सैलरी के पैसे नहीं, कार की चाबी दराज में है.. तालिबान से तंग चीन में अफगान राजदूत ने दिया इस्तीफा

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सैलरी के पैसे नहीं, कार की चाबी दराज में है.. तालिबान से तंग चीन में अफगान राजदूत ने दिया इस्तीफा


सैलरी के पैसे नहीं, कार की चाबी दराज में है.. तालिबान से तंग चीन में अफगान राजदूत ने दिया इस्तीफा

हाइलाइट्स

  • अफगानिस्‍तान में तालिबान राज आने के बाद से देश की अर्थव्‍यवस्‍था का बुरा हाल है
  • अमेरिका ने अफगानिस्‍तान के अरबों डॉलर रोक लिए हैं और तालिबान परेशान है
  • इस बीच तालिबान ने विदेशों में अफगान राजदूतों को पैसा भेजना बंद कर दिया है

काबुल
अफगानिस्‍तान में तालिबान राज आने के बाद से देश की अर्थव्‍यवस्‍था का बुरा हाल है। अमेरिका ने अफगानिस्‍तान के अरबों डॉलर रोक लिए हैं और तालिबान अब दुनिया के सामने झोली फैला रहा है। इस बीच तालिबान ने विदेशों में अफगान राजदूतों को पैसा भेजना बंद कर दिया है। ये सभी राजदूत पिछली अशरफ गनी सरकार के रखे हुए हैं। इससे उनके सामने पैसे की किल्‍लत शुरू हो गई। चीन में तो अफगान राजदूत जाविद अहमद कइम ने एक पत्र लिखकर इस्‍तीफा दे दिया है। उनका यह इस्‍तीफा सोशल मीडिया पर सुर्खियां बना हुआ है।

अफगान राजदूत ने अपने पत्र में खुलासा किया है कि उनके कर्मचारियों को पिछले कई महीने से सैलरी नहीं दी जा रही थी। केवल एक रिसेप्शनिस्ट ही बचा है जो फोन कॉल का जवाब देता है। जाविद ने ट्वीट करके कहा, ‘चूंकि पिछले 6 महीने से हमें काबुल से कोई सैलरी नहीं मिली है, हमने राजनयिकों के बीच ही एक कमिटी बनाई थी ताकि वित्‍तीय संकट को हल किया जा सके।’ उन्‍होंने यह पत्र अफगान विदेश मंत्रालय को 1 जनवरी को भेजा था लेकिन सोमवार को इसे ट्वीट करके दुनिया के सामने ला दिया।
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दूतावास की 5 कारों की चाबी को अपने ऑफिस में ही छोड़ा
राजदूत जाविद ने अपने उत्‍तराधिकारी के लिए कुछ पैसा छोड़ दिया है। उन्‍होंने कहा, ‘आज के दिन में 1 जनवरी 2022 को बैंक खाते में 1 लाख डॉलर बचे हुए हैं।’ जाविद ने यह नहीं बताया कि वह अब आगे कहां जा रहे हैं। जाविद के पत्र से खुलासा हुआ है कि उन्‍होंने दूतावास की 5 कारों की चाबी को अपने ऑफिस में ही छोड़ दिया है। उन्‍होंने एक स्‍थानीय कर्मचारी को नियुक्‍त किया है ताकि सभी राजनयिकों के चले जाने पर लोगों के फोन कॉल का जवाब दिया जा सके।

दुनियाभर में कुछ ऐसी ही हालत ज्‍यादातर अफगान दूतावासों की है। इन दूतावासों को अभी भी वे लोग चला रहे हैं जो पूर्ववर्ती अशरफ गनी सरकार के प्रति वफादार हैं। जाविद ने बताया कि काबुल पर तालिबान के कब्‍जे के बाद कई अफगान राजनयिक चीन से चले गए। उन्‍होंने अपने इस्‍तीफे को ‘एक सम्‍मानित जिम्‍मेदारी का अंत’ करार दिया। पत्र में कहा गया है, ‘मेरा मानना है कि ज‍ब कोई नया आदमी आएगा तब कोई (पुराना) राजनयिक बचा ही नहीं होगा।’

तालिबान की ओर से अभी इस इस्‍तीफे पर कुछ नहीं कहा गया
कई लोगों का दावा है कि चीन सरकार ने जाविद की मदद नहीं की जो अभी तालिबान सरकार की खुशामद में जुटी हुई है। अभी तक यह स्‍पष्‍ट नहीं हुआ है कि जाविद की जगह पर तालिबान किसे राजदूत बनाएगा। तालिबान की ओर से अभी इस इस्‍तीफे पर कुछ नहीं कहा गया है। जाविद नवंबर 2019 में राजदूत बनाए गए थे और उन्‍होंने तालिबान के प्रतिनिधिमंडल के चीन दौरे पर चिंता जताई थी। इसके कुछ सप्‍ताह बाद ही तालिबान ने अफगानिस्‍तान पर कब्‍जा कर लिया।



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