सतना लोकसभा चुनावः एक रनिंग रजिस्टर में चल रहा कार्मिक प्रकोष्ठ, नाम काटने वालों की संख्या गोपनीय | Lok Sabha Elections: Number of people deleting names is confidential | News 4 Social

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सतना लोकसभा चुनावः एक रनिंग रजिस्टर में चल रहा कार्मिक प्रकोष्ठ, नाम काटने वालों की संख्या गोपनीय | Lok Sabha Elections: Number of people deleting names is confidential | News 4 Social


सतना लोकसभा चुनावः एक रनिंग रजिस्टर में चल रहा कार्मिक प्रकोष्ठ, नाम काटने वालों की संख्या गोपनीय | Lok Sabha Elections: Number of people deleting names is confidential | News 4 Social

बह रही है उल्टी गंगा किसी भी कार्मिक की ड्यूटी काटने की तय प्रक्रिया है और उस प्रक्रिया के तहत सेन्ट्रलाइज तरीके से कार्मिक प्रकोष्ठ ड्यूटी काटता है और उसके स्थान पर ड्यूटी लगाता है। लेकिन यहां इस बार ऐसा नहीं हो रहा है। प्रक्रिया के तहत अगर किसी को नाम कटवाना होता है तो उसे जिला निर्वाचन अधिकारी को आवेदन देना होता है। आवेदन मार्क होकर सुपरवाइजर के पास जाना चाहिए। जहां से कार्मिक प्रकोष्ठ में जाना चाहिए। कार्मिक प्रकोष्ठ इसे नोडल के पास प्रस्तुत करेगा। वहां से सहमति मिलने के बाद संबंधित कार्मिक का नाम काटने का आदेश जारी होगा और उसकी कॉपी एनआईसी को जाएगी इस कॉपी के आधार पर नाम काटा जाएगा। तथा एक कॉपी सूचनार्थ संबंधित प्रकोष्ठ को जाएगी जहां संबंधित की ड्यूटी है। इसके साथ ही कार्मिक प्रकोष्ठ से एक अन्य आदेश जारी करेगा जिसकी ड्यूटी काटे गए कार्मिक के स्थान पर लगाई जा रही है, जिसे जिला निर्वाचन अधिकारी के पास भेजा जाएगा। उनके हस्ताक्षर के बाद संबंधित कार्मिक सहित प्रकोष्ठ को कॉपी जाएगी। लेकिन यहां ऐसा नहीं हो रहा है। जो हो रहा है उसमें किसी प्रकोष्ठ के कार्मिक का आवेदन नाम काटने को आता है तो सुपरवाइजर द्वारा उसे संबंधित प्रकोष्ठ को सीधे भेज दिया जाता है। इसके बाद नया नाम प्रकोष्ठ से जोड़ दिया जाता है और पुराना नाम काट दिया जाता है। इसकी जानकारी कार्मिक प्रकोष्ठ को नहीं होती है। ऐसा मामला एमसीएमसी प्रकोष्ठ की कार्मिक रोशनी पटेल के साथ हुआ। इनका नाम कट गया और इनके स्थान पर अंजुला झा का नाम जुड़ गया फिर अंजुला का नाम कट कर दूसरा नाम आ गया। लेकिन इसकी सूचना कार्मिक प्रकोष्ठ के किसी रजिस्टर में दर्ज नहीं हुई न ही ड्यूटी काटने और लगाने के आदेश प्रकोष्ठ से जारी हुए।

हो रहे हैं खेल कोई सेन्ट्रलाइज व्यवस्था नहीं होने और दस्तावेज संधारण की उचित प्रक्रिया का पालन नहीं होने से यहां नाम काटने और जोड़ने का खेल भी समानान्तर में हो रहा है। कोई सही रिकार्ड संधारण नहीं होने से मनमानी तरीके से चुनाव ड्यूटी से लोगों के नाम भी कट रहे हैं। एनआईसी एक बार फिर से ऐसे तत्वों का केन्द्र बन गया है और यहां तैनात लोग पुरानी कमाई वाली व्यवस्था फिर लागू करने की जुगत में जुट गए हैं।

पूरी प्रक्रिया मेरी गहन निगरानी में हो रही है। वास्तविक वजहों के पर्याप्त परीक्षण के बाद नाम काटे जा रहे हैं। कुछ वजहों से नाम काटने की संख्या अभी सार्वजनिक नहीं की जा रही है। – संजना जैन, जिपं सीईओ एवं नोडल कार्मिक प्रकोष्ठ

ऐसा तो नहीं है। कोई भी डाटा गोपनीय नहीं है। यह जानकारी चाहे जाने पर बताई जानी चाहिए। ” – अनुराग वर्मा, कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी