सलमान ने पहली मुलाकात में कहा, तुम में कोई बात: राजश्री से डेब्यू के बावजूद लगा फ्लॉप का ठप्पा; फिर दबंग-2 में मिला मौका, संभला करियर

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सलमान ने पहली मुलाकात में कहा, तुम में कोई बात:  राजश्री से डेब्यू के बावजूद लगा फ्लॉप का ठप्पा; फिर दबंग-2 में मिला मौका, संभला करियर


सलमान ने पहली मुलाकात में कहा, तुम में कोई बात: राजश्री से डेब्यू के बावजूद लगा फ्लॉप का ठप्पा; फिर दबंग-2 में मिला मौका, संभला करियर

3 घंटे पहलेलेखक: आशीष तिवारी/भारती द्विवेदी

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नन्ही सी थीं, जब घर छोड़कर भागना पड़ा। पेरेंट्स ने महज एक सूटकेस के साथ इस उम्मीद में घर छोड़ा था कि कुछ दिनों की बात है। लेकिन 35 साल हो गए, वो आज तक कश्मीर नहीं लौट पाए। कश्मीर में इनके पास एक बड़ा सा घर और असीम खुला आसमान था। लेकिन दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु में परिवार एक कमरे तक सिमट गया। जीरो से शुरुआत कर मां-बाप ने जैसे-तैसे अच्छी परवरिश दी।

पढ़ाई पूरी कर फिल्म इंडस्ट्री में आईं तो पहली फिल्म से फ्लॉप का ठप्पा लग गया। लोगों ने काम देने से इनकार कर दिया। इस दौरान टूटी-बिखरी, एक्टिंग छोड़ने का भी सोचा लेकिन फिर खुद को समेटकर टिके रहने का फैसला किया। इन्हें इनके फैसले का नतीजा भी मिला।

आज की सक्सेस स्टोरी में एक्ट्रेस संदीपा धर बता रही हैं अपनी कहानी…

एक महीने की थीं, जब कश्मीर से भागना पड़ा

मैं कश्मीर पंडित हूं। बस एक महीने की थी, जब मेरी फैमिली को कश्मीर से अपना सबकुछ छोड़कर भागना पड़ा था। मेरी मां वहां एक स्कूल में प्रिंसिपल थीं। वहां से आने के बाद मेरा जीवन दिल्ली, बेंगलुरु और मुंबई में बीता। हम लोग कश्मीर से भागे थे इसलिए मेरे पेरेंट्स का फोकस मेरी पढ़ाई पर रहा। उन्होंने अपने बच्चों की एजुकेशन पर बहुत ध्यान दिया ताकि हम लाइफ में कहीं पीछे न छूट जाएं। मैंने जेवियर्स से बीबीएम की पढ़ाई की है। कॉलेज के दौरान ही मैं यूटीवी के साथ इंटर्नशिप कर रही थी। पढ़ाई खत्म करने बाद मैं यूटीवी के साथ दो-तीन साल तक काम करने वाली थी। इसके बाद मैं एमबीए करने वाली थी। मैंने अपनी लाइफ को लेकर पूरा प्लान बना रखा था। लेकिन लाइफ और किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।

राजश्री के ऑडिशन में पूरा मोनोलॉग भूलीं

मैं कॉलेज के दौरान पॉकेटमनी के लिए एड फिल्म करती थी। मैंने बहुत सारे एड में काम किया था। जब मैं कॉलेज के आखिरी साल में थी, तब राजश्री के कास्टिंग डायरेक्टर विक्की सदाना ने मुझे कॉल किया। उन्होंने कॉल पर कहा कि सूरज बड़जात्या ‘मैंने प्यार किया’ के बाद एक लड़का-लड़की को लॉन्च करने वाले हैं इसलिए हम आपका टेस्ट करना चाहता हैं। मैंने कभी भी फिल्म के लिए कोई ऑडिशन नहीं दिया था। मैंने कास्टिंग डायरेक्टर से बोला कि मैंने कभी फिल्म का ऑडिशन दिया नहीं है तो मुझे नहीं पता कि क्या करना है। उन्होंने मुझे कहा कि परेशान मत हो, फिर उन्होंने मुझे राजश्री की किसी पुरानी फिल्म का एक मोनोलॉग दिया। मुझे उसे सीखकर ऑडिशन के लिए जाना था।

