हमारी फिजां खराब करने में धूल 67 प्रतिशत और वाहन 12 फीसद जिम्मेदार | Dust 67 percent and vehicles 12 percent responsible for air pollution | Patrika News

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हमारी फिजां खराब करने में धूल 67 प्रतिशत और वाहन 12 फीसद जिम्मेदार | Dust 67 percent and vehicles 12 percent responsible for air pollution | Patrika News

हमारी फिजां खराब करने में धूल 67 प्रतिशत और वाहन 12 फीसद जिम्मेदार | Dust 67 percent and vehicles 12 percent responsible for air pollution | News 4 Social

भोपालPublished: Aug 24, 2023 11:06:05 pm

कस्वच्छ वायु सर्वेक्षण में राजधानी भोपाल फिसड्डी साबित हुई है। वह भी तब जब पूरे देश में इसे स्वच्छ राजधानी होने का तमगा मिला है। यहां हरियाली है। झील है, पहाड़ी है और खूब सारे पेड़ लगे हैं फिर भी देश में इसे पांचवा स्थान मिला।

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भोपाल. स्वच्छ वायु सर्वेक्षण में राजधानी भोपाल फिसड्डी साबित हुई है। वह भी तब जब पूरे देश में इसे स्वच्छ राजधानी होने का तमगा मिला है। यहां हरियाली है। झील है, पहाड़ी है और खूब सारे पेड़ लगे हैं फिर भी देश में इसे पांचवा स्थान मिला। पर्यावरणविदों का मानना है कि शहर में कचरा, धूल और वाहन मिलकर वायु की स्वच्छता को बिगाड़ रहे हैं। इसलिए यह रैंकिग में पीछे रह गयी।
इंदौर नंबर एक पर
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी स्वच्छ वायु सर्वेक्षण-2023 में इंदौर ने देश में एक बार फिर सफलता का परचम फहराया है। 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों की श्रेणी में इंदौर ने प्रथम स्थान प्राप्त किया है। जबकिक भोपाल पांचवें स्थान पर है।
प्रदूषण के ये जिम्मेदार
राजधानी में वायु प्रदूषण का बड़ा कारण है हवा में उड़ती धूल है। इसकी बड़ी वजह तेजी से हो रहे निर्माण कार्य हैं। 67 प्रतिशत प्रदूषण धूल के कारण हंै। जबकि, धुआं छोड़ती गाडिय़ों के कारण 12 प्रतिशत प्रदूषण हो रहा है। मेट्रो और फ्लाईओवर के निर्माण से भी 11 प्रतिशत प्रदूषण हो रहा है। जबकि कचरा जलाने से भी शहर में 5 प्रतिशत प्रदूषण फैला रहा है।
ये हैं हॉट स्पॉट
एमपी नगर, डीआईजी बंगला क्षेत्र में सबसे अधिक प्रदूषण है। जबकि भौंरी, गोविंदपुरा, एमपी नगर जोन-2, कोलार रोड व डीआईजी बंगला के आसपास भी ज्यादा वायु प्रदूषण है।
१६७ करोड़ भी मिल गए हवा में
नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम के तहत पिछले 3 साल में भोपाल को केंद्र ने 166.50 करोड़ का अनुदान दिया है। इससे वायु प्रदूषण को कम करने के लिए स्वीपिंग मशीनें आदि खरीदी गयीं। लेकिन हवा नहीं सुधरी।
इन मानकों पर परीक्षण
प्रदूषण नियंत्रण के उद्देश्य से राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम में प्राण ऑनलाइन पोर्टल पर शहरों द्वारा भी स्व-मूल्यांकन किया जाता है। शहरों को ठोस अपशिष्ट, सड़क धूल, निर्माण और विध्वंस कचरे का प्रबंधन, वाहनों के उत्सर्जन पर नियंत्रण और औद्योगिक प्रदूषण के संबंध में लागू की गई गतिविधियों और उपायों की रिपोर्ट देनी होती है।
वायु प्रदूषण से बच्चे ज्यादा प्रभावित
खराब वायु गुणवत्ता उत्पादक न केवल स्वास्थ्य को प्रभावित करती है बल्कि शैक्षिक गुणवत्ता पर भी प्रभाव पड़ता है। अच्छी वायु गुणवत्ता जीवन को बेहतर बना सकती है।
-कोविड, इन्फ्लूएंजा, निमोनिया और पर्टुसिस सहित कई गंभीर बीमारियां हवा के माध्यम से फैलती हैं।
-अस्थमा की जटिलताएं वायु प्रदूषण के कारण ही बढ़ती हैं। गंदी हवा से बच्चे विशेष रूप से प्रभावित होते हैं क्योंकि उनके फेफड़े अभी भी विकसित हो रहे होते हैं।
-वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से चिड़चिड़ापन से लेकर अवसाद और यहां तक कि सिज़ोफ्रेनिया तक विभिन्न मनोवैज्ञानिक समस्याएं पैदा होती हैं।
-बेहतर एकाग्रता खराब इनडोर वायु गुणवत्ता, विशेष रूप से कार्बन डाइऑक्साइड के उच्च स्तर को ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में कमी आती है।
-जब बच्चे का मस्तिष्क विकसित हो रहा होता है, यहां तक कि गर्भ में रहते हुए भी वायु प्रदूषण के उच्च स्तर के संपर्क से बच्चे की संज्ञानात्मक क्षमताओं में कमी आती है।

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