सड़क पर ट्रैफिक चले, धरने-प्रदर्शन-मैराथन रुके | Do not hold protests- marches, marathons on the main roads | Patrika News

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सड़क पर ट्रैफिक चले, धरने-प्रदर्शन-मैराथन रुके | Do not hold protests- marches, marathons on the main roads | Patrika News

सड़क पर ट्रैफिक चले, धरने-प्रदर्शन-मैराथन रुके | Do not hold protests- marches, marathons on the main roads | Patrika News

Issue : जयपुर के मुख्य मार्गों पर आए दिन बैरिकेड्स लगा रोकी जा रहीं राहें, समस्या से जूझ रहे लोग, पुलिस-प्रशासन के पास भी नहीं कोई समाधान

 

जयपुर

Published: March 14, 2022 02:46:25 pm

घर से निकलते ही कब बैरिकेड्स आपका रास्ता रोक दें कहा नही जा सकता। कब डायवर्जन या संकेतक वाहन का रूट बदल दे बता पाना मुश्किल है। पैदल चलने वाले गंतव्य तक सहजता से पहुंच पाएंगे यह भी कहा नहीं जा सकता। कब, कौन सी रैली राह में अवरोधक बनकर खड़ी हो जाए कल्पना करना भी आसान नहीं। यही हाल आंदोलनकारियों-प्रदर्शनकारियों का है। बस झंडे-बैनर लेकर सड़क पर उतरने के बाद तो रुकने का काम वाहन चालकों, राहगीरों का है। वे तो चलते जाएंगे सड़क जो उनकी है। कर्मचारी कभी विरोध जताने तो कभी सरकार के सुर से सुर मिलाने रोड पर उतरते हैं। उधर, नेता चुनाव में मिली जीत की खुशी सड़क पर ही मनाते हैं तो कभी पैदल मार्च निकाल दांडी यात्रा के इतिहास से रूबरू करवाते हैं। रही-सही कसर जब-तब मैराथन वाले धावक पूरी कर जाते हैं। उन्हें सुबह न ऑफिस की जल्दी, न स्कूल देर से पहुंचने का डर। जो सड़क पर फंस जाए, मंजिल तक नहीं पहुंच पाएं उनसे वे बेखबर हैं।

फाइल फोटो

राजधानी में पूरे साल यही हाल सच में राजधानी जयपुर की सड़कों का यही हाल है। खास तौर पर पिछले कुछ दिन से तो यही सब चल रहा है। हैरानी की बात यह है कि शहर की व्यस्त कही जाने वालीं सड़कों पर ही इस तरह की गतिविधियों से आवाजाही में अवरोध खड़े किए जा रहे हैं। जिन लोगों पर शहर की राह आसान करने की जिम्मेदारी है वो ही सड़क पर बाधा लेकर खड़े हैं। आमजन को किन मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा इसका उनको जरा भी इल्म नहीं। सुबह के वक्त किसी की परीक्षा हो सकती है। किसी का इंटरव्यू तो किसी के ऑफिस समय पर नहीं पहुंचने के कारण दंडात्मक कार्रवाई तक हो सकती है। अस्पताल समय पर नहीं पहुंचने पर मरीज की जान पर बन आ सकती है। लेकिन सड़क पर होने वाले ये आयोजन बदस्तूर जारी हैं।

खाकी की एक ही रट-आगे बढ़ो, आगे बढ़ो कई बार तो रातोंरात ही जेएलएन मार्ग, बजाज नगर, टोंक रोड जैसे व्यस्त मार्गों पर बैरिकेड्स लगा पुलिस मोर्चा संभाल लेती है। ऐसे में जब सुबह-सुबह लोग काम पर निकलते हैं तो मुख्य मार्गों पर पुलिस वालों को खड़ा देखते ही उनका माथा ठनक जाता है। खाकी वर्दीधारी केवल ट्रैफिक आगे बढ़ाने का संकेत करते रहते हैं। किस को कौन सा रास्ता चुनना चाहिए इससे उन्हें कोई सरोकार नहीं। आगे जाओ, आगे जाओ की रट के आगे उन्हें पीछे कुछ नहीं दिखता। न किसी का समय, न बर्बाद होता गाडिय़ों का ईंधन। शहर में इस तरह की गतिविधियां अमूमन पूरे साल ही चलती रहती हैं। कई मर्तबा तो सरकारी महकमे भी सड़कों को उधेड़ छोड़ जाते हैं। महीनों तक बड़े-बड़े गड्ढों, कटाव की सुध नहीं ली जाती। प्रोजेक्ट की आड़ में ऐसा खेल खेला जाता है कि लोगों का आना-जाना ही बंद हो जाता है। डायवर्जन का बोर्ड लगा जिम्मेदार सो जाते हैं। फिर चाहे लोगों की नींद उड़ जाए उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।

समस्या नासूर, पर निजात जरूरी नासूर बनती इस समस्या से निजात जरूरी है। स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि कई पहलुओं को ध्यान में रखकर ही आयोजन के लिए स्थान, समय का चयन किया जाए। जहां तक संभव हो व्यस्त मार्गों को इनसे अलग रखा जाए। खेल स्टेडियम, बाहरी इलाके या तयशुदा कैंपस में ही आयोजन हों। ऐसे मामलों में कोर्ट को भी दखल देना चाहिए ताकि सड़क का उपयोग केवल आवाजाही के लिए ही हो सके।

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