स्थिर सरकार, सबसे बड़ी डेमोक्रेसी, बढ़ती GDP और सबसे बड़ी युवा आबादी… अगले 10 साल देश के लिए शानदार होंगेः नितिन कामथ h3>
फोर्ब्स बिलेनियर्स 2023 की लिस्ट में शामिल जेरोधा के फाउंडर सीईओ नितिन कामथ 65 लाख से अधिक ग्राहकों तक पहुंच बना चुके हैं और रिटेल निवेशक की नब्ज को काफी अच्छी तरह समझते हैं। इंडिया की ग्रोथ स्टोरी पर खुश होने के साथ वह इस सचाई से भी रूबरू होना जरूरी समझते हैं कि भारत अभी तक एक गरीब देश है। उनसे बात की सुधा श्रीमाली ने। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:पिछले दिनों आपको इकॉनमिक टाइम्स का आंत्रप्रेन्योर ऑफ ईयर अवॉर्ड दिया गया। इसके बाद आपने कहा कि सक्सेसफुल बिजनेस के जो मापदंड माने जाते हैं, उन्हें आपने फॉलो नहीं किया। ऐसे में कंपनी की सफलता का मूल किसे मानते हैं?
मेरा बिजनेस बैकग्राउंड नहीं रहा और न ही पढ़ाई में इतना अच्छा था कि हायर स्टडी कर सकूं। उम्मीदों का बोझ कम होने से मैंने अपनी पसंद का काम करना शुरू किया। 1999 से मैं स्टॉक ट्रेडिंग करने लगा था। 2010 में जेरोधा शुरू हुआ। सबसे जरूरी है कि जिस काम से आप प्यार करते हैं, उसी के अराउंड कुछ करें। मेरे मामले में सबसे अच्छा यह रहा कि किशोरावस्था में ही मैंने पता कर लिया था कि मेरी रुचियां क्या हैं। सही समय, सही लोग और खुद के अनुभव ने भाग्य का निर्माण किया। इस यात्रा में मुझे कभी लगा नहीं कि एमबीए स्कूलों में जिस गलाकाट होड़ की बात की जाती है, उसकी जरूरत है। बेहतर है कि सभी को डेमोक्रेटिक माहौल में काम करने का मौका मिले, फिर यही पावर बिजनेस को सफल बना देती है। मेरे लिए ह्यूमन कैपिटल ही सब कुछ है।
अगले दस वर्षों में इंडिया की ग्रोथ स्टोरी को आप कैसे देखते हैं? इसमें रिटेल निवेशक का पार्टिसिपेशन कितना बढ़ेगा?
इंडिया का प्रदर्शन बाकी दुनिया के मुकाबले काफी अच्छा है। स्थिर सरकार, सबसे बड़ी डेमोक्रेसी, बढ़ती जीडीपी, सबसे बड़ी युवा आबादी, इंटरनेट की पहुंच, डिजिटल इनिशटिव जैसी चीजें बता रही हैं कि आगे पांच-दस साल बाकी दुनिया के मुकाबले भारत अच्छा करेगा। रिटेल निवेशक का मार्केट पार्टिसिपेशन म्यूचुअल फंड SIP के जरिए बढ़ेगा।
इंडिया की ग्रोथ स्टोरी को देखते हुए अभी भी रिटेल निवेशकों की संख्या बहुत कम है। क्या वजह है?
बड़ी समस्या यह है कि भारत अभी तक एक गरीब देश है। मेट्रो शहरों में होते हैं तो लगता है कि हम अमीर हैं, लेकिन हम नहीं हैं। सिर्फ 1 पर्सेंट आबादी की तरक्की का मतलब देश की तरक्की नहीं है। अभी भी ज्यादातर परिवारों की मासिक आमदनी 20,000-30,000 रुपये है। इसमें व्यक्ति खाए या इन्वेस्ट करे? इस समस्या का हल यह है कि देश की समावेशी ग्रोथ हो। हमें सभी को आगे बढ़ाना है, ताकि सभी को काम और पैसा बनाने के मौके मिलें। जब 150 करोड़ की आबादी में 15-20 करोड़ लोग इनकम टैक्स फाइल करेंगे, तब प्रति व्यक्ति आय से निवेश बढ़ेगा। निवेशकों को भी टाइम देना होगा और हम जैसे लोगों को रिस्क मैनेजमेंट पर पूरा फोकस रखना होगा।
क्या आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (AI) नौकरियां छीन लेगा?
