सोशल मीडिया पर पुलिस का दंगा विरोधी ऑपरेशन यथार्थ | bhopal police | Patrika News h3>
सांप्रदायिक, भड़काऊ मैसेज करने पर अब तक 5 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज
1 से 3 वर्ष तक की सजा संभव
फोटो रुटीन गु्रप में
भोपाल. कालोनियों की सोसाइटी या अन्य व्हाट्सएप ग्रुप, ट्विटर पर किसी भी प्रकार का सांप्रदायिक या भड़काऊ संदेश पोस्ट करने पर आप के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 153 ए के अंतर्गत एफआइआर दर्ज हो सकती है।
भोपाल
Published: April 15, 2022 08:36:59 pm
इस धारा के अंतर्गत 3 वर्ष तक की सजा का प्रावधान है। भोपाल पुलिस सोशल मीडिया पर असामाजिक तत्व एवं कतिपय लोगों द्वारा शांति भंग करने की नियत से किए जा रहे दुष्प्रचार को रोकने के लिए दंगा विरोधी ऑपरेशन यथार्थ चला रही है। इस ऑपरेशन के अंतर्गत अभी तक शहर के मंगलवारा, कटारा हिल्स, हनुमानगंज थाना क्षेत्रों में 5 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है। ऐसे लोगों को सोशल मीडिया से 1 साल तक प्रतिबंधित कर मोबाइल एवं कंप्यूटर से दूर रखने के लिए राज्य सुरक्षा अधिनियम की धारा 3 के अंतर्गत पुलिस कमिश्नर के द्वारा आदेश जारी किए जा रहे हैं। भोपाल में यह पहला मौका है जब सोशल मीडिया पर मनमाने तरीके से संदेश भेज कर धार्मिक भावनाएं आहत करने एवं भड़काऊ वातावरण निर्मित करने की कोशिशों को पुलिस सख्ती से निपट रही है।
आम लोगों का आर्थिक दोस्त बना मोबाइल, उधर साइबर अपराधियों ने बनाया लूट का जरिया.
कॉलोनियों के ग्रुप में सर्वाधिक मैसेज
नए एवं पुराने भोपाल के कवर्ड कैंपस, मल्टीस्टोरी कैंपस एवं कॉलोनियों में रहने वाले लोगों ने सैकड़ों की संख्या में लोगों को शामिल कर व्हाट्सएप पर ग्रुप बनाए हुए हैं। इस ग्रुप को बनाने का मुख्य उद्देश्य कॉलोनी एवं कैंपस से संबंधित जानकारियों का आदान प्रदान करना था लेकिन सोशल मीडिया पर वायरल होने वाली सांप्रदायिक संदेश भी इन ग्रुप पर तेजी से आने लगे। स्थिति यह बनने लगी की रोकने के बाद भी लोग भड़काऊ संदेश भेजने से बाज नहीं आ रहे थे। पुलिस ने अब इस तरह के व्हाट्सएप ग्रुप पर मैसेज आने या सोशल मीडिया के किसी अन्य प्लेटफार्म पर गलत फोटो या संदेश वायरल करने वाले मामलों को चिन्हित करने के लिए डिजिटल लैब बनाकर बाकायदा प्रकरण चिन्हित करने की कार्रवाई शुरू की है।
वर्जन—-
किसी भी प्रकार की शिकायत या शंका होने पर पुलिस अधिकारियों से संपर्क करें। सोशल मीडिया पर मैसेज या फोटो वायरल करने की बजाय इसे अधिकारियों से साझा किया जाए ताकि तत्काल कार्रवाई की जा सके।
मकरंद देउसकर, पुलिस कमिश्नर
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सांप्रदायिक, भड़काऊ मैसेज करने पर अब तक 5 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज
1 से 3 वर्ष तक की सजा संभव
फोटो रुटीन गु्रप में
भोपाल. कालोनियों की सोसाइटी या अन्य व्हाट्सएप ग्रुप, ट्विटर पर किसी भी प्रकार का सांप्रदायिक या भड़काऊ संदेश पोस्ट करने पर आप के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 153 ए के अंतर्गत एफआइआर दर्ज हो सकती है।
भोपाल
Published: April 15, 2022 08:36:59 pm
इस धारा के अंतर्गत 3 वर्ष तक की सजा का प्रावधान है। भोपाल पुलिस सोशल मीडिया पर असामाजिक तत्व एवं कतिपय लोगों द्वारा शांति भंग करने की नियत से किए जा रहे दुष्प्रचार को रोकने के लिए दंगा विरोधी ऑपरेशन यथार्थ चला रही है। इस ऑपरेशन के अंतर्गत अभी तक शहर के मंगलवारा, कटारा हिल्स, हनुमानगंज थाना क्षेत्रों में 5 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है। ऐसे लोगों को सोशल मीडिया से 1 साल तक प्रतिबंधित कर मोबाइल एवं कंप्यूटर से दूर रखने के लिए राज्य सुरक्षा अधिनियम की धारा 3 के अंतर्गत पुलिस कमिश्नर के द्वारा आदेश जारी किए जा रहे हैं। भोपाल में यह पहला मौका है जब सोशल मीडिया पर मनमाने तरीके से संदेश भेज कर धार्मिक भावनाएं आहत करने एवं भड़काऊ वातावरण निर्मित करने की कोशिशों को पुलिस सख्ती से निपट रही है।
आम लोगों का आर्थिक दोस्त बना मोबाइल, उधर साइबर अपराधियों ने बनाया लूट का जरिया.
कॉलोनियों के ग्रुप में सर्वाधिक मैसेज
नए एवं पुराने भोपाल के कवर्ड कैंपस, मल्टीस्टोरी कैंपस एवं कॉलोनियों में रहने वाले लोगों ने सैकड़ों की संख्या में लोगों को शामिल कर व्हाट्सएप पर ग्रुप बनाए हुए हैं। इस ग्रुप को बनाने का मुख्य उद्देश्य कॉलोनी एवं कैंपस से संबंधित जानकारियों का आदान प्रदान करना था लेकिन सोशल मीडिया पर वायरल होने वाली सांप्रदायिक संदेश भी इन ग्रुप पर तेजी से आने लगे। स्थिति यह बनने लगी की रोकने के बाद भी लोग भड़काऊ संदेश भेजने से बाज नहीं आ रहे थे। पुलिस ने अब इस तरह के व्हाट्सएप ग्रुप पर मैसेज आने या सोशल मीडिया के किसी अन्य प्लेटफार्म पर गलत फोटो या संदेश वायरल करने वाले मामलों को चिन्हित करने के लिए डिजिटल लैब बनाकर बाकायदा प्रकरण चिन्हित करने की कार्रवाई शुरू की है।
वर्जन—-
किसी भी प्रकार की शिकायत या शंका होने पर पुलिस अधिकारियों से संपर्क करें। सोशल मीडिया पर मैसेज या फोटो वायरल करने की बजाय इसे अधिकारियों से साझा किया जाए ताकि तत्काल कार्रवाई की जा सके।
मकरंद देउसकर, पुलिस कमिश्नर
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