हफ्ते में 3 दिन छुट्टी और बढ़ा हुआ PF…1 जुलाई से लागू हो सकते हैं नए लेबर कोड

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हफ्ते में 3 दिन छुट्टी और बढ़ा हुआ PF…1 जुलाई से लागू हो सकते हैं नए लेबर कोड

हफ्ते में 3 दिन छुट्टी और बढ़ा हुआ PF…1 जुलाई से लागू हो सकते हैं नए लेबर कोड

नई दिल्ली: देश में लंबे वक्त से 4 श्रम संहिताओं (Labour Codes) के लागू होने का इंतजार किया जा रहा है। केन्द्रीय श्रम एवं रोजगार कल्याण मंत्रालय (Ministry of Labour and Employment) ने पिछले साल ही इन श्रम संहिताओं के तहत नियमों को अंतिम रूप दे दिया था। पहले कहा जा रहा था कि 4 नए लेबर कोड अप्रैल 2022 से लागू हो सकते हैं। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। अब ऐसी खबरें हैं कि 1 जुलाई से नए लेबर कोड्स के नियम अमल में आ जाएं।हालांकि अभी तक इस बारे में आधिकारिक तौर पर कोई बयान जारी नहीं हुआ है। लेकिन कहा जा रहा है कि नई श्रम संहिताओं के लागू होने में अभी और वक्त लगेगा क्योंकि सभी राज्य नियम फाइनल नहीं कर पाए हैं।

4 लेबर कोड्स में वेतन/मजदूरी संहिता, औद्योगिक संबंधों पर संहिता, काम विशेष से जुड़ी सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्यस्थल की दशाओं (OSH) पर संहिता और सामाजिक व व्यावसायिक सुरक्षा संहिता शामिल हैं। मंत्रालय ने श्रम कानूनों (Labour Laws) में सुधार के लिए 44 तरह के पुराने श्रम कानूनों को चार वृहद संहिताओं में समाहित किया है। कहा जा रहा है कि इन संहिताओं को लागू करने से देश के श्रम बाजार में सुधरे नियमों-अधिनियमों का नया दौर शुरू होगा।

किन अहम सुधारों की चल रही बात
सरकार का कहना है कि नए कानून अंतरराष्ट्रीय स्तर के हैं। इनके लागू होने पर कर्मचारियों को सप्ताह में चार दिन काम करना होगा यानी उन्हें हफ्ते में तीन दिन की छुट्टी मिलेगी। लेकिन इसके लिए हर हफ्ते 48 घंटे काम करना होगा, यानी एक दिन में 12 घंटे तक काम। अगर किसी से एक हफ्ते में 48 घंटे से ज्यादा काम कराया जाता है तो उसे ज्यादा काम करने पर ओवर टाइम (Overtime) दिया जाए। हालांकि 3 महीने में 125 घंटे से ज्यादा ओवरटाइम पर भी काम नहीं कर सकते। नए लेबर कोड के नियमों के मुताबिक किसी भी कर्मचारी से 5 घंटे से अधिक लगातार काम कराने की इजाजत नहीं है। 5 घंटे के बाद कर्मचारी को आधे घंटे का ब्रेक दिया जाएगा। नए लेबर कोड्स के तहत लेबर और नियोक्ता की सुविधाओं का ख्याल रखा गया है। लेबर को स्किल्स बढ़ाने का इंसेंटिव मिलेगा, रोजगार बढ़ने की भी उम्मीद है।

बढ़ेगी बेसिक सैलरी
नए वेज रूल के तहत तमाम भत्ते कुल सैलरी के 50 फीसदी से अधिक नहीं हो सकते हैं। इसकी वजह से इंप्लॉइज की बेसिक सैलरी में इजाफा होगा। मौजूदा समय में कंपनियां 25-30 फीसदी ही बेसिक सैलरी का हिस्सा रखती हैं। ऐसे में तमाम तरह के अलाउंस 70-75 फीसदी तक होते हैं। इन अलाउंस की वजह से कर्मचारियों के खाते में अधिक सैलरी आती है क्योंकि तमाम तरह के डिडक्शन बेसिक सैलरी पर होते हैं। बेसिक सैलरी बढ़ने से कर्मचारी की इन हैंड सैलरी या टेक होम सैलरी कम हो जाएगी। लेकिन ग्रेच्युटी, पेंशन और कर्मचारी व कंपनी दोनों का ही पीएफ में योगदान बढ़ जाएगा। यानी भविष्य के लिए सेविंग्स बढ़ जाएगी।

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