स्कूलों में पढ़ने वाले 2 हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स को मिलेंगी साइकिल | 2 thousand students studying in schools will get cycles | Patrika News h3>
छात्र-छात्राओं के लिए साइकिल देने मैपिंग का काम शुरू हो गया है। भोपाल जिले में संचालित होने वाले स्कूल के प्राचार्यों ने साइकिल के लिए 3 हजार 22 छात्र-छात्राओं की सूची तैयार कर जिला शिक्षा कार्यालय भेजी थी, लेकिन मैपिंग के बाद 681 विद्यार्थी अपात्र हो गए हैं। साइकिल के लिए जिले के कुल 2 हजार 94 विद्यार्थियों का चयन किया गया है।
बता दें कि शैक्षणिक सत्र 2020-21 में साइकिल देने के लिए जनवरी 2020 में प्रस्ताव तैयार किया गया था, पर कोरोना संक्रमण के कारण देशभर में लॉकडाउन लग गया था। डीपीआइ पर साइकिल खरीदी में गड़बड़ी के आरोप लगते रहे हैं। इस बार बच्चे अपनी पसंद की साइकिल ले सकें इस लिए शिक्षा विभाग की ओर से 4000 रुपए दिए जाएंगे।
पैसे मिलाकर ले सकेंगे महंगी साइकिल
सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को दी जाने वाली साइकिल को लेकर डीपीआइ पर साइकिल खरीदी में गड़बड़ी और घटिया क्वालिटी की साइकिल खरीदने के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन पायलट प्रोजेक्ट के तहत भोपाल और इंदौर के स्कूलों में पढऩे वाले बच्चे अपनी पसंद की साइकिल ले सकेंगे। इन बच्चों को शिक्षा विभाग की ओर से 4000 रुपए टोकन के रूप में दिए जाएंगे। बच्चों के अभिभावक चाहें तो इसमें पैसे मिलाकर महंगी साइकिल भी ले सकते हैं।
आरटीई के दो राउंड में भी नहीं भर पाई सीटें
निजी स्कूलों में गरीब बच्चों के लिए रिजर्व करीब डेढ़ लाख सीटें अब भी खाली हैं। जबकि आरटीई में दाखिले के लिए दो राउंड पूरे हो चुके हैं। सीटों के खाली रहने का एक कारण बच्चों के लिए अभिभावकों के मनमुताबिक स्कूल न मिलना भी है। अधिकारियों का कहना है कि अभिभावक बड़े स्कूलों का ही चयन करते हैं। बड़े स्कूलों में आवेदनों की संख्या अधिक होने के कारण सीटें जल्दी भर जातीं हैं, वहीं छोटे स्कूलों के लिए आवेदन न होने के कारण सीटें खाली रह जाती हैं।
शिक्षा का अधिकार कानून के तहत राज्य शिक्षा केंद्र (आरएसके) को पहले राउंड में 2 लाख 13 हजार 4 आवेदन प्राप्त हुए थे, इसमें से 1 लाख 71 हजार 921 बच्चों के दस्तावेजों का सत्यापन किया गया। इसमें से 1 लाख 39 हजार 725 बच्चों को ऑनलाइन लॉटरी के माध्यम से स्कूल आवंटित किए गए, लेकिन 61 हजार 579 बच्चे ऐसे थे, जिनके आवेदन में त्रुटि या सत्यापन ना होने के कारण स्कूल आवंटन नहीं हो सका था। इन बच्चों के लिए लॉटरी के द्वितीय चरण में स्कूलों का आवंटन किया गया। दूसरे राउंड के लिए अभिभावकों को दोबारा च्वाइस फिलिंग करना थी।
च्वाइस फिलिंग के बाद 2 अगस्त को लॉटरी निकाल कर सीटें आवंटित की गई, लेकिन दूसरे राउंड में सिर्फ 5 हजार 179 विद्यार्थियों ने ही एडमिशन लिया। जबकि इस साल शासन द्वारा वंचित समूह एवं कमजोर वर्ग में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन वनग्राम के बदावारी परिवार गरीबी रेखा के जीवनयापन करने वाले परिवार के अनाथ बच्चों तथा कोविङ 19 के कारण अनाथ बच्चों एवं एचआईवी से प्रभावित बच्चों को भी शामिल किया था।
