सुपरकॉप KPS Gill, जिन्होंने पंजाब से आतंकवाद का किया था खात्मा, आज क्यों आ रहे याद?
केपीएस गिल का पूरा नाम कंवरपाल सिंह गिल है। वह दो बार पंजाब के डीजीपी रह चुके हैं। 80-90 के दशक में अलग खालिस्तान की मांग को लेकर पूरा पंजाब हिंसा की आग में जल रहा था। ऐसे में 1988 में केपीएस गिल को पंजाब का पुलिस महानिदेशक नियुक्त कर आतंकवाद का सफाया करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। उन्होंने बॉर्डर स्टेट से आतंकवाद खत्म करने के लिए उन्होंने कई ऑपरेशन चलाए। इसमें ‘ऑपरेशन ब्लैक थंडर’ खास रहा।
ब्लैक थंडर ऑपरेशन से आतंकियों का सफाया
ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद 1988 में भी स्वर्णमंदिर में दो और ऑपरेशन किए गए। ऑपरेशन ब्लैक थंडर और ऑपरेशन ब्लैक थंडर- 2। 9 मई 1988 को शुरू हुआ यह ऑपरेशन 18 मई 1988 तक चला। इसमें 41 आतंकी मारे गए। खास बात यह है कि इसमें सुरक्षाबलों के एक भी जवान की जान नहीं गई और न ही किसी नागरिक की।
इस ऑपरेशन की कामयाबी का श्रेय पंजाब के तत्कालीन डीजीपी के पी एस गिल को जाता है। इसके लिए उन्होंने करीब दो महीने तक तैयारियां की थीं। इस दौरान जवानों को पूरी तैयारी के बावजूद सब्र रखने के लिए कहा गया था। मानेसर में एनएसजी के मुख्यालय में कमांडोज को विशेष प्रशिक्षण दिया गया और हेलिकॉप्टर से कूदकर मकानों से कब्जा हटाने का अभ्यास कराया गया था।
1991 में चरम पर थी पंजाब में हिंसा
ऑपरेशन के बाद 67 ने सरेंडर किया जबकि 43 एनकाउंटर में मारे गए। 1991 में पंजाब में हिंसा चरम पर थी जबकि 5000 से अधिक लोग मारे गए थे। इसके बाद पुलिस और सेना ने कार्रवाई शुरू की, और 1993 में मरने वालों की संख्या 500 से कम थी। इसके बाद 1988 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में ही एनएसजी ने दो और ऑपरेशन किए थे। ऑपरेशन ब्लैक थंडर और ऑपरेशन ब्लैक थंडर-2। 9 मई 1988 को शुरू हुआ ये ऑपरेशन 18 मई 1988 तक चला।
गुरुवार को अजनाला पुलिस थाने के बाहर जो कुछ हुआ, उसके बाद पंजाब में एक बार फिर उग्रवाद बढ़ता दिखाई दे रहा है। ‘वारिस पंजाब दे’ के अमृतपाल सिंह और उसके समर्थक खालिस्तान की मांग कर रहे हैं। ऐसे में सोशल मीडिया पर यूजर केपीएस गिल को याद कर रहे हैं।
क्या कह रहे हैं ट्विटर यूजर्स?
एक यूजर ने लिखा, ‘यह पद्मश्री से सम्मानित केपीएस गिल हैं। उन्हें खालिस्तानियों के लिए बुरा सपना माना जाता है और मौजूदा स्थिति को देखते हुए हमें उनके एक नए वर्जन की जरूरत है।’
एक यूजर ने ट्वीट किया, ‘कौन सोच सकता था कि ऑपरेशन ब्लू स्टार के 40 साल के भीतर पंजाब में एक और ‘भिंडरांवाले’ होगा? एक बार फिर कुलदीप सिंह बरार और केपीएस गिल जैसे किसी की जरूरत है।’