सुप्रीम कोर्ट में पूजा स्थल कानून पर सुनवाई टली: 3 जजों की बेंच में होनी थी, CJI बोले- आज 2 जज मौजूद, बाद में देखेंगे

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सुप्रीम कोर्ट में पूजा स्थल कानून पर सुनवाई टली:  3 जजों की बेंच में होनी थी, CJI बोले- आज 2 जज मौजूद, बाद में देखेंगे

सुप्रीम कोर्ट में पूजा स्थल कानून पर सुनवाई टली: 3 जजों की बेंच में होनी थी, CJI बोले- आज 2 जज मौजूद, बाद में देखेंगे

नई दिल्ली2 दिन पहले

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प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट (पूजा स्थल कानून) पर पिछली सुनवाई 12 दिसंबर 2024 को हुई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पूजा स्थल कानून से जुड़ी 7 याचिकाओं पर सुनवाई टाल दी। दरअसल इस केस की सुनवाई 2 जजों की बेंच में होनी थी। CJI संजीव खन्ना ने कहा कि आज सिर्फ 2 जजों की बेंच बैठी है। यह मामला किसी और दिन देखेंगे।

CJI ने इस मामले पर दाखिल इंटरवेंशन एप्लिकेशंस पर कहा कि आज हम ऐसी कोई याचिका नहीं स्वीकार करेंगे। इनकी भी एक सीमा होती है।

असदुद्दीन ओवैसी की याचिका जुड़ी आज सुप्रीम कोर्ट को AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी की याचिका पर भी सुनवाई करनी थी। उनकी याचिका को पहले से पेंडिंग 6 याचिकाओं के साथ जोड़ा गया है।

ओवैसी ने याचिका में 1991 के प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट (पूजा स्थल कानून) को लागू करने की मांग है। कानून के मुताबिक, 15 अगस्त 1947 से पहले अस्तित्व में आए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को किसी दूसरे धर्म के पूजा स्थल में नहीं बदला जा सकता।

प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट (विशेष प्रावधानों) 1991 की 6 धाराओं की वैधता पर दाखिल याचिकाओं पर चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस मनमोहन की बेंच ने आखिरी बार 12 दिसंबर 2024 को सुनवाई की थी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- उचित होगा कि बाकी सभी अदालतें अपने हाथ रोक लें सुप्रीम कोर्ट की 3 मेंबर वाली बेंच ने प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट (विशेष प्रावधानों) 1991 की कुछ धाराओं की वैधता पर दाखिल याचिकाओं पर 12 दिसंबर को सुनवाई की थी।

बेंच ने कहा था, ‘हम इस कानून के दायरे, उसकी शक्तियों और ढांचे को जांच रहे हैं। ऐसे में यही उचित होगा कि बाकी सभी अदालतें अपने हाथ रोक लें।’

सुनवाई के दौरान CJI संजीव खन्ना ने कहा- हमारे सामने 2 मामले हैं, मथुरा की शाही ईदगाह और वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद। तभी अदालत को बताया गया कि देश में ऐसे 18 से ज्यादा मामले लंबित हैं। इनमें से 10 मस्जिदों से जुड़े हैं। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से याचिकाओं पर 4 हफ्ते में अपना पक्ष रखने को कहा।

CJI संजीव खन्ना ने कहा- जब तक केंद्र जवाब नहीं दाखिल करता है हम सुनवाई नहीं कर सकते। हमारे अगले आदेश तक ऐसा कोई नया केस दाखिल ना किया जाए।

याचिका के पक्ष- विपक्ष में तर्क

  • हिंदू पक्ष: भाजपा नेता और एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय, सुब्रमण्यम स्वामी, कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर, काशी की राजकुमारी कृष्ण प्रिया, धर्मगुरु स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती, रिटायर्ड आर्मी ऑफिसर अनिल कबोत्रा, एडवोकेट चंद्रशेखर, रुद्र विक्रम सिंह, वाराणसी इनके अलावा कुछ अन्य ने याचिका लगाई है। इन लोगों ने प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट-1991 को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की है।
  • मुस्लिम पक्ष: जमीयत उलमा-ए-हिंद, इंडियन मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करने वाली अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी, RJD सांसद मनोज झा और असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस मामले में याचिका दायर की है। जमीयत का तर्क है कि एक्ट के खिलाफ याचिकाओं पर विचार करने से पूरे देश में मस्जिदों के खिलाफ मुकदमों की बाढ़ आ जाएगी।

क्यों बनाया गया था ये कानून? दरअसल, ये वो दौर था जब राम मंदिर आंदोलन अपने चरम पर था। भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने 25 सितंबर 1990 को सोमनाथ से रथयात्रा निकाली। इसे 29 अक्टूबर को अयोध्या पहुंचना था, लेकिन 23 अक्टूबर को उन्हें बिहार के समस्तीपुर में गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तार करने का आदेश दिया था जनता दल के मुख्यमंत्री लालू यादव ने। इस गिरफ्तारी का असर ये हुआ कि केंद्र में जनता दल की वीपी सिंह सरकार गिर गई, जो भाजपा के समर्थन से चल रही थी।

इसके बाद वीपी सिंह से अलग होकर चंद्रशेखर ने कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाई, लेकिन ये भी ज्यादा नहीं चल सकी। नए सिरे से चुनाव हुए और केंद्र में कांग्रेस की सरकार आई। पीवी नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री बने। राम मंदिर आंदोलन के बढ़ते प्रभाव के चलते अयोध्या के साथ ही कई और मंदिर-मस्जिद विवाद उठने लगे थे। इन विवादों पर विराम लगाने के लिए ही नरसिम्हा राव सरकार ये कानून लेकर आई थी।

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