हनुमानजी के कांधों पर बैठे हैं श्रीराम-लक्ष्मण | Hanumanji | Patrika News

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हनुमानजी के कांधों पर बैठे हैं श्रीराम-लक्ष्मण | Hanumanji | Patrika News

हनुमानजी के कांधों पर बैठे हैं श्रीराम-लक्ष्मण | Hanumanji | Patrika News


इंदौरPublished: Apr 06, 2023 07:04:45 pm

श्री वीर हनुमान मंदिर, महाराजा मल्हारराव होलकर ने किया था स्थापित, रामायण के चार प्रसंगों की झलक है प्रतिमा में

हनुमानजी के कांधों पर बैठे हैं श्रीराम-लक्ष्मण

इंदौर. हम आपको ऐसे हनुमान मंदिर के बारे में बताते हैं जो अनूठा है। बाकी मंदिरों से अलग इस मंदिर में हनुमानजी के कांधों पर श्रीराम-लक्ष्मण बैठे हैं तो एक हाथ में संजीवनी बूटी का पहाड़ उठाए हुए हैं। रामायण के अन्य दो प्रसंग भी प्रतिमा में परिलक्षित होते हैं।
यह मंदिर टोरी कॉर्नर पर है जहां हनुमानजी की ऐसी प्रतिमा स्थापित है, जिस पर सिंदूर नहीं चढ़ता। मंदिर का नाम श्री वीर हनुमान मंदिर है। यहां हनुमानजी की मार्बल की प्रतिमा है, जिस पर वर्ष में एक बार रंग किया जाता है।
रंगने के लिए इंदौर के ही कलाकार होते हैं। पं. काशीनाथ गंगाधर वैद्य और पं. वैभव वैद्य ने बताया, मंदिर की स्थापना महाराजा मल्हारराव होलकर ने की थी। साढ़े पांच फीट ऊंची प्रतिमा 200 साल पुरानी है। इसे महाराष्ट्र के मूर्तिजापुर से लाया गया था। इस प्रतिमा में हनुमान जी के चार बड़े कार्यों का प्रसंग दर्शाया गया है। प्रतिमा में हनुमान के कंधे पर भगवान श्रीराम-लक्ष्मण के साथ बैठे हैं। एक हाथ में संजीवनी बूटी पर्वत है। अन्य दो प्रसंग में अपने बाएं चरण में पाताल की अहिरावन की कुलदेवी और लंका का विध्वंस दर्शाया गया है।
मंदिर में सुबह-शाम पूजा-पाठ-आरती होती है। मंगलवार-शनिवार को सुंदरकांड होता है। दीपावली पर अन्नकूट, 56 भोग लगता है। रामनवमी पर भी आयोजन होते हैं।
मान्यता है कि हनुमानजी भक्तों के संकट दूर करते हैं। राजेंद्र नगर, सिलिकॉन सिटी, पीपल्याहाना के अलावा उज्जैन, देवास, महाराष्ट्र से भी भक्तजन दर्शन के लिए आते हैं। भक्तों का कहना है कि इस तरह की प्रतिमा के दर्शन बहुत दुर्लभ होते हैं। एक ही प्रतिमा में रामायण के चार प्रसंगों को दर्शाया हुआ है, जो अन्यत्र कम ही दिखता है।
सिंदूर से श्रंृगारित स्वयंभू प्रतिमा
बड़ी प्रतिमा के पास ही दाईं ओर स्थापित हनुमानजी की यह छोटी प्रतिमा स्वंयभू बताई जाती है। भक्तों को जो भी अर्पण करना होता है, इन्हें ही किया जाता है। इन्हें सिंदूर से श्रृंगारित किया जाता है। अन्य पूजन सामग्री जैसे पुष्पमाला, प्रसाद आदि सभी इन्हें अर्पित किया जाता है। दर्शन के लिए सैकड़ों लोग आते हैं।
जन्मोत्सव पर आयोजन
5 अप्रेल से 11 अप्रेल तक मंदिर में विभिन्न आयोजन रखे गए हैं। 6 अप्रेल को प्रात: 4 बजे हनुमान जन्मोत्सव, महाआरती और रुद्राभिषेक तथा 8 अप्रेल को संगीतमय सुंदरकांड पाठ और 11 अप्रेल को हनुमान चालीसा पाठ, हवन और शाम को महाआरती होगी। 56 भोग लगेगा।

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