सतनाः बिना बजट के ही बाणसागर परियोजना के मुआवजा प्रस्तावों को दे रहे स्वीकृति | Approving Bansagar compensation proposals without budget | News 4 Social h3>
2008 के प्रशासक ने नहीं किया लेकिन अब मिल गई स्वीकृति जानकारी के अनुसार रामनगर तहसील के ग्राम सनगा के तत्कालीन भू-स्वामी राजमणि गौतम की जमीन 1999 में डूब प्रभावित घोषित करते हुए उसका अवार्ड बनाया गया। इस जमीन का भुगतान भी हो गया। इसके बाद जब 2006 में इस बांध का लोकार्पण किया गया और अर्जित सभी जमीनें डूब में आ गईं जिसमें सनगा गांव की जमीन भी शामिल थी, इसके 2 साल बाद राजमणि गौतम को याद आया कि उनके एक मुसम्मी और अमरूद का बागान था। लिहाजा 2008 में उन्होंने तत्कालीन प्रशासक को मुआवजा भुगतान के लिए आवेदन दिया। बाणसागर परियोजना कार्यालय के अभिलेखों के अनुसार यह आवेदन वन विभाग को अग्रेसित किया गया जहां से रिपोर्ट भी आ गई। लेकिन उसके बाद भी प्रशासक ने इन बागानों के मुआवजे पर कोई निर्णय नहीं लिया। अचानक से 2023 में रीवा बाणसागर परियोजना कार्यालय हरकत में आता है और मुसम्मी और अमरूद के बागानों में लगे 974 पेड़ों के मुआवजा का प्रस्ताव 66.77 लाख बना कर प्रशासक की अनुमोदन स्वीकृति के लिए भेज देता है।
सतना में भी जारी रही अनदेखी प्रशासक के अनुमोदन के पहले संबंधित फाइल जिला भू-अर्जन अधिकारी सतना सुधीर बेक के पास आती है। सुधीर बेक बाणसागर परियोजना के भू-अर्जन अधिकारी द्वारा भेजी गई फाइल के अभिलेखों के आधार पर इस अवार्ड को स्वीकृति प्रदान कर देते हैं। अपनी स्वीकृति के हस्ताक्षर करने के साथ ही उन्होंने इसे वापस अनुमोदन के लिए प्रशासन के पास भेज दिया है। हालांकि इस दौरान उन्होंने अपने स्वीकृति पत्र में बजट की उपलब्धता का उल्लेख नहीं किया है। जबकि यह स्वीकृति तब की जानी चाहिए जब विभाग ने भू-अर्जन कार्यालय को बजट उपलब्ध कराया हो।
मूल फाइल मंगाई गई थी बाणसागर रीवा कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार सतना के भू-अर्जन अधिकारी ने पहले भेजे गए प्रस्ताव को सीधे हस्ताक्षरित नहीं किया था। प्रकरण की विस्तृत जानकारी के लिए उन्होंने रीवा कार्यालय से इस प्रकरण की मूल फाइल मंगाई थी। इसके बाद उन्होंने जनवरी महीने में अपनी स्वीकृति दी थी।
मुझे 2008 के आवेदन की जानकारी नहीं इस मामले में सतना भू-अर्जन अधिकारी सुधीर बेक ने कहा कि उनके संज्ञान में यह तथ्य नहीं है कि 2008 में भी आवेदन किया गया था और तत्कालीन प्रशासक ने उसे स्वीकृत नहीं किया था। ये देखना बाणसागर परियोजना के भू-अर्जन अधिकारी का काम है। हमारे पास वर्तमान नस्ती आई थी उसके अभिलेखों के अनुसार स्वीकृति देकर अनुमोदन के लिए आगे बढ़ाया है। जहां तक बजट की बात है तो उसकी मांग राज्य शासन से की गई है, अभी बजट की प्रत्याशा में फाइल आगे बढ़ाई गई है।
2013 के बाद की स्थिति अलग इस मामले में सेवा निवृत्त प्रशासक बाणसागर परियोजना बीबी श्रीवास्तव से बात की गई तो उन्होंने बताया कि प्रकरण प्रचलित था तो उसे आगे बढ़ाया जा सकता है। लेकिन 2013 नए अधिनियम के बाद की क्या स्थिति है इसकी जानकारी नहीं है। हमारे समय के सभी प्रकरण निराकृत हो चुके थे। अब पूरक अवार्ड तैयार करने का जिम्मा बाणसागर परियोजना के अधिकारियों का काम है। बिना नस्ती देखे अब कुछ नहीं कहा जा सकता है। बिना बजट के भुगतान नहीं हो सकता है।
2008 के प्रशासक ने नहीं किया लेकिन अब मिल गई स्वीकृति जानकारी के अनुसार रामनगर तहसील के ग्राम सनगा के तत्कालीन भू-स्वामी राजमणि गौतम की जमीन 1999 में डूब प्रभावित घोषित करते हुए उसका अवार्ड बनाया गया। इस जमीन का भुगतान भी हो गया। इसके बाद जब 2006 में इस बांध का लोकार्पण किया गया और अर्जित सभी जमीनें डूब में आ गईं जिसमें सनगा गांव की जमीन भी शामिल थी, इसके 2 साल बाद राजमणि गौतम को याद आया कि उनके एक मुसम्मी और अमरूद का बागान था। लिहाजा 2008 में उन्होंने तत्कालीन प्रशासक को मुआवजा भुगतान के लिए आवेदन दिया। बाणसागर परियोजना कार्यालय के अभिलेखों के अनुसार यह आवेदन वन विभाग को अग्रेसित किया गया जहां से रिपोर्ट भी आ गई। लेकिन उसके बाद भी प्रशासक ने इन बागानों के मुआवजे पर कोई निर्णय नहीं लिया। अचानक से 2023 में रीवा बाणसागर परियोजना कार्यालय हरकत में आता है और मुसम्मी और अमरूद के बागानों में लगे 974 पेड़ों के मुआवजा का प्रस्ताव 66.77 लाख बना कर प्रशासक की अनुमोदन स्वीकृति के लिए भेज देता है।
सतना में भी जारी रही अनदेखी प्रशासक के अनुमोदन के पहले संबंधित फाइल जिला भू-अर्जन अधिकारी सतना सुधीर बेक के पास आती है। सुधीर बेक बाणसागर परियोजना के भू-अर्जन अधिकारी द्वारा भेजी गई फाइल के अभिलेखों के आधार पर इस अवार्ड को स्वीकृति प्रदान कर देते हैं। अपनी स्वीकृति के हस्ताक्षर करने के साथ ही उन्होंने इसे वापस अनुमोदन के लिए प्रशासन के पास भेज दिया है। हालांकि इस दौरान उन्होंने अपने स्वीकृति पत्र में बजट की उपलब्धता का उल्लेख नहीं किया है। जबकि यह स्वीकृति तब की जानी चाहिए जब विभाग ने भू-अर्जन कार्यालय को बजट उपलब्ध कराया हो।
मूल फाइल मंगाई गई थी बाणसागर रीवा कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार सतना के भू-अर्जन अधिकारी ने पहले भेजे गए प्रस्ताव को सीधे हस्ताक्षरित नहीं किया था। प्रकरण की विस्तृत जानकारी के लिए उन्होंने रीवा कार्यालय से इस प्रकरण की मूल फाइल मंगाई थी। इसके बाद उन्होंने जनवरी महीने में अपनी स्वीकृति दी थी।
मुझे 2008 के आवेदन की जानकारी नहीं इस मामले में सतना भू-अर्जन अधिकारी सुधीर बेक ने कहा कि उनके संज्ञान में यह तथ्य नहीं है कि 2008 में भी आवेदन किया गया था और तत्कालीन प्रशासक ने उसे स्वीकृत नहीं किया था। ये देखना बाणसागर परियोजना के भू-अर्जन अधिकारी का काम है। हमारे पास वर्तमान नस्ती आई थी उसके अभिलेखों के अनुसार स्वीकृति देकर अनुमोदन के लिए आगे बढ़ाया है। जहां तक बजट की बात है तो उसकी मांग राज्य शासन से की गई है, अभी बजट की प्रत्याशा में फाइल आगे बढ़ाई गई है।
2013 के बाद की स्थिति अलग इस मामले में सेवा निवृत्त प्रशासक बाणसागर परियोजना बीबी श्रीवास्तव से बात की गई तो उन्होंने बताया कि प्रकरण प्रचलित था तो उसे आगे बढ़ाया जा सकता है। लेकिन 2013 नए अधिनियम के बाद की क्या स्थिति है इसकी जानकारी नहीं है। हमारे समय के सभी प्रकरण निराकृत हो चुके थे। अब पूरक अवार्ड तैयार करने का जिम्मा बाणसागर परियोजना के अधिकारियों का काम है। बिना नस्ती देखे अब कुछ नहीं कहा जा सकता है। बिना बजट के भुगतान नहीं हो सकता है।