सावधान ! सोफे पर पसरकर मोबाइल, लैपटॉप का इस्तेमाल कर देगा आपको बीमार | Spreading on sofa using mobile laptop will make you sick | Patrika News

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सावधान ! सोफे पर पसरकर मोबाइल, लैपटॉप का इस्तेमाल कर देगा आपको बीमार | Spreading on sofa using mobile laptop will make you sick | Patrika News

सावधान ! सोफे पर पसरकर मोबाइल, लैपटॉप का इस्तेमाल कर देगा आपको बीमार | Spreading on sofa using mobile laptop will make you sick | Patrika News

हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि 2030 तक शारीरिक व्यायाम न करने के कारण 50 करोड़ लोग हृदय रोग, मोटापा, मधुमेह और अन्य गैर-संचारी रोगों का शिकार हो सकते हैं। खासकर युवा पीढ़ी तेजी से इन रोगों की चपेट में आएगी। इसलिए शारीरिक गतिविधियां बढ़ानी होंगी। सोफे या बेड पर पसरे हुए टीवी, वीडियो देखते हुए या फिर मोबाइल/लैपटॉप पर अपना अधिकांश समय बिताने वालों के लिए एक नया नाम आया है काउच पोटैटो। डॉक्टर्स के पास काउच पोटैटो तमाम तरह की बीमारियों के साथ पहुंच रहे हैं। काउच पोटैटो से राजधानी के युवा भी ग्रस्त हैं।

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रेगुलर फिजिकल एक्टिविटी जरूरी

रेगुलर फिजिकल एक्टिविटी न करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों पर असर पड़ता है। रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले समय में 43 फीसदी बीमारियां मानसिक स्वास्थ से संबंधित होंगी। जबकि, 47 फीसदी लोग हाइपरटेंशन से पीडि़त हो सकते हैं।

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राजधानी में चल रही योजनाएं फेल

फिजिकल एक्टीविटीज को बढ़ाने के लिए राजधानी में साइकिलिंग और पैदल चलने वालों के लिए अलग से टै्रक्स तो बनाए गए हैं लेकिन वे बदहाल हैं। इस कारण लोग उन्हें इस्तेमाल से बचते हैं। वहीं स्मार्ट सिटी की योजना के तहत माई बाइक योजना में पूरे शहर में साइकिल रखी गई हैं लेकिन वह भी पड़े-पड़े जर्जर हो रही हैं।

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आने वाले समय में शारीरिक गतिविधि न करने के कारण होने वाली बीमारियों और उनसे प्रभावित होने वालों की अनुमानित संख्या इस प्रकार है-

-बीमारियां और प्रभावित होने वाले लोग
-डिप्रेशन और एंग्जायटी-21 करोड़ 57 लाख
-हाइपरटेंशन-23 करोड़ 46 लाख
-डिमेंशिया-01 करोड़ 12 लाख
-हृदय संबंधी रोग-12 करोड़ 5 लाख
-टाइप 2 डाइबिटीज-11 करोड़ 2 लाख
-स्ट्रोक-66 लाख
-कैंसर-34 लाख

डब्ल्यूएचओ के अनुसार युवाओं और बच्चों में शारीरिक सक्रियता बढ़ाने के लिए कई देशों में इसके लिए पॉलिसी बनायी है। लेकिन भारत में इसकी मॉनिटरिंग तक नहीं होती। जरूरत पॉलिसी बनाकर फिजिकल एक्टीविटीज को बढ़ाने की है ताकि लोगों को जागरुक किया जा सके।

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डिजिटल इंटरफेस बढ़ने से होने वाली नई बिमारियां भी बड़ी चुनौती

ज्यादातर समय मोबाइल के साथ बिताने के कारण युवा नई-नई बिमारियों का शिकार हो रहे हैं। फेंटम पॉकेट वाइब्रेशन सिंड्रोम इन्हीं में से एक है। इसमें जेब में मोबाइल नहीं होने के बावजूद लोगों को लगता है कि उनका फोन वाइब्रेट कर रहा है औऱ वो चेक करने के लिए बार बार पॉकेट टटोलते हैं।

क्या कहते हैं जानकार

इस संबंध में कार्डियोलॉजिस्ट डॉ विवेक त्रिपाठी ने बताया कि, हमारे पास आने वाले अधिकतर वे पेशेंट्स हैं जो फिजिकल एक्टिविटीज नहीं करते। इसलिए वे कम उम्र में बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। इसलिए सप्ताह में कम से कम 30 से 40 मिनट वॉक या एक्सरसाइज की सलाह दी जाती है। इससे ऑक्सीजन की खपत बढ़ती है और ब्लड सप्लाई ज्यादा होती है। इससे हृदय संबंधी बीमारियों से बचा जा सकता है।

‘खुद को जागरूक होना जरूरी’

वहीं, साइकेट्रिस्ट डॉ. सत्यकांत द्विवेदी का कहना है कि, मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल करने से शारीरिक गतिविधियां कम हो रही हैं। युवाओं में मानसिक रोग समेत अन्य बीमारियां हो रही हैं। इसलिए खुद को जागरूक होना होगा। हर दिन कम से कम 30 मिनट की फिजिकल एक्टीविटीज जरूरी है।

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