मैं माधुरी दीक्षित और उनकी फिल्म ‘हम आपके हैं कौन’ की बहुत बड़ी फैन हूं। मैं ये सोचकर गई थी कि मैं जाकर राजश्री का ऑफिस देखूंगी। सूरज बड़जात्या सर से मिलूंगी क्योंकि मेरा एक्टिंग में कुछ होने वाला नहीं है। मुझे याद है कि मैंने मोनोलॉग को रट लिया था। मैं पहले टेक में ही पूरा मोनोलॉग भूल गई। मैं स्कूल में पढ़ाकू थी क्योंकि मैं रटकर सब याद कर लेती थी। रट्टा मारना मेरी खूब थी लेकिन कैमरे के सामने मेरी हालत खराब हो गई। मेरे पसीने छूट रहे थे।

कास्टिंग डायरेक्टर ने मेरी हालत देखकर कहा कि तुम रिलैक्स हो जाओ। ब्रेक लो और जाओ बाहर घूमकर आओ फिर से करते हैं। उस वक्त मेरे दिमाग में चल रहा था, अब तो, ये तो ईगो और रिस्पेक्ट की बात हो गई। अब किसी भी हाल में करना पड़ेगा। खैर, जैसे-तैसे मैंने ऑडिशन दिया और उसके बाद मैं इस बात को ही भूल गई।

600-700 लड़कियों में राजश्री प्रोडक्शन ने मुझे चुना

कुछ हफ्ते बाद मुझे राजश्री से कॉल आया कि उन्हें मेरा टेस्ट अच्छा लगा। अब मुझे एक और टेस्ट देना होगा अक्षय ओबरॉय के साथ, जो मेरी तरह ही फ्रेश फेस थे। उस रोल के लिए 600-700 लड़कियों का टेस्ट चल रहा था। मैं गई और अक्षय के साथ पूरे दिन टेस्ट चला। हमने साथ में दो-तीन सीन्स किए, डांस भी किया। हमारा दूसरा टेस्ट राजश्री के ऑडिटोरियम में हो रहा था। वहां के प्रोजेक्शन रूम से सूरज सर हमें देख रहे थे। ये बात हमें बाद में पता चली।

खैर, मैंने टेस्ट खत्म किया और घर जाकर अपनी नॉर्मल लाइफ में बिजी हो गई। दो हफ्ते बाद मुझे एक प्राइवेट नंबर से कॉल आया। मैंने फोन उठाया तो उधर से आवाज आई कि नमस्ते, मैं सूरज बड़जात्या बात कर रहा हूं। हमें आपका टेस्ट बहुत पसंद आया और हम चाहते हैं कि आप हमारी फिल्म करें। आपको अभी डिसीजन लेने की जरूरत नहीं है। आप ऑफिस आइए, स्क्रिप्ट सुनिए अगर अच्छी लगे तो फिल्म कीजिएगा।

मैं सूरज बड़जात्या नाम सुनते ही ब्लैंक हो गई थी। ऊपर से ये कहना कि आपको स्क्रिप्ट पसंद आए तभी काम करिएगा। न्यूकमर के साथ ऐसे कौन बात करता है। वो कमाल के इंसान हैं। फिर मैं अपने पेरेंट्स के साथ राजश्री के ऑफिस गई। हम सब सूरज सर से पहली बार मिले। इस तरह मेरी पहली फिल्म ‘इसी लाइफ में’ हो गई।

मैं फिल्म इंडस्ट्री के लिए बिल्कुल तैयार नहीं थी

राजश्री प्रोडक्शन और सूरज बड़जात्या के साथ काम करने के बाद मुझे लगा था कि इंडस्ट्री में हर सेट ऐसा ही होता होगा। मैं फिल्म इंडस्ट्री के लिए तैयार नहीं थी। मैं नॉन फिल्मी बैकग्राउंड से आती हूं। मुझे इस इंडस्ट्री के बारे में कुछ नहीं पता था। मुझे गाइड करने वाला कोई नहीं था। मुझे नहीं पता था कि खुद को कैसे रिप्रेजेंट करते हैं। पीआर टीम जैसी कोई चीज होती है।

