सामाजिक समरसता के प्रतीक थे रामानंदाचार्य-राजपाल सिंह | Jagadguru Ramanandacharya Rajasthan Sanskrit University | Patrika News

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सामाजिक समरसता के प्रतीक थे रामानंदाचार्य-राजपाल सिंह | Jagadguru Ramanandacharya Rajasthan Sanskrit University | Patrika News

सामाजिक समरसता के प्रतीक थे रामानंदाचार्य-राजपाल सिंह | Jagadguru Ramanandacharya Rajasthan Sanskrit University | News 4 Social


जयपुरPublished: Feb 27, 2023 07:19:37 pm

मध्यकाल में भक्ति के माध्यम से निर्गुण और सगुण का समन्वय कर सामाजिक समरसता की स्थापना करने वाले रामानंदाचार्य का कृतित्व अमर है। कबीर,रविदास, धन्ना, सैन और पीपा जैसे संतों के प्रेरक स्वामी रामानंद ने महिलाओं को भी अपनी शिष्य परंपरा में स्थान देकर मुख्य धारा में लाने का काम किया। यह कहना था पूर्व मंत्री राजपाल सिंह शेखावत का जो सोमवार को जगद्गुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे।

सामाजिक समरसता के प्रतीक थे रामानंदाचार्य-राजपाल सिंह

सामाजिक समरसता के प्रतीक थे रामानंदाचार्य-राजपाल सिंह

जयपुर। मध्यकाल में भक्ति के माध्यम से निर्गुण और सगुण का समन्वय कर सामाजिक समरसता की स्थापना करने वाले रामानंदाचार्य का कृतित्व अमर है। कबीर,रविदास, धन्ना, सैन और पीपा जैसे संतों के प्रेरक स्वामी रामानंद ने महिलाओं को भी अपनी शिष्य परंपरा में स्थान देकर मुख्य धारा में लाने का काम किया। यह कहना था पूर्व मंत्री राजपाल सिंह शेखावत का जो सोमवार को जगद्गुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अगर रामानंद न होते तो हिंदू धर्म की सुरक्षा करना उस समय सबसे कठिन कार्य होता।
मुख्य अतिथि सांसद रामचरण बोहरा ने रामानंद दर्शन पर अनुसंधान की आवश्यकता बताते हुए उस पर अध्ययन किए जाने की योजना बनाने को कहा। बोहरा ने कहा कि इससे स्वामी रामानंद का चिंतन और दर्शन समाज के सामने जा सकेगा और जाति पाति के बंधन टूटेंगे। विशिष्ट अतिथि राजस्थान संस्कृत अकादमी की अध्यक्ष डॉ. सरोज कोचर ने महिलाओं से संस्कृत शिक्षा से जुडऩे का आह्वान किया। कोचर ने कहा कि राजस्थान सरकार संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने का काम कर रही है। ऐसे में समाज को आगे बढकऱ संस्कृत भाषा से जुडकऱ इसे बचाना और बढ़ाना होगा। सारस्वत अतिथि के रूप में प्रो. जयकांत शर्मा ने रामानंद दर्शन की अपूर्वता पर व्याख्यान दिया। कुलपति प्रो.रामसेवक दुबे ने विवि में रामानंद दर्शन के अध्ययन पर तेजी से काम करने की योजना के बारे में जानकारी दी।
32 शोध पत्र प्रस्तुत
संगोष्ठी संयोजक दर्शन विभागाध्यक्ष शास्त्री कोसलेंद्र दास ने बताया कि पहले दिन 32 शोधपत्र प्रस्तुत किए गए। दिल्ली विवि के प्रो.सत्यपाल सिंह, जेएनयू की प्रो. रंजीता दत्ता,इग्नू की प्रो.कौशल पंवार, कोटा खुला विवि के डा.कपिल गौतम व संस्कृत विवि के डॉ.विनोद कुमार शर्मा के व्याख्यान हुए। समारोह में महंत हरिशंकरदास,संजय झाला और कुलसचिव डॉ.राजधर मिश्र सहित अनेक लोग उपस्थित रहे। संगीत सत्र में पंडित महेश दत्त रामायणी ने विनय पत्रिका के पदों का गान किया। मंगलवार को पंचम सत्र के मुख्य अतिथि संस्कृत शिक्षा मंत्री डॉ. बीडी कल्ला होंगे। समारोह में देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के शिक्षक व शोध छात्र भाग ले रहे हैं।

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