छात्र-छात्राओं के लिए साइकिल देने मैपिंग का काम शुरू हो गया है। भोपाल जिले में संचालित होने वाले स्कूल के प्राचार्यों ने साइकिल के लिए 3 हजार 22 छात्र-छात्राओं की सूची तैयार कर जिला शिक्षा कार्यालय भेजी थी, लेकिन मैपिंग के बाद 681 विद्यार्थी अपात्र हो गए हैं। साइकिल के लिए जिले के कुल 2 हजार 94 विद्यार्थियों का चयन किया गया है।
बता दें कि शैक्षणिक सत्र 2020-21 में साइकिल देने के लिए जनवरी 2020 में प्रस्ताव तैयार किया गया था, पर कोरोना संक्रमण के कारण देशभर में लॉकडाउन लग गया था। डीपीआइ पर साइकिल खरीदी में गड़बड़ी के आरोप लगते रहे हैं। इस बार बच्चे अपनी पसंद की साइकिल ले सकें इस लिए शिक्षा विभाग की ओर से 4000 रुपए दिए जाएंगे।
पैसे मिलाकर ले सकेंगे महंगी साइकिल
सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को दी जाने वाली साइकिल को लेकर डीपीआइ पर साइकिल खरीदी में गड़बड़ी और घटिया क्वालिटी की साइकिल खरीदने के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन पायलट प्रोजेक्ट के तहत भोपाल और इंदौर के स्कूलों में पढऩे वाले बच्चे अपनी पसंद की साइकिल ले सकेंगे। इन बच्चों को शिक्षा विभाग की ओर से 4000 रुपए टोकन के रूप में दिए जाएंगे। बच्चों के अभिभावक चाहें तो इसमें पैसे मिलाकर महंगी साइकिल भी ले सकते हैं।
आरटीई के दो राउंड में भी नहीं भर पाई सीटें
निजी स्कूलों में गरीब बच्चों के लिए रिजर्व करीब डेढ़ लाख सीटें अब भी खाली हैं। जबकि आरटीई में दाखिले के लिए दो राउंड पूरे हो चुके हैं। सीटों के खाली रहने का एक कारण बच्चों के लिए अभिभावकों के मनमुताबिक स्कूल न मिलना भी है। अधिकारियों का कहना है कि अभिभावक बड़े स्कूलों का ही चयन करते हैं। बड़े स्कूलों में आवेदनों की संख्या अधिक होने के कारण सीटें जल्दी भर जातीं हैं, वहीं छोटे स्कूलों के लिए आवेदन न होने के कारण सीटें खाली रह जाती हैं।
शिक्षा का अधिकार कानून के तहत राज्य शिक्षा केंद्र (आरएसके) को पहले राउंड में 2 लाख 13 हजार 4 आवेदन प्राप्त हुए थे, इसमें से 1 लाख 71 हजार 921 बच्चों के दस्तावेजों का सत्यापन किया गया। इसमें से 1 लाख 39 हजार 725 बच्चों को ऑनलाइन लॉटरी के माध्यम से स्कूल आवंटित किए गए, लेकिन 61 हजार 579 बच्चे ऐसे थे, जिनके आवेदन में त्रुटि या सत्यापन ना होने के कारण स्कूल आवंटन नहीं हो सका था। इन बच्चों के लिए लॉटरी के द्वितीय चरण में स्कूलों का आवंटन किया गया। दूसरे राउंड के लिए अभिभावकों को दोबारा च्वाइस फिलिंग करना थी।
च्वाइस फिलिंग के बाद 2 अगस्त को लॉटरी निकाल कर सीटें आवंटित की गई, लेकिन दूसरे राउंड में सिर्फ 5 हजार 179 विद्यार्थियों ने ही एडमिशन लिया। जबकि इस साल शासन द्वारा वंचित समूह एवं कमजोर वर्ग में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन वनग्राम के बदावारी परिवार गरीबी रेखा के जीवनयापन करने वाले परिवार के अनाथ बच्चों तथा कोविङ 19 के कारण अनाथ बच्चों एवं एचआईवी से प्रभावित बच्चों को भी शामिल किया था।