सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत बोले-मैं दिल से पत्रकार हूं: कहा- मेरा काम भले जज का, लेकिन हर केस की तह तक जाने की कोशिश करता हूं h3>
नई दिल्ली1 घंटे पहलेलेखक: पवन कुमार
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जस्टिस सूर्यकांत को 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट जज के रूप में प्रमोट किया गया था। वे 9 फरवरी 2027 को रिटायर होंगे।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत निजी तौर पर पत्रकारिता को काफी पसंद करते हैं। उनका कहना है कि भले वे जज के रूप में काम कर रहे हैं, लेकिन दिल से पत्रकार हैं। पत्रकार की तरह हर केस की तह तक जाने की कोशिश करते हैं।
जस्टिस सूर्यकांत भविष्य में सुप्रीम कोर्ट के 53वें चीफ जस्टिस बन सकते हैं। मौजूदा चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और उनके बाद होने वाले चीफ जस्टिस बीआर गवई के साथ पत्रकारों की शिष्टाचार मुलाकात के दौरान जस्टिस सूर्यकांत से विशेष बातचीत हुई। पढ़िए चुनिंदा अंश…
सवाल- आप केस की तह तक जाते हैं?
जस्टिस सूर्यकांत: मैं भले जज हूं, मगर दिल से पत्रकार हूं। तथ्य परखकर तह में जाने का प्रयास करता हूं, ताकि वे बातें पकड़ पाऊं, जो न्याय प्रक्रिया का दुरुपयोग कर छिपा दी गईं। संदेह पर दस्तावेज देखता हूं। ऐसा करके पीड़ितों को न्याय दे सकते हैं। दोनों पक्षों की दलीलों का पत्रकार की तरह विश्लेषण करता हूं कि जो प्रक्रिया बताई है, सही है या नहीं? कई बार ऐसे फैक्ट निकलते हैं, जिनकी कल्पना भी नहीं कर सकते।
सवाल- एक जज कैसा होना चाहिए?
जस्टिस सूर्यकांत: संयमित। संयम कई काम बना देता है। एक बार एक वकील चीफ जस्टिस के समक्ष तेज आवाज में जजों व वकीलों को भला-बुरा कह रहे थे। मैंने उनसे कहा, 15 मिनट जो चाहे कहें, पर फिर मेरे साथ चाय पीने चलें। इस पर वह शांत हो गया।
सवाल- कोर्ट पर बहुत टिप्पणियां हो रही हैं?
जस्टिस सूर्यकांत: हम न्याय करते हैं। बयानबाजी या उस पर टिप्पणी जज का काम नहीं। जज की कुर्सी पर हमें सिर्फ दो पक्ष दिखते हैं, जिनका विवाद निपटाना है। हम राजनीति नहीं करते। हमारा काम संविधान द्वारा स्थापित मूल्यों को देखना है।
सवाल- अदालतों को आप कैसे देखते हैं?
जस्टिस सूर्यकांत: अस्पताल की तरह। तकलीफ में मरीज अस्पताल जाता है। डॉक्टर रोगमुक्त करता है। अन्याय होने पर लोग कोर्ट आते हैं। जज न्याय करते हैं।
जस्टिस वर्मा केस में जांच कमेटी काम कर रही: सीजेआई खन्ना
जस्टिस यशवंत वर्मा केस के बारे में पूछने पर सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा कि जांच कमेटी गोपनीयता से काम कर रही है। इसमें उनका या कॉलेजियम का कोई दखल नहीं। जांच पूरी होने पर रिपोर्ट सीजेआई को सौंपी जाएगी। रिपोर्ट सार्वजनिक करने के सवाल पर उन्होंने जवाब नहीं दिया।
वहीं, जस्टिस बीआर गवई ने बातचीत में कहा कि जब भी उनका महाराष्ट्र के खान-पान का मन करता है तो महाराष्ट्र सदन या दिल्ली हाट में चले जाते हैं। दोनों जगह उन्हें महाराष्ट्र की भूमि का वो स्वाद मिलता है, जो उन्हें पसंद है। दिल्ली में उन्हें छोले-कुलचे अच्छे लगते हैं।
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