हमारे विरोधी देश अंतरिक्ष का मिलिट्री इस्तेमाल कर रहे हैं, अब ‘एयरोस्पेस’ फोर्स की राह पर आगे बढ़े वायु सेना: राजनाथ सिंह h3>
नई दिल्ली: यूक्रेन-रूस युद्ध के भीषण नतीजों को देखते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defence Minister Rajnath Singh) देश की सुरक्षा व्यवस्था को चाक-चौबंद करने को लेकर लगातार तीनों सेनाओं के साथ विचार विमर्श कर रहे हैं। इसी कड़ी में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने स्पेस के मिलिट्री यूज का जिक्र करते हुए कहा कि इंडियन एयरफोर्स (India Air Force) को एयर-फोर्स से आगे बढ़ते हुए एयरोस्पेस-फोर्स बनने के लिए विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे विरोधी देश स्पेस का मिलिट्री इस्तेमाल करने की तरफ लगातार बढ़ रहे हैं जिसका हमारे हितों पर विपरीत असर पड़ सकता है। इसलिए हमारी जिम्मेदारी है कि भविष्य में युद्धों का स्वरुप क्या होगा इसका अनुमान लगाते रहे और उस हिसाब से खुद को तैयार करें।
एक कार्यक्रम में बोलते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि हमें स्पेस गाइडेड अटैक से बचाव, अपने स्पेस एसेट्स की सुरक्षा और तकनीक में महारथ हासिल करने को बारे में सोचना चाहिए। उन्होंने सैनिकों में स्पेशलाइज्ड स्किल ट्रेनिंग पर भी जोर दिया। रक्षा मंत्री ने कहा कि अगर हम मौजूदा रूस-यूक्रेन युद्ध या सीरिया, इराक, अफगानिस्तान में जो हुआ उसे बारीकी से देखें तो इसका अनुमान लगा सकते हैं कि भविष्य के युद्ध कैसे होंगे।
महंगे हथियार जीत की गारंटी नहीं
उन्होंने कहा कि बहुत महंगे वेपन सिस्टम ही हमें जीत दिला सकें ये जरूरी नहीं है। वेपन सिस्टम की तैनाती किस तरह की गई है, वह हमें युद्ध में बढ़त दिलाता है। रक्षा मंत्री ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि तकनीक अहम है लेकिन बिना सही तैनाती के तकनीक वाले उपकरण महज दिखावटी सामान होंगे। नई-नई तकनीक वाले हथियार को केवल इकट्ठा कर लेना, औरों के लिए ईर्ष्या का कारण भले हो सकता है, पर जरूरी नहीं कि वह किसी को जीत दिलाने की गारंटी बन जाए।
रक्षामंत्री ने इस रणनीति पर दिया जोर
रक्षा मंत्री ने संयुक्त सोच, संयुक्त ट्रेनिंग और संयुक्त प्लानिंग पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि लंबे वक्त तक हम अपनी सीमाओं की सुरक्षा के लिए इंपोर्ट पर निर्भर रहे हैं। मिग फाइटर जेट से लेकर सुखोई और हाल में आए रफाल फाइटर जेट तक। हमने अपनी सुरक्षा के लिए दुनिया भर से बहुत आधुनिक उपकरण और प्लेटफॉर्म इंपोर्ट किए लेकिन पिछले कुछ समय के अनुभव ने हमें बताया कि भारत अपनी सुरक्षा के लिए लंबे समय तक इंपोर्ट पर निर्भर नहीं रह सकता है। हालिया कॉन्फ्लिक्ट ने हमें यह भी बताया कि सिर्फ डिफेंस सप्लाई ही नहीं, बल्कि नैशनल इंटरेस्ट की बात आने पर कमर्शियल कॉन्ट्रैक्ट में भी तनाव आने की पूरी संभावना बनी रहती है। राजनाथ सिंह ने कहा कि ऐसे में आत्मनिर्भरता न केवल घरेलू क्षमता बढ़ाने बल्कि हमारी स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए भी आवश्यक है।
महंगे हथियार जीत की गारंटी नहीं
उन्होंने कहा कि बहुत महंगे वेपन सिस्टम ही हमें जीत दिला सकें ये जरूरी नहीं है। वेपन सिस्टम की तैनाती किस तरह की गई है, वह हमें युद्ध में बढ़त दिलाता है। रक्षा मंत्री ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि तकनीक अहम है लेकिन बिना सही तैनाती के तकनीक वाले उपकरण महज दिखावटी सामान होंगे। नई-नई तकनीक वाले हथियार को केवल इकट्ठा कर लेना, औरों के लिए ईर्ष्या का कारण भले हो सकता है, पर जरूरी नहीं कि वह किसी को जीत दिलाने की गारंटी बन जाए।
रक्षामंत्री ने इस रणनीति पर दिया जोर
रक्षा मंत्री ने संयुक्त सोच, संयुक्त ट्रेनिंग और संयुक्त प्लानिंग पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि लंबे वक्त तक हम अपनी सीमाओं की सुरक्षा के लिए इंपोर्ट पर निर्भर रहे हैं। मिग फाइटर जेट से लेकर सुखोई और हाल में आए रफाल फाइटर जेट तक। हमने अपनी सुरक्षा के लिए दुनिया भर से बहुत आधुनिक उपकरण और प्लेटफॉर्म इंपोर्ट किए लेकिन पिछले कुछ समय के अनुभव ने हमें बताया कि भारत अपनी सुरक्षा के लिए लंबे समय तक इंपोर्ट पर निर्भर नहीं रह सकता है। हालिया कॉन्फ्लिक्ट ने हमें यह भी बताया कि सिर्फ डिफेंस सप्लाई ही नहीं, बल्कि नैशनल इंटरेस्ट की बात आने पर कमर्शियल कॉन्ट्रैक्ट में भी तनाव आने की पूरी संभावना बनी रहती है। राजनाथ सिंह ने कहा कि ऐसे में आत्मनिर्भरता न केवल घरेलू क्षमता बढ़ाने बल्कि हमारी स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए भी आवश्यक है।