डेब्यू फिल्म ‘इसी लाइफ में’ के लिए संदीपा को फिल्मफेयर, स्टार स्क्रीन, स्टारडस्ट अवॉर्ड में नॉमिनेशन मिला था।

शुरुआती चार-पांच साल मुझे इस इंडस्ट्री को समझने में निकल गए। जब आप इंडस्ट्री से नहीं होते हो, तब बहुत मुश्किल होती है। इंडस्ट्री के कुछ दरवाजे आपके लिए बिल्कुल नहीं खुले होते हैं क्योंकि आप बाहरी हैं। वहां तक पहुंचने में भी आपके 5-6 साल चले जाते हैं। आपको बताने वाला कोई नहीं होता कि आप जो कर रहे हैं, वो सही है या गलत। मैं अपनी गलतियां करके उनसे सीखकर आगे बढ़ी हूं। मैं अपने काम से काम रखती हूं। मैं बॉलीवुड पार्टियों का हिस्सा नहीं बनती हूं।

पहली फिल्म फ्लॉप हुई तो यूजलेस समझा गया

मैंने राजश्री जैसे नामी प्रोडक्शन हाउस के साथ साल 2010 में फिल्मी दुनिया में कदम रखा था। मेरी डेब्यू फिल्म फ्लॉप रही। उसके बाद मेरे लिए चुनौतियां और बढ़ गई। मेरे रोल को क्रिटिक्स ने काफी सराहा। मुझे अपने रोल के लिए अलग-अलग अवॉर्ड्स में नॉमिनेशन मिला था। अभी के समय में एक्टर के पास कई स्ट्रीमिंग एवेन्यू हैं लेकिन उस वक्त ऐसा कुछ नहीं था। पहली फिल्म के नहीं चलने पर आपको यूजलेस समझा जाता है। इंडस्ट्री में मेरे कोई चाचा-मामा नहीं थे, जो पहली फिल्म न चलने पर मेरे लिए दूसरी फिल्म बनाएं।

मेरा स्ट्रगल असल में था। मुझे इस फ्लॉप के ठप्पे से निकलने में 3-4 साल लग गए। मुझे लगता था कि चलो फिल्म नहीं चली लेकिन मेरे काम की तो तारीफ हुई थी। मुझे तो काम मिलना चाहिए था। हालांकि, मैं गलत थी। मुझे तो ये भी नहीं समझ आ रहा था कि इसके बाद करना क्या है। इससे निकलना कैसे हैं। फिर मैंने सोचा कि ब्रेक ले लेते हैं।

लोगों ने सवाल उठाए, काम नहीं मिल रहा था

एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में काम करने के लिए पेरेंट्स का सपोर्ट होना बहुत जरूरी होता है। मैंने जब फिल्म में काम किया तो मेरे पेरेंट्स को भी लोगों के सवालों के जवाब देने पड़े। मेरे पेरेंट्स से कहा जाता कि बेटी इंडस्ट्री में है तो अब शादी में दिक्कत होगी। हालांकि, मैंने राजश्री के साथ करियर की शुरुआत की थी इसलिए रिश्तेदारों ने ज्यादा सवाल नहीं उठाए। राजश्री की ऑडियंस फैमिली ऑडियंस है। उनकी फिल्में पारिवारिक होती हैं।

फिल्म फ्लॉप होने के बाद जब काम नहीं मिल रहा था, तब कई दफा एक्टिंग छोड़ने का सोचा। खुद से बार-बार पूछती थी कि क्या एक्टर बनने का मेरा फैसला सही था? लगता था कि वापस जॉब या पढ़ाई की तरफ चली जाऊं। कई दफा ऐसा भी काम किया जो मैं करना नहीं चाहती थी।

