सरल-सहज शब्दों के जादूगर थे शैलेंद्र, ‘तीसरी कसम’, राज कपूर और ‘दर्दनाक’ मौत!

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सरल-सहज शब्दों के जादूगर थे शैलेंद्र, ‘तीसरी कसम’, राज कपूर और ‘दर्दनाक’ मौत!

सरल-सहज शब्दों के जादूगर थे शैलेंद्र, ‘तीसरी कसम’, राज कपूर और ‘दर्दनाक’ मौत!

‘दिल का हाल सुने दिल वाला, सीधी सी बात न मिर्च मसाला, कहके रहेगा कहने वाला, दिल का हाल सुने दिल वाला…’ और ‘सब कुछ सीखा हमने, न सीखी होशियारी, सच है दुनिया वालों, कि हम हैं अनाड़ी…’ कुछ ऐसे ही नगमे, जो गीतकार शैलेंद्र ने दिए और वे हमेशा-हमेशा के लिए अमर हो गए। शैलेंद्र का जन्म आज से 100 साल पहले 30 अगस्त को हुआ था। उन्होंने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को मोहब्बत भरे गाने दिए। हकीकत भरे गाने दिए। कभी उनके गाने एकदम रुमानी होते थे तो कभी रुला देते थे। लोगों के जहन में ऐसी अमिट छाप छोड़ी कि आज 100 साल बाद भी उनका जिक्र होता है। उनके गाने लबों पर होते हैं। आइये उनकी बर्थ एनिवर्सिरी पर जानते हैं उनसे जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से।

Shailendra का असली नाम शंकरदास केसरीलाल था। उनका साल 1923 में रावलपिंडी पंजाब (अब पाकिस्तान) में हुआ था। उनके पूर्वज बिहार के आरा जिले के थे। उन्होंने कम उम्र में मां और बहन को खो दिया था। उनके गांव में ज्यादातर लोग किसान थे, लेकिन उनके पिता काम खोजने के लिए रावलपिंडी के मिलिट्री हॉस्पिटल चले गए थे।

ऐसे हुई कविता लिखने की शुरुआत

मथुरा में कविताएं लिखते थे शैलेंद्र

शैलेंद्र ने मथुरा में अपनी जिंदगी के 16 साल बिताए थे। यहीं पर उनकी मुलाकात किशोरी रमण विद्यालय के इंद्र बहादुर खरे से हुई। दोनों ने कविता कंपोज करना शुरू किया। मथुरा रेलवे स्टेशन के पास तालाब के किनारे चट्टान पर बैठकर कविताएं लिखने लगे। बाद में फिल्मों के लिए शैलेंद्र बंबई (अब मुंबई) चले गए और इंद्र बहादुर खरे को राष्ट्रीय कविता से फेम प्रसिद्धि मिली।

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राज कपूर ने पहचान ली थी शैलेंद्र की प्रतिभा

शैलेंद्र ने साल 1947 में बॉम्बे के माटुंगा वर्कशॉप में भारतीय रेलवे में अप्रेंटिस के रूप में अपना करियर शुरू किया। इन दिनों उन्होंने कविता लिखना शुरू कर दिया। फिल्ममेकर राज कपूर की नजर शैलेंद्र पर तब पड़ी, जब एक मुशायरे में अपनी कविता ‘जलता है पंजाब’ पढ़ रहे थे। राज कपूर ने उनकी कविता को फिल्म ‘आग’ (1948) के लिए खरीदने का ऑफर दिया, लेकिन शैलेंद्र ने इनकार कर दिया। हालांकि, जब बीवी प्रेग्नेंट हुई तो पैसों की जरूरत पड़ने पर शैलेंद्र ने खुद राज कपूर से संपर्क किया। उस समय राज ‘बरसात’ (1949) फिल्म कर रहे थे और दो गाने अभी बचे हुए थे। 500 रुपये के लिए शैलेंद्र ने दो गाने ‘पतली कमर है’ और ‘बरसात में’ लिखा। म्यूजिक को शंकर-जयकिशन ने कंपोज किया था।

राज कपूर की फिल्मों के लिए लिखे गाने

Shailendra and raj kapoor

शैलेंद्र और राज कपूर

राज कपूर, शैलेंद्र और शंकर-जयकिशन की टीम ने कई हिट सॉन्ग प्रोड्यूस किए। 1951 में ‘आवार’ फिल्म के गाने ‘आवार हूं’ को शैलेंद्र ने लिखा और ये गाना इतना हिट हुआ कि हर तरफ छा गया। शैलेंद्र ने राज कपूर की फिल्मों के लिए कई गानों के लिरिक्स लिखे। इन फिल्मों में 1955 में रिलीज ‘श्री 420’ भी शामिल है। इस मूवी के सभी गाने हिट थे और आज भी लोग वो गाने गुनगुनाते हैं। ‘प्यार हुआ इकरार हुआ है, प्यार से फिर क्यों डरता है दिल…’ आज भी बॉलीवुड का एवरग्रीन क्लासिकल सॉन्ग है।

‘तीसरी कसम’ से खराब हो गई आर्थिक स्थिति

shailendra teesri kasam

शैलेंद्र की ‘तीसरी कसम’

हिंदी फिल्मों के अलावा शैलेंद्र ने कई भोजपुरी फिल्मों के लिए भी लिरिक्स लिखे। उन्होंने एक फिल्म भी प्रोड्यूस की है, जिसका नाम है ‘तीसरी कसम’ (1966)। इसे बासु भट्टाचार्या ने डायरेक्ट किया। राज कपूर और वहीदा रहमान लीड रोल में थे। ये बॉलीवुड की कल्ट क्लासिक मूवी है, जिसने बेस्ट मूवी का नेशनल अवॉर्ड जीता था। हालांकि, फिल्म बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप रही और शैलेंद्र की आर्थिक स्थिति खराब हो गई। ये भी कहते हैं कि इस फिल्म के अंत को लेकर उनके और राज कपूर के रिश्ते में खटास आए थी।

हॉलीवुड मूवी में शैलेंद्र का गाना

फेमस राइटर-डायरेक्टर गुलजार साहब ने कई दफा कहा है कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के बेस्ट लिरिक्स शैलेंद्र ने प्रोड्यूस किए। आप शायद ही जानते होंगे कि शैलेंद्र का गाना ‘मेरा जूता है जापानी…’ साल 2016 की हॉलीवुड मूवी Deadpool में फीचर हुआ।

शैलेंद्र की बीवी और बच्चे

शैलेंद्र ने शकुंतला से शादी की थी। दोनों के पांच बच्चे हुए। शैली, मनोज, मिसेज अमला मजूमदार, गोपा चंद्रा और दिनेश। शैली और गोपा अब इस दुनिया में नहीं हैं।

ज्यादा शराब पीने से हुई मौत?

‘तीसरी कसम’ के बाद शैलेंद्र टूट गए थे। वो ज्यादा शराब पीने लगे थे, जिस कारण लिवर सिरोसिस की वजह से उनकी महज 43 साल की उम्र में मौत हो गई थी। उनकी बेटी अमला ने एक बार बताया था कि करीबी लोगों ने बाबा (पापा) को धोखा दिया था, इस वजह से उन्हें बहुत ठेस पहुंची थीं।