सुखबीर के प्रधान बनने के बाद शिअद में हलचल तेज, जिले की शहरी व देहाती प्रधानगी के लिए लाबिंग शुरू – Jalandhar News h3>
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शिअद डेलीगेट्स की तरफ से शनिवार को पांच महीने बाद एक बार फिर से सुखबीर बादल को अपना अध्यक्ष चुन लिया है, जिसके बाद से एक बार फिर से अकाली दल और बागी अकाली दल गुट के बीच खींचातानी शुरू हो चुकी है। पिछले महीनों से दोनों गुटों की तरफ से अपनी-अपनी भर्ती प्रकिया भी की जा रही है।
लेकिन इसी बीच अब सुखबीर बादल के प्रधान बनने के बाद से जिला स्तर पर भी राजनीति शुरू हो चुकी है। जालंधर जैसा बड़ा जिला यहां पर एक समय अकाली दल के पांच विधायक जीत दर्ज करवा चुके हैं। अब फिर से जालंधर शहरी और देहाती प्रधानगी को लेकर लाबिंग शुरू है।
साल 2017 के बाद से लगातार शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी मैंबर जत्थेदार कुलवंत सिंह मन्नण ही शहरी प्रधान रहे हैं। हालांकि उनकी प्रधानगी में साल 2017 और 2014 नगर निगम चुनाव, साल 2019 और 2014 लोकसभा चुनाव, साल 2022 लोकसभा उप-चुनाव, 2022 विधानसभा चुनाव और साल 2024 जालंधर वेस्ट उप-चुनाव में अकाली दल लगातार निचले स्तर पर पहुंच चुकी है।
शिरोमणि अकाली दल का एक बड़ा ग्रुप सुखबीर बादल की प्रधानगी को स्वीकार नहीं कर रहा है, जिसके चलते जालंधर से जत्थेदार गुरप्रताप सिंह वडाला अब बागी होकर भर्ती कर रहे हैं। जबकि पवन कुमार टीनू, गुरचरन सिंह चन्नी, कमलजीत सिंह भाटिया, प्रवेश तांगड़ी, कीमती भगत, चंदन ग्रेवाल, कुलदीप लुभाना तक पार्टी छोड़ आप में अच्छे पदों पर बैठे हुए हैं।
हालांकि अभी सुखबीर बादल की तरफ से स्टेट कार्यकारिणी की घोषणा की जाएगी और उसके बाद जिला स्तर पर शहरी और देहाती प्रधानों का एलान होगा। लेकिन इसे लेकर भी प्रधानगी के इच्छुक नेताओं की तरफ से जोड़-तोड़ शुरू कर दिया है। चार अहम विस क्षेत्र में हलका इंचार्ज ही नहीं… शिरोमणि अकाली दल का गढ़ रहे हलका करतारपुर, आदमपुर और अब नकोदर में भी हलका इंचार्ज नहीं है।
लोकसभा चुनावों में पवन टीनू अकाली दल को छोड़ कर आप में शामिल हो चुके हैं और नॉर्थ के कुलदीप लुभाना भी आप में हैं। जबकि नकोदर में दो बार के विधायक जत्थेदार गुरप्रताप सिंह वडाला भी अकाली हैं, लेकिन वह सुखबीर के साथ नहीं हैं। शहर में अकाली दल खत्म होने की कगार पर है, जबकि पार्टी के इस कलह के चलते देहात में भी अकाली दल कमजोर होता जा रहा है।
जालंधर के अन्य हलके शाहकोट में बचितर कौहाड़, जालंधर कैंट में हरजाप संघा, फिल्लौर से बलदेव खैहरा और जालंधर सेंट्रल इकबाल ढींढसा की तरफ से शिरोमणि अकाली दल बादल गुट के लिए भर्ती भी की गई है।
सिखों के अन्य समुदाय को भी इग्नोर करने का आरोप: अकाली दल के शहरी पूर्व प्रधान चरणजीत सिंह चन्नी के बाद अकाली दल की तरफ से साल 2017 से अब तक एसजीपीसी मैंबर जत्थेदार कुलवंत सिंह मन्नण को प्रधान नियुक्त किया हुआ है।
जबकि सिखों के अन्य वर्ग जिसमें अरोड़ा, रामगड़िया, लुभाना वर्गों को लगातार इग्नोर भी किया जा रहा है, जिसके चलते अंदरूनी स्तर पर छवि खराब हो रही है। अकाली दल के अंदरूनी स्तर पर आवाज बुलंद हो रही है कि सिखों की पार्टी में सभी वर्गों को सम्मान दिया जाए।