पहली मुलाकात में सलमान ने कहा तुम में कोई बात है

मेरे और सलमान खान के बीच राजश्री कॉमन है। उन्होंने मेरी पहली फिल्म में कैमियो किया था। उसी दौरान मैं उनसे पहली बार मिली थी। वो डबिंग के लिए आए थे, जब सूरज सर ने मुझे और अक्षय को उनसे मिलवाया था। सलमान को अब तक पर्दे पर देखती आ रही थी, जब पहली बार सामने देखा तो मैं शरमा गई थी। सूरज सर ने उन्हें हमारे कुछ सीन्स दिखाए थे। मुझे अच्छे से याद है कि सलमान ने वो सीन्स देखे और उसके बाद मेरी तरफ मुड़े और कहा कि तुम में कुछ बात है। मेरा रिएक्शन था कि जब सलमान खान कह रहे हैं, तो जरूरी कोई बात होगी। मुझे लगता है ‘दबंग-2’ भी मुझे उन्हीं की वजह से मिली थी।

सलमान की ‘दबंग-2’ और ‘हीरोपंती’ में कैमियो किया

फिल्म फ्लॉप होने के बाद मैंने ब्रेक लिया और मैं ऑस्ट्रेलिया चली गई। वहां मैंने एक्टिंग और थिएटर की पढ़ाई की। एक म्यूजिकल शो ‘वेस्ट साइड’ में लीड रोल निभाया। दो साल के ब्रेक के बाद मुझे सलमान खान की ‘दबंग-2’ में काम करने का मौका मिला। फिर मैंने ‘हीरोपंती’ में भी काम किया। इन दोनों ही फिल्मों में रोल छोटा लेकिन जरूरी था।

साल 2016 में मेरी फिल्म ‘ग्लोबल बाबा’ आई थी। इस फिल्म में सारे ही दिग्गज एक्टर्स थे। मैंने इस फिल्म में लीड रोल निभाया था। मेरे अलावा पंकज त्रिपाठी, संजय मिश्रा, रवि किशन, अखिलेंद्र मिश्रा जैसे एक्टर्स थे। पंकज त्रिपाठी सर के साथ मैंने एक और फिल्म की, जिसका नाम ‘कागज’ था। इसे सतीश कौशिक ने डायरेक्ट और सलमान खान ने प्रोड्यूस किया था।

ओटीटी से मुझे अपना हुनर दिखाने का मौका मिला

साल 2019 के नवंबर में मैं आस्ट्रेलिया से मुंबई वापस लौटी। ये वक्त था, जब ओटीटी प्लेटफॉर्म अपने पीक पर था। फिर कोविड का दौर आया। मैं सोच ही रही थी कि कैसे फिर से शुरू करूं, तभी मेरे पास ओटीटी प्रोजेक्ट्स आने लगे। मैं भगवान की शुक्रगुजार हूं कि मेरी फिल्में नहीं चली, उसके बाद भी मुझे छोटे-मोटे रोल मिलते रहे। इंडस्ट्री के कई नामी डायरेक्टर-प्रोड्यूसर ने मेरा टैलेंट और क्षमता देख, मुझे अपने प्रोजेक्ट में काम दिया। मुझे साजिद नाडियाडवाला, विक्रम भट्ट जैसे लोगों के साथ काम करने का मौका मिला। काम के मामले में कोविड मेरे लिए सबसे बिजी समय रहा।

मैंने ‘अभय’, ‘मम भाई’ और ‘बिसात’ जैसी बैक टू बैक तीन सीरीज कीं। इसी साल एमएक्स प्लेयर पर मेरी सीरीज ‘प्यार का प्रोफेसर’ आई है। इस सीरीज को दर्शकों से बहुत प्यार मिल रहा है।

अब मेरा एम्बिशन है कि मैं इतनी अच्छी एक्टर बनूं कि लोग मुझे इग्नोर नहीं कर पाएं। मैं अपने काम और क्राफ्ट में इतनी अच्छी बनूं कि उन्हें इस बात से फर्क नहीं पड़े कि मैं स्टारकिड हूं या नहीं। उन्हें बस मेरा क्राफ्ट पसंद आए।

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