सड़क हादसे के मरीजों को मिलेगा समय पर इलाज: धार में ट्रामा एंड इमरजेंसी केयर व्यवस्था लागू; रेड, यलो और ग्रीन जोन में बंटा वार्ड – Dhar News

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सड़क हादसे के मरीजों को मिलेगा समय पर इलाज:  धार में ट्रामा एंड इमरजेंसी केयर व्यवस्था लागू; रेड, यलो और ग्रीन जोन में बंटा वार्ड – Dhar News

सड़क हादसे के मरीजों को मिलेगा समय पर इलाज: धार में ट्रामा एंड इमरजेंसी केयर व्यवस्था लागू; रेड, यलो और ग्रीन जोन में बंटा वार्ड – Dhar News

धार में सड़क दुर्घटनाओं में घायल मरीजों को समय पर इलाज मिले, इसके लिए जिला अस्पताल में नई व्यवस्था लागू की गई है। अब ट्रॉमा एंड इमरजेंसी केयर सिस्टम के तहत मरीजों का इलाज किया जाएगा। खास बात यह है कि इमरजेंसी वार्ड को तीन जोन – रेड, यलो और ग्रीन में

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मरीजों की बेहतर देखभाल के लिए अतिरिक्त बेड की व्यवस्था की गई है। अस्पताल के तीन डॉक्टरों को विशेष ट्रेनिंग दी गई है। ये डॉक्टर अब अस्पताल के अन्य चिकित्सकों को प्रशिक्षित करेंगे। प्रशिक्षण में डॉक्टरों को समय पर उपचार के महत्व और तरीकों की जानकारी दी जाएगी।

गंभीर मरीजों को मिलेगा इलाज

नई व्यवस्था के अनुसार, रेड जोन में बेहद गंभीर, यलो जोन में बात करने की स्थिति वाले घायल, जबकि ग्रीन जोन में सामान्य रूप से घायल और स्थिर मरीजों को रखा जाएगा। इससे न सिर्फ इलाज की प्रक्रिया तेज होगी बल्कि नॉन-कम्युनिकेशन की समस्या भी कम होगी।

एक साथ 10-15 मरीज आने पर भी मिलेगी राहत

धार सहित आसपास के आदिवासी बाहुल्य इलाकों से रोजाना 200 से 300 मरीज जिला अस्पताल पहुंचते हैं। इनमें से करीब 20% मरीज सड़क हादसों के होते हैं। कई बार एक साथ 10 से 15 मरीज आ जाते हैं, जिससे स्थिति बेकाबू हो जाती है। इसी को ध्यान में रखते हुए अस्पताल प्रबंधन ने तीन डॉक्टरों को विशेष ट्रेनिंग दिलाई है, जो अब अन्य डॉक्टरों को भी प्रशिक्षित करेंगे।

इमरजेंसी में बढ़ाई गई सुविधाएं

नई व्यवस्था के तहत अतिरिक्त बेड्स की व्यवस्था के साथ-साथ इमरजेंसी वार्ड में 6 से 8 आधुनिक मशीनें भी लगाई गई हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • सक्शन मशीन
  • डिफीब्रीलेटर
  • ईसीजी मशीन
  • कार्डियक मॉनीटर
  • ऑक्सीजन कांसन्ट्रेटर
  • पोर्टेबल वेंटीलेटर

डॉक्टरों को मिला खास प्रशिक्षण

सिविल सर्जन, डॉ एम.के. बर्मन ने बताया –“ट्रॉमा एंड इमरजेंसी केयर के तहत तीन डॉक्टरों को विशेष ट्रेनिंग दी गई है। अब एक्सीडेंट केसों में मरीजों को समय पर इलाज मिलेगा। डॉक्टरों को यह सिखाया गया है कि दुर्घटना के बाद अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों को पहले सेग्रिगेट करें और फिर उनकी गंभीरता के अनुसार जोन में बांटें।

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