गढ़पुरा हनुमान मंदिर तक सड़क मार्ग में भी लाइटिंग की व्यवस्था की जाती है। इस बार जो पंडाल बनाया जाएगा उसमें दिल्ली के झंडेवाली माता के मंदिर की झांकी दिखेगी। हर साल अलग स्वरूप में बनती है प्रतिमा प्रतिमा को कुम्हारसो निवासी मूर्तिकार तेज नारायण पंडित प्रतिवर्ष अलग-अलग स्वरूप में बनाते हैं, ताकि यह आकर्षण का केंद्र बना रहे। यह तमाम प्रतिमाएं इलेक्ट्रिक्स पर संचालित होती है। मां दुर्गा की अट्टहास, महिषासुर का हुंकार, शेर की दहाड़, कोयल की कूक, मोर की आवाज पंडाल की भीतर गूंजती रहती है। खासकर शाम के समय तो प्रतिमा का आकर्षण इसी से बढ़ जाता है। पंडाल के भीतर गूंजेगी शहनाई यहां की विशेषता यह है कि कलश स्थापना के दिन से ही शहनाई की गूंज सुनाई देने लगती है। माता के आवाह्न से लेकर पूजा के अंतिम दिन तक सुबह-शाम यह क्रम जारी रहता है। शहनाई शुभ बेला और शुभ घड़ी का प्रतीक है। यहां के स्थानीय कलाकारों द्वारा शहनाई की धुन माइक्रोफोन के माध्यम से ध्वनि विस्तारक यंत्र से प्रसारित होती रहती है जिससे पूरा वातावरण गूंजता रहता है। विजयादशमी के दिन होता है रावण का पुतला दहन यहां विजयादशमी के दिन रावण के पुतला दहन के दौरान हजारों की भीड़ जुटती है। इस बार भी 40 फीट के रावण का पुतला बनाया गया है। विजयादशमी के दिन पुतला को खड़ा कर उसमें पटाखे सेट किए जाते हैं। इस दौरान राम, लक्ष्मण, हनुमान आदि की झांकी निकाली जाती है तथा अग्नि प्रज्वलित असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक मानकर उस पुतले का दहन किया जाता है। बाबा हरिगिरि धाम विकास समिति दस दिवसीय शारदीय नवरात्र के अवसर पर मेले का आयोजन करती है। इस पर लगभग दो से ढाई लाख रुपए खर्च होते हैं। शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस प्रशासन के अलावा स्थानीय स्वयंसेवक भी मुस्तैद रहते हैं। इस बार दुर्गा मंदिर से सटी जगह पर पंडाल बनाकर उसमें प्रतिमा स्थापित की गई है। -सुभाष यादव, अध्यक्ष श्रावणी मेला और महाशिवरात्रि मेला के अलावा शारदीय नवरात्र मेला बाबा हरिगिरि धाम का मुख्य आकर्षण है। समिति दो माह पूर्व से ही इसकी तैयारी में लग जाती है। हम लोगों का यह प्रयास रहता है कि पूजा में किसी भी तरह की कोई कमी ना रहे। व्यवस्था चुस्त दुरुस्त हो ताकि मेले में आने वाले श्रद्धालुओं को किसी भी तरह की कोई कठिनाई नहीं हो। श्रद्धालुओं के लिए पेयजल, शौचालय आदि की व्यवस्था है। -लक्ष्मी नारायण मिश्र, सचिव
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फ्लायर या बॉटम:::::::ण मिश्र, सचिव गढ़पुरा,निज संवाददाता। बाबा हरिगिरि धाम में शिव ही नहीं बल्कि शक्ति की भी उपासना होती है। इस सिलसिले में प्रतिवर्ष शारदीय नवरात्र के दौरान यहां माता की प्रतिमा…
