सहारनपुर में मेहंदी लगाने पर मौलाना इसहाक गोरा का बयान: बोले-गैर मर्दों से मेहंदी और चूड़ियां पहनना शरीयत के खिलाफ, इस्लामी तहजीब और आदाब को फिर जिंदा करें – Saharanpur News

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सहारनपुर में मेहंदी लगाने पर मौलाना इसहाक गोरा का बयान:  बोले-गैर मर्दों से मेहंदी और चूड़ियां पहनना शरीयत के खिलाफ, इस्लामी तहजीब और आदाब को फिर जिंदा करें – Saharanpur News

सहारनपुर में मेहंदी लगाने पर मौलाना इसहाक गोरा का बयान: बोले-गैर मर्दों से मेहंदी और चूड़ियां पहनना शरीयत के खिलाफ, इस्लामी तहजीब और आदाब को फिर जिंदा करें – Saharanpur News

देवबंद के प्रसिद्ध इस्लामी विद्वान और जमीयत दावातुल मुस्लिमीन के संरक्षक मौलाना कारी इसहाक गोरा की फाइल फोटो।

सहारनपुर में शादी-विवाह के इस मौसम में मुस्लिम महिलाओं द्वारा गैर-महरम (पुरुषों) से मेहंदी लगवा रही है। देवबंद के प्रसिद्ध इस्लामी विद्वान और जमीयत दावातुल मुस्लिमीन के संरक्षक मौलाना कारी इसहाक गोरा ने बयान जारी कर कहा-ये प्रथा इस्लामी शरीयत के खिला

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उन्होंने कहा कहा-इस्लाम किसी भी मर्द को यह इजाज़त नहीं देता कि वह किसी ग़ैर-महरम औरत का हाथ छुए, चाहे वह किसी भी बहाने से क्यों न हो। इसी तरह महिलाओं को भी सख़्ती से ताकीद की गई है कि वे अपने हाथ गैर-महरम मर्दों के हाथ में न दें। न चूड़ी पहनने के लिए, न मेंहदी लगवाने के लिए।

उन्होंने कहा कि ये शरीयत के उन मूल उसूलों में से है, जिसमें पर्दा और गैर-महरम से परहेज को अत्यधिक महत्व दिया गया है। मौलाना ने विशेष रूप से मुस्लिम महिलाओं से अपील की कि वे इस्लामी शिक्षाओं और फतवों की रोशनी में अपने फैसले लें और अपने धार्मिक उसूलों के साथ कोई समझौता न करें।

कारी गोरा ने अपने बयान में दारुल उलूम देवबंद के पुराने फतवे की भी चर्चा की, जिसमें साफतौर पर कहा गया है कि मुस्लिम महिलाओं का गैर-महरम पुरुषों से चूड़ी पहनना और मेंहदी लगवाना हराम है। ये फतवा इस्लामी शरीयत में मौजूद हिदायतों पर आधारित है, जिसमें गैर मर्दों के साथ शारीरिक संपर्क को सख्त रूप से मना किया गया है।

दारुल उलूम का मानना है कि इस तरह की गतिविधियां इस्लामी पर्दा व्यवस्था और सामाजिक आदर्शों के विरुद्ध हैं। समय-समय पर देवबंद से जारी होने वाले फतवों में भी इस प्रकार की बातों पर सख्ती बरती गई है और मुस्लिम महिलाओं को हिदायत दी गई है कि वे इन गैर-इस्लामी आदतों से बचें।

कारी इसहाक गोरा ने अपने बयान के अंत में मुस्लिम समुदाय से अपील की कि वे अपने जीवन के हर पहलू में दीन को समझें और अमल में लाएं। उन्होंने कहा-आज जरूरत है कि हम अपनी रिवायतों को मजहबी उसूलों की कसौटी पर परखें और अपने समाज में इस्लामी तहजीब और आदाब को फिर से जिंदा करें। उन्होंने खासतौर पर युवाओं और महिलाओं से कहा कि वे बाजारी दिखावे के बजाय शरीयत के निर्देशों का पालन करें और इस्लामिक मूल्यों के साथ जीने की कोशिश करें।

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