सागर में विधानसभा सीट के लिए लोधी कार्ड देगा जीत या होगा बैक फायर h3>
सागर: हमेशा बाद में अपने केंडिडेट घोषित करने वाली बीजेपी ने इस बार कांग्रेस से पहले ही अपने 39 कैंडिडेट्स के नामों की पहली सूची जारी करके कांग्रेस की सीटों पर बड़ा दाव खेला है। इसमें सागर जिले की 8 में से एक सीट पर बीजेपी ने अपना प्रत्याशी उतार दिया है। तमाम दिग्गजों को पीछे छोड़ते हुए भाजपा ने वीरेंद्र सिंह लोधी को टिकिट दिया है।
बीजेपी के प्रत्याशी वीरेंद्र लोधी बंडा के लंबरदार परिवार से आते हैं। उनके पिता स्व. शिवराज सिंह लोधी दमोह लोकसभा से सांसद और बड़ामलहरा सीट से विधायक रह चुके हैं। वीरेंद्र के बड़े भाई रामरक्षपाल सिंह लोधी ने बीजेपी की तरफ से 2008 में बंडा से चुनाव लड़ चुके हैं। लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। कांग्रेस के नारायण प्रजापति ने उन्हें 1925 मतों से हराया था।
बड़े के बाद छोटे भाई पर दिखाया भरोसा
बीजेपी ने बड़े भाई के बाद अब छोटे भाई वीरेंद्र पर भरोसा दिखाया है, जो पेशे से शिक्षक हैं। वीरेंद्र सिंह लोधी समाज के मुखिया के तौर पर पहचान रखते हैं। क्षेत्र में नेतृत्व की क्षमता इस परिवार में पीढ़ियों से है। यही कारण है कि 2018 के चुनाव में जिले में गोपाल भार्गव के बाद सबसे ज्यादा मतों से जीत दर्ज करने वाले कांग्रेस प्रत्याशी तरवर सिंह लोधी के खिलाफ चुनाव में उतारा है। हालांकि उनके टिकिट से भाजपा में अंदर अंदर बंडा से दावेदारी ठोक रहे नेता जरूर नाराज होंगे। जिसका खामियाजा भी चुनाव भुगतना पड़ सकता है।
इसलिए खास है बंडा विधानसभा सीट
बंडा विधानसभा की बात करें तो यहां से छतरपुर और सागर विधानसभाओं के बीच एक पुल बनता है जो वोटर की मानसिकता को दोनों ही ओर प्रभावित करता है। वहीं यह एक अलग थलग क्षेत्र है। जहां रेल रूट नहीं है और सड़को का जाल भी व्यापक नहीं है। जंगलों से घिरे इस क्षेत्र में लोगों की आवश्यकताऐं भी मूलभूत स्तर की ही दिखाई देती हैं। यहां के बाजारों में पारंपरिक वस्तुऐं आसानी से देखने को मिल जाती हैं। जो की इस क्षेत्र की संस्कृति और परंपरागत रहन सहन को दर्शाता है।
राजनीति में हरनामसिंह राठौर का रहा दबदबा
बंडा विधानसभा सीट से सागर के हरनाम सिंह राठौर 4 बार 1985, 1990, 1993 1998 का चुनाव लड़े। उन्होंने 3 बार जीत दर्ज की। हालांकि 1993 के हाइप्रोफाइल चुनाव में संतोष साहू से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद उनके बड़े बेटे हरवंश सिंह राठौर (सुक्कू भैया) ने 2013 में जीत दर्ज की लेकिन 2018 में तरबर सिंह लोधी से वे बड़े अंतर से चुनाव हार गये। इस बार भी वे पार्टी और क्षेत्र में सक्रिय रहे लेकिन पार्टी ने इस परिवार को टिकिट की दौड़ से बाहर कर दिया।
वर्तमान में विधायक हैं तरबर सिंह लोधी
अपने पहले चुनाव में ही तरबर लोधी पर बंडा की जनता ने जमकर विश्वास दिखाया था। 2018 में कांग्रेस को एक आम आदमी के चेहरे रूप में पांच साल पूरे होते होते क्षेत्र में एक परिपक्व नेता मिल गया है। जो कि बड़ी सभाओं में आस पास की विधानसभाओं में भी कार्यकर्ताओं के बीच जाते हैं। लेकिन भाजपा ने तरबर की काट वीरेंद्र लोधी के रूप में ढूंढ ली है। भाजपा के लोधी कार्ड की वजह से कांग्रेस किसी दूसरे जातिगत समीकरण को लेकर केंडिडेट उतारने का सोचेगी यदि ऐसा हुआ तो तरबर का टिकट कट सकता है।
चुनावी समीकरण
विधानसभा का नाम 8- बंडा 42
कुल मतदाता- 237765
पुरूष मतदाता- 127280
महिला मतदाता- 110482
अन्य मतदाता- 3
जातिगत समीकरण – एससी 50 हजार, लोधी 30 हजार, यादव 20 हजार, ठाकुर 15 से 20 हजार, ब्राम्हण 10 से 15 हजार, 10 हजार जैन 5 से 10 हजार मुस्लिम वोटर हैं।
2008 विधानसभा चुनाव परिणाम
कांग्रेस – नारायण प्रजापति – 32348
भाजपा – रामरक्षपाल सिंह – 30423
भाजपा प्रत्याशी नारायण प्रजापति 1925 मतों से जीते
हार-जीत का अंतर- 1925
2013 विधानसभा चुनाव
कांग्रेस – नारायण प्रजापति – 48323
भाजपा – हरवंश राठौर – 66203
भाजपा प्रत्याशी हरवंश राठौर 17880 मतों से जीते
हार-जीत का अंतर- 17880
2018 विधानसभा चुनाव
कांग्रेस – तरवर सिंह – 84456