हमने अपनी टीम को AI की वजह से नौकरी जाने के खतरे को स्पष्ट करने के लिए एक इंटरनल AI पॉलिसी तैयार की है। हमने एक नई टेक्नॉलजी को अपनाया, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि कर्मचारियों को नौकरी से निकालने वाले हैं। लेकिन 5-10 साल में AI के चलते नौकरियों पर जब मुश्किल आएगी, उसके लिए आपको पहले से तैयार रहना होगा।
फाइनैंशल इन्फ्लुएंसर्स को लेकर आपका क्या कहना है? सेबी इस पर चिंता जता चुका है…
ये बहुत ही पावरफुल हैं। लेकिन तभी तक, जब तक वे एजुकेशन और अवेयरनेस तक सीमित हैं। मुश्किल तब खड़ी होती है, जब वे जल्दी-जल्दी पैसा बनाने के दावे करने लगते हैं। ऐसे में पब्लिक उनके प्रभाव में आकर गलत निर्णय भी लेती है। लोगों को समझना होगा कि ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग अलग-अलग चीजें हैं। 99 फीसदी लोगों के लिए इन्वेस्टिंग ही सही है।
आगे शेयर बाजार की चाल कैसी रहने की उम्मीद है?
मार्केट आगे कैसा रहेगा, इसका पूर्वानुमान कोई नहीं लगा सकता। अभी इंडिया अडवांटेज पर है, लेकिन अगर अमेरिका में ब्याज दरें ऊंची बनी रहीं, तो पूंजी की उपलब्धता कम हो जाएगी और इसके बुरे नतीजे भारतीय बाजार पर भी दिखेंगे। जब पूरी दुनिया के शेयर बाजार में गिरावट आएगी, तो भारतीय बाजार के लिए मजबूती से टिके रहना मुश्किल होगा। उसकी वजह यह है कि भारत की इकॉनमी वैश्विक अर्थव्यवस्था से जुड़ी हुई है।
इधर भारत में 18 देशों ने रुपये में ट्रेड अकाउंट खोले हैं। भारतीय करंसी की लोकप्रियता को लेकर आप क्या कहेंगे?
अभी इंडियन करंसी के लिए अच्छा अवसर है और यह लोकप्रिय भी हो रही है। हां, पसंदीदा मुद्रा के रूप में तो आगे भी डॉलर का दबदबा बना रहेगा, क्योंकि सभी का भरोसा डॉलर पर है और सभी को डॉलर ही चाहिए।
इंडियन फिनटेक इंडस्ट्री में आगे क्या इनोवेशन हो सकते हैं?
फिनटेक का काफी बड़ा दायरा है। अभी ज्यादा इनोवेशन लेंडिंग बिजनेस में हुआ है। इसमें सेविंग-इन्वेस्टमेंट, इंश्योरेंस में काफी अवसर हैं। हां, एडवाइजरी बिजनेस अभी भारत में बढ़ा नहीं है। फिनटेक के लिए सबसे बड़ा अवसर एडवाइजरी बिजनेस में है, क्योंकि इसके जरिए लोगों को सही निर्णय लेने में मदद की जा सकती है।
आपके लिए खुशी के क्या मायने हैं?
अगर आप जिंदगी में वह नहीं कर रहे, जिससे आप प्यार करते हैं, तो आप खुशी पैसा खर्च करने में ढूंढते हैं। अक्सर होता है कि पैसा आने के साथ-साथ लाइफस्टाइल भी बदलती है। आपकी गाड़ी, घर सब बदलता है। मुझे लगता है कि मेरी जिंदगी में पिछले 4-5 साल में किसी तरह का बदलाव नहीं आया है, क्योंकि हर वक्त एक एक्साइटमेंट है। किसी प्रॉब्लम को सॉल्व करने और जानने की उत्सुकता है। हमेशा जिज्ञासु बने रहना ही सबसे असली खुशी है। जिंदगी को सार्थक बनाने के लिए जिंदगी को महसूस करना जरूरी है।
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मेरा बिजनेस बैकग्राउंड नहीं रहा और न ही पढ़ाई में इतना अच्छा था कि हायर स्टडी कर सकूं। उम्मीदों का बोझ कम होने से मैंने अपनी पसंद का काम करना शुरू किया। 1999 से मैं स्टॉक ट्रेडिंग करने लगा था। 2010 में जेरोधा शुरू हुआ। सबसे जरूरी है कि जिस काम से आप प्यार करते हैं, उसी के अराउंड कुछ करें। मेरे मामले में सबसे अच्छा यह रहा कि किशोरावस्था में ही मैंने पता कर लिया था कि मेरी रुचियां क्या हैं। सही समय, सही लोग और खुद के अनुभव ने भाग्य का निर्माण किया। इस यात्रा में मुझे कभी लगा नहीं कि एमबीए स्कूलों में जिस गलाकाट होड़ की बात की जाती है, उसकी जरूरत है। बेहतर है कि सभी को डेमोक्रेटिक माहौल में काम करने का मौका मिले, फिर यही पावर बिजनेस को सफल बना देती है। मेरे लिए ह्यूमन कैपिटल ही सब कुछ है।
अगले दस वर्षों में इंडिया की ग्रोथ स्टोरी को आप कैसे देखते हैं? इसमें रिटेल निवेशक का पार्टिसिपेशन कितना बढ़ेगा?
इंडिया का प्रदर्शन बाकी दुनिया के मुकाबले काफी अच्छा है। स्थिर सरकार, सबसे बड़ी डेमोक्रेसी, बढ़ती जीडीपी, सबसे बड़ी युवा आबादी, इंटरनेट की पहुंच, डिजिटल इनिशटिव जैसी चीजें बता रही हैं कि आगे पांच-दस साल बाकी दुनिया के मुकाबले भारत अच्छा करेगा। रिटेल निवेशक का मार्केट पार्टिसिपेशन म्यूचुअल फंड SIP के जरिए बढ़ेगा।
इंडिया की ग्रोथ स्टोरी को देखते हुए अभी भी रिटेल निवेशकों की संख्या बहुत कम है। क्या वजह है?
बड़ी समस्या यह है कि भारत अभी तक एक गरीब देश है। मेट्रो शहरों में होते हैं तो लगता है कि हम अमीर हैं, लेकिन हम नहीं हैं। सिर्फ 1 पर्सेंट आबादी की तरक्की का मतलब देश की तरक्की नहीं है। अभी भी ज्यादातर परिवारों की मासिक आमदनी 20,000-30,000 रुपये है। इसमें व्यक्ति खाए या इन्वेस्ट करे? इस समस्या का हल यह है कि देश की समावेशी ग्रोथ हो। हमें सभी को आगे बढ़ाना है, ताकि सभी को काम और पैसा बनाने के मौके मिलें। जब 150 करोड़ की आबादी में 15-20 करोड़ लोग इनकम टैक्स फाइल करेंगे, तब प्रति व्यक्ति आय से निवेश बढ़ेगा। निवेशकों को भी टाइम देना होगा और हम जैसे लोगों को रिस्क मैनेजमेंट पर पूरा फोकस रखना होगा।
क्या आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (AI) नौकरियां छीन लेगा?