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शिअद डेलीगेट्स की तरफ से शनिवार को पांच महीने बाद एक बार फिर से सुखबीर बादल को अपना अध्यक्ष चुन लिया है, जिसके बाद से एक बार फिर से अकाली दल और बागी अकाली दल गुट के बीच खींचातानी शुरू हो चुकी है। पिछले महीनों से दोनों गुटों की तरफ से अपनी-अपनी भर्ती प्रकिया भी की जा रही है।
लेकिन इसी बीच अब सुखबीर बादल के प्रधान बनने के बाद से जिला स्तर पर भी राजनीति शुरू हो चुकी है। जालंधर जैसा बड़ा जिला यहां पर एक समय अकाली दल के पांच विधायक जीत दर्ज करवा चुके हैं। अब फिर से जालंधर शहरी और देहाती प्रधानगी को लेकर लाबिंग शुरू है।
साल 2017 के बाद से लगातार शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी मैंबर जत्थेदार कुलवंत सिंह मन्नण ही शहरी प्रधान रहे हैं। हालांकि उनकी प्रधानगी में साल 2017 और 2014 नगर निगम चुनाव, साल 2019 और 2014 लोकसभा चुनाव, साल 2022 लोकसभा उप-चुनाव, 2022 विधानसभा चुनाव और साल 2024 जालंधर वेस्ट उप-चुनाव में अकाली दल लगातार निचले स्तर पर पहुंच चुकी है।
शिरोमणि अकाली दल का एक बड़ा ग्रुप सुखबीर बादल की प्रधानगी को स्वीकार नहीं कर रहा है, जिसके चलते जालंधर से जत्थेदार गुरप्रताप सिंह वडाला अब बागी होकर भर्ती कर रहे हैं। जबकि पवन कुमार टीनू, गुरचरन सिंह चन्नी, कमलजीत सिंह भाटिया, प्रवेश तांगड़ी, कीमती भगत, चंदन ग्रेवाल, कुलदीप लुभाना तक पार्टी छोड़ आप में अच्छे पदों पर बैठे हुए हैं।
हालांकि अभी सुखबीर बादल की तरफ से स्टेट कार्यकारिणी की घोषणा की जाएगी और उसके बाद जिला स्तर पर शहरी और देहाती प्रधानों का एलान होगा। लेकिन इसे लेकर भी प्रधानगी के इच्छुक नेताओं की तरफ से जोड़-तोड़ शुरू कर दिया है। चार अहम विस क्षेत्र में हलका इंचार्ज ही नहीं… शिरोमणि अकाली दल का गढ़ रहे हलका करतारपुर, आदमपुर और अब नकोदर में भी हलका इंचार्ज नहीं है।
लोकसभा चुनावों में पवन टीनू अकाली दल को छोड़ कर आप में शामिल हो चुके हैं और नॉर्थ के कुलदीप लुभाना भी आप में हैं। जबकि नकोदर में दो बार के विधायक जत्थेदार गुरप्रताप सिंह वडाला भी अकाली हैं, लेकिन वह सुखबीर के साथ नहीं हैं। शहर में अकाली दल खत्म होने की कगार पर है, जबकि पार्टी के इस कलह के चलते देहात में भी अकाली दल कमजोर होता जा रहा है।
जालंधर के अन्य हलके शाहकोट में बचितर कौहाड़, जालंधर कैंट में हरजाप संघा, फिल्लौर से बलदेव खैहरा और जालंधर सेंट्रल इकबाल ढींढसा की तरफ से शिरोमणि अकाली दल बादल गुट के लिए भर्ती भी की गई है।
सिखों के अन्य समुदाय को भी इग्नोर करने का आरोप: अकाली दल के शहरी पूर्व प्रधान चरणजीत सिंह चन्नी के बाद अकाली दल की तरफ से साल 2017 से अब तक एसजीपीसी मैंबर जत्थेदार कुलवंत सिंह मन्नण को प्रधान नियुक्त किया हुआ है।
जबकि सिखों के अन्य वर्ग जिसमें अरोड़ा, रामगड़िया, लुभाना वर्गों को लगातार इग्नोर भी किया जा रहा है, जिसके चलते अंदरूनी स्तर पर छवि खराब हो रही है। अकाली दल के अंदरूनी स्तर पर आवाज बुलंद हो रही है कि सिखों की पार्टी में सभी वर्गों को सम्मान दिया जाए।