भाजपा – हरवंश राठौर – 60292
भाजपा प्रत्याशी तरवार सिंह लोधी 24164 मतों से जीते
हार-जीत का अंतर- 24164
विधानसभा में लोधी वोट तरवर सिंह लोधी के साथ रहा उन्हें इसका फायदा मिला।।
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बीजेपी के प्रत्याशी वीरेंद्र लोधी बंडा के लंबरदार परिवार से आते हैं। उनके पिता स्व. शिवराज सिंह लोधी दमोह लोकसभा से सांसद और बड़ामलहरा सीट से विधायक रह चुके हैं। वीरेंद्र के बड़े भाई रामरक्षपाल सिंह लोधी ने बीजेपी की तरफ से 2008 में बंडा से चुनाव लड़ चुके हैं। लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। कांग्रेस के नारायण प्रजापति ने उन्हें 1925 मतों से हराया था।
बड़े के बाद छोटे भाई पर दिखाया भरोसा
बीजेपी ने बड़े भाई के बाद अब छोटे भाई वीरेंद्र पर भरोसा दिखाया है, जो पेशे से शिक्षक हैं। वीरेंद्र सिंह लोधी समाज के मुखिया के तौर पर पहचान रखते हैं। क्षेत्र में नेतृत्व की क्षमता इस परिवार में पीढ़ियों से है। यही कारण है कि 2018 के चुनाव में जिले में गोपाल भार्गव के बाद सबसे ज्यादा मतों से जीत दर्ज करने वाले कांग्रेस प्रत्याशी तरवर सिंह लोधी के खिलाफ चुनाव में उतारा है। हालांकि उनके टिकिट से भाजपा में अंदर अंदर बंडा से दावेदारी ठोक रहे नेता जरूर नाराज होंगे। जिसका खामियाजा भी चुनाव भुगतना पड़ सकता है।
इसलिए खास है बंडा विधानसभा सीट
बंडा विधानसभा की बात करें तो यहां से छतरपुर और सागर विधानसभाओं के बीच एक पुल बनता है जो वोटर की मानसिकता को दोनों ही ओर प्रभावित करता है। वहीं यह एक अलग थलग क्षेत्र है। जहां रेल रूट नहीं है और सड़को का जाल भी व्यापक नहीं है। जंगलों से घिरे इस क्षेत्र में लोगों की आवश्यकताऐं भी मूलभूत स्तर की ही दिखाई देती हैं। यहां के बाजारों में पारंपरिक वस्तुऐं आसानी से देखने को मिल जाती हैं। जो की इस क्षेत्र की संस्कृति और परंपरागत रहन सहन को दर्शाता है।
राजनीति में हरनामसिंह राठौर का रहा दबदबा
बंडा विधानसभा सीट से सागर के हरनाम सिंह राठौर 4 बार 1985, 1990, 1993 1998 का चुनाव लड़े। उन्होंने 3 बार जीत दर्ज की। हालांकि 1993 के हाइप्रोफाइल चुनाव में संतोष साहू से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद उनके बड़े बेटे हरवंश सिंह राठौर (सुक्कू भैया) ने 2013 में जीत दर्ज की लेकिन 2018 में तरबर सिंह लोधी से वे बड़े अंतर से चुनाव हार गये। इस बार भी वे पार्टी और क्षेत्र में सक्रिय रहे लेकिन पार्टी ने इस परिवार को टिकिट की दौड़ से बाहर कर दिया।
वर्तमान में विधायक हैं तरबर सिंह लोधी
अपने पहले चुनाव में ही तरबर लोधी पर बंडा की जनता ने जमकर विश्वास दिखाया था। 2018 में कांग्रेस को एक आम आदमी के चेहरे रूप में पांच साल पूरे होते होते क्षेत्र में एक परिपक्व नेता मिल गया है। जो कि बड़ी सभाओं में आस पास की विधानसभाओं में भी कार्यकर्ताओं के बीच जाते हैं। लेकिन भाजपा ने तरबर की काट वीरेंद्र लोधी के रूप में ढूंढ ली है। भाजपा के लोधी कार्ड की वजह से कांग्रेस किसी दूसरे जातिगत समीकरण को लेकर केंडिडेट उतारने का सोचेगी यदि ऐसा हुआ तो तरबर का टिकट कट सकता है।
चुनावी समीकरण
विधानसभा का नाम 8- बंडा 42
कुल मतदाता- 237765
पुरूष मतदाता- 127280
महिला मतदाता- 110482
अन्य मतदाता- 3
जातिगत समीकरण – एससी 50 हजार, लोधी 30 हजार, यादव 20 हजार, ठाकुर 15 से 20 हजार, ब्राम्हण 10 से 15 हजार, 10 हजार जैन 5 से 10 हजार मुस्लिम वोटर हैं।
2008 विधानसभा चुनाव परिणाम
कांग्रेस – नारायण प्रजापति – 32348
भाजपा – रामरक्षपाल सिंह – 30423
भाजपा प्रत्याशी नारायण प्रजापति 1925 मतों से जीते
हार-जीत का अंतर- 1925
2013 विधानसभा चुनाव
कांग्रेस – नारायण प्रजापति – 48323
भाजपा – हरवंश राठौर – 66203
भाजपा प्रत्याशी हरवंश राठौर 17880 मतों से जीते
हार-जीत का अंतर- 17880
2018 विधानसभा चुनाव
कांग्रेस – तरवर सिंह – 84456
भाजपा – हरवंश राठौर – 60292
भाजपा प्रत्याशी तरवार सिंह लोधी 24164 मतों से जीते
हार-जीत का अंतर- 24164
विधानसभा में लोधी वोट तरवर सिंह लोधी के साथ रहा उन्हें इसका फायदा मिला।।