हमने अपनी टीम को AI की वजह से नौकरी जाने के खतरे को स्पष्ट करने के लिए एक इंटरनल AI पॉलिसी तैयार की है। हमने एक नई टेक्नॉलजी को अपनाया, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि कर्मचारियों को नौकरी से निकालने वाले हैं। लेकिन 5-10 साल में AI के चलते नौकरियों पर जब मुश्किल आएगी, उसके लिए आपको पहले से तैयार रहना होगा।
फाइनैंशल इन्फ्लुएंसर्स को लेकर आपका क्या कहना है? सेबी इस पर चिंता जता चुका है…
ये बहुत ही पावरफुल हैं। लेकिन तभी तक, जब तक वे एजुकेशन और अवेयरनेस तक सीमित हैं। मुश्किल तब खड़ी होती है, जब वे जल्दी-जल्दी पैसा बनाने के दावे करने लगते हैं। ऐसे में पब्लिक उनके प्रभाव में आकर गलत निर्णय भी लेती है। लोगों को समझना होगा कि ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग अलग-अलग चीजें हैं। 99 फीसदी लोगों के लिए इन्वेस्टिंग ही सही है।
आगे शेयर बाजार की चाल कैसी रहने की उम्मीद है?
मार्केट आगे कैसा रहेगा, इसका पूर्वानुमान कोई नहीं लगा सकता। अभी इंडिया अडवांटेज पर है, लेकिन अगर अमेरिका में ब्याज दरें ऊंची बनी रहीं, तो पूंजी की उपलब्धता कम हो जाएगी और इसके बुरे नतीजे भारतीय बाजार पर भी दिखेंगे। जब पूरी दुनिया के शेयर बाजार में गिरावट आएगी, तो भारतीय बाजार के लिए मजबूती से टिके रहना मुश्किल होगा। उसकी वजह यह है कि भारत की इकॉनमी वैश्विक अर्थव्यवस्था से जुड़ी हुई है।
इधर भारत में 18 देशों ने रुपये में ट्रेड अकाउंट खोले हैं। भारतीय करंसी की लोकप्रियता को लेकर आप क्या कहेंगे?
अभी इंडियन करंसी के लिए अच्छा अवसर है और यह लोकप्रिय भी हो रही है। हां, पसंदीदा मुद्रा के रूप में तो आगे भी डॉलर का दबदबा बना रहेगा, क्योंकि सभी का भरोसा डॉलर पर है और सभी को डॉलर ही चाहिए।
इंडियन फिनटेक इंडस्ट्री में आगे क्या इनोवेशन हो सकते हैं?
फिनटेक का काफी बड़ा दायरा है। अभी ज्यादा इनोवेशन लेंडिंग बिजनेस में हुआ है। इसमें सेविंग-इन्वेस्टमेंट, इंश्योरेंस में काफी अवसर हैं। हां, एडवाइजरी बिजनेस अभी भारत में बढ़ा नहीं है। फिनटेक के लिए सबसे बड़ा अवसर एडवाइजरी बिजनेस में है, क्योंकि इसके जरिए लोगों को सही निर्णय लेने में मदद की जा सकती है।
आपके लिए खुशी के क्या मायने हैं?
अगर आप जिंदगी में वह नहीं कर रहे, जिससे आप प्यार करते हैं, तो आप खुशी पैसा खर्च करने में ढूंढते हैं। अक्सर होता है कि पैसा आने के साथ-साथ लाइफस्टाइल भी बदलती है। आपकी गाड़ी, घर सब बदलता है। मुझे लगता है कि मेरी जिंदगी में पिछले 4-5 साल में किसी तरह का बदलाव नहीं आया है, क्योंकि हर वक्त एक एक्साइटमेंट है। किसी प्रॉब्लम को सॉल्व करने और जानने की उत्सुकता है। हमेशा जिज्ञासु बने रहना ही सबसे असली खुशी है। जिंदगी को सार्थक बनाने के लिए जिंदगी को महसूस करना जरूरी है।
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