गढ़पुरा,निज संवाददाता। बाबा हरिगिरि धाम में शिव ही नहीं बल्कि शक्ति की भी उपासना होती है। इस सिलसिले में प्रतिवर्ष शारदीय नवरात्र के दौरान यहां माता की प्रतिमा स्थापित कर धूमधाम से पूजा-अर्चना की जाती है। इस बार भी यहां मेले की तैयारी शुरू हो गई है। मूर्तिकार प्रतिमा को अंतिम रूप देने में लगे हुए हैं। वहीं साउंड, लाइट, डेकोरेशन आदि को लेकर सारी तैयारी हो चुकी है। कलश स्थापना से लेकर विजयादशमी तक यहां पूजा-अर्चना के लिए श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है। धाम परिसर स्थित दुकानों में पूजा-अर्चना के दौरान माता की चुनरी, कलश, प्रसाद, सिंदूर, बिंदी, दीप, घी आदि की खूब बिक्री होती है। गढ़पुरा में चार दुर्गा स्थान है जिसमें बाबा हरिगिरि धाम की अपनी महत्ता है। इसके आकर्षण का मुख्य केंद्र सजावट, भव्य प्रतिमा और विजयादशमी के दिन रावण का पुतला दहन शामिल है। मनोहारी होती है पंडाल, डेकोरेशन व लाइटिंग की व्यवस्था यहां का मुख्य आकर्षक पंडाल, डेकोरेशन और लाइटिंग की व्यवस्था है। इसके लिए स्थानीय संगम टेंट हाउस को जिम्मेदारी सौंप गई है। पूरे बाबा हरिगिरि धाम परिसर से लेकर गढ़पुरा हनुमान मंदिर तक सड़क मार्ग में भी लाइटिंग की व्यवस्था की जाती है। इस बार जो पंडाल बनाया जाएगा उसमें दिल्ली के झंडेवाली माता के मंदिर की झांकी दिखेगी। हर साल अलग स्वरूप में बनती है प्रतिमा प्रतिमा को कुम्हारसो निवासी मूर्तिकार तेज नारायण पंडित प्रतिवर्ष अलग-अलग स्वरूप में बनाते हैं, ताकि यह आकर्षण का केंद्र बना रहे। यह तमाम प्रतिमाएं इलेक्ट्रिक्स पर संचालित होती है। मां दुर्गा की अट्टहास, महिषासुर का हुंकार, शेर की दहाड़, कोयल की कूक, मोर की आवाज पंडाल की भीतर गूंजती रहती है। खासकर शाम के समय तो प्रतिमा का आकर्षण इसी से बढ़ जाता है। पंडाल के भीतर गूंजेगी शहनाई यहां की विशेषता यह है कि कलश स्थापना के दिन से ही शहनाई की गूंज सुनाई देने लगती है। माता के आवाह्न से लेकर पूजा के अंतिम दिन तक सुबह-शाम यह क्रम जारी रहता है। शहनाई शुभ बेला और शुभ घड़ी का प्रतीक है। यहां के स्थानीय कलाकारों द्वारा शहनाई की धुन माइक्रोफोन के माध्यम से ध्वनि विस्तारक यंत्र से प्रसारित होती रहती है जिससे पूरा वातावरण गूंजता रहता है। विजयादशमी के दिन होता है रावण का पुतला दहन यहां विजयादशमी के दिन रावण के पुतला दहन के दौरान हजारों की भीड़ जुटती है। इस बार भी 40 फीट के रावण का पुतला बनाया गया है। विजयादशमी के दिन पुतला को खड़ा कर उसमें पटाखे सेट किए जाते हैं। इस दौरान राम, लक्ष्मण, हनुमान आदि की झांकी निकाली जाती है तथा अग्नि प्रज्वलित असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक मानकर उस पुतले का दहन किया जाता है। बाबा हरिगिरि धाम विकास समिति दस दिवसीय शारदीय नवरात्र के अवसर पर मेले का आयोजन करती है। इस पर लगभग दो से ढाई लाख रुपए खर्च होते हैं। शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस प्रशासन के अलावा स्थानीय स्वयंसेवक भी मुस्तैद रहते हैं। इस बार दुर्गा मंदिर से सटी जगह पर पंडाल बनाकर उसमें प्रतिमा स्थापित की गई है। -सुभाष यादव, अध्यक्ष श्रावणी मेला और महाशिवरात्रि मेला के अलावा शारदीय नवरात्र मेला बाबा हरिगिरि धाम का मुख्य आकर्षण है। समिति दो माह पूर्व से ही इसकी तैयारी में लग जाती है। हम लोगों का यह प्रयास रहता है कि पूजा में किसी भी तरह की कोई कमी ना रहे। व्यवस्था चुस्त दुरुस्त हो ताकि मेले में आने वाले श्रद्धालुओं को किसी भी तरह की कोई कठिनाई नहीं हो। श्रद्धालुओं के लिए पेयजल, शौचालय आदि की व्यवस्था है। -लक्ष्मी नारायण मिश्र, सचिव