सचिन शर्मा की मौत के मामले में आया नया मोड़, गहलोत ने सीएम भजनलाल शर्मा से कही ये बात… | Gehlot saddened by Sachin Sharma case | News 4 Social h3>
एसएमएस हॉस्पिटल में सचिन के परिजनों व समाज के लोगों की ओर से विरोध प्रदर्शन किया गया था। इस दौरान परिजनों की ओर से आरोपी लापरवाही बरतने वाले मेडिकल स्टॉफ पर कार्रवाई की मांग की गई थी। साथ ही एक करोड रुपए की मुआवजा राशि देने की मांग की गई थी। और पीड़ित परिवार में एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी देने की मांग की गई थी। उस समय अधिकारियों ने कहा था कि इस केस को स्पेशल केस बनाकर सीएम के पास भेजा जाएगा। इसके बाद मुआवजा राशि व अन्य सुविधा मिलेगी।
सचिन के परिजनों की ओर से आश्वस्त होने पर उसका पोस्टमार्टम कराया गया। उसके बाद सचिन के शव को गांव में ले जाकर अंतिम संस्कार किया गया। लेकिन इसके बाद जब सरकार की तरफ से परिजनों को कोई भी सहायता नहीं मिली तो परिजनों की ओर से सरकार के खिलाफ नाराजगी जाहिर किए गई। हालिया परिजन इस मामले में नाराजगी को लेकर दौसा में पानी की टंकी पर भी चढ़े थे। इसके बाद प्रशासनिक अधिकारियों की समझाइस से वापस टंकी से नीचे उतर आए।
सीएम भजनलाल शर्मा की ओर से सोमवार को कहा गया कि सचिन शर्मा के परिजनों को 5 लाख रुपए की सहायता राशि देकर उन्हें संबल प्रदान करने में योगदान किया गया है। सीएम का यह बयान आने के बाद कांग्रेस में उन्हें निशाने पर ले लिया।
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि सचिन के परिवार को 5 लख रुपए के मुआवजा राशि देना ना काफी है। गहलोत ने कहा कि 50 लाख रुपए मुआवजा राशि देनी चाहिए।
गहलोत ने कहा कि इस मामले में राज्य सरकार ने बेहद असंवेदनशील रवैया अपनाया है। आर्थिक रूप से बेहद कमजोर परिवार की आजीविका कमाने वाले सचिन शर्मा की मृत्यु के 9 दिन बाद परिजनों को केवल 5 लाख रुपये की मामूली सहायता देना नाकाफी है। इस सहायता के लिए भी परिजनों को प्रदर्शन करने पर मजबूर होना पड़ा। मेरी सरकार से मांग है कि सरकारी लापरवाही के इस मामले को विशेष प्रकृति का मानकर परिवार को 50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता एवं एक परिजन को रोजगार दिया जाए।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भी भाजपा सरकार पर निशाना साधा है। डोटासरा ने कहा है कि भाजपा सरकार ने पांच लाख देकर संवेदनहीनता दर्शाई है। कम से कम पचास लाख मुआवजा व सरकारी नौकरी देनी चाहिए। क्योंकि अपने परिवार में इकलौता कमाने वाला सिर्फ सचिन था। अब परिवार की हालत खराब है।
राजस्थान की और समाचार देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Rajasthan News
एसएमएस हॉस्पिटल में सचिन के परिजनों व समाज के लोगों की ओर से विरोध प्रदर्शन किया गया था। इस दौरान परिजनों की ओर से आरोपी लापरवाही बरतने वाले मेडिकल स्टॉफ पर कार्रवाई की मांग की गई थी। साथ ही एक करोड रुपए की मुआवजा राशि देने की मांग की गई थी। और पीड़ित परिवार में एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी देने की मांग की गई थी। उस समय अधिकारियों ने कहा था कि इस केस को स्पेशल केस बनाकर सीएम के पास भेजा जाएगा। इसके बाद मुआवजा राशि व अन्य सुविधा मिलेगी।
सचिन के परिजनों की ओर से आश्वस्त होने पर उसका पोस्टमार्टम कराया गया। उसके बाद सचिन के शव को गांव में ले जाकर अंतिम संस्कार किया गया। लेकिन इसके बाद जब सरकार की तरफ से परिजनों को कोई भी सहायता नहीं मिली तो परिजनों की ओर से सरकार के खिलाफ नाराजगी जाहिर किए गई। हालिया परिजन इस मामले में नाराजगी को लेकर दौसा में पानी की टंकी पर भी चढ़े थे। इसके बाद प्रशासनिक अधिकारियों की समझाइस से वापस टंकी से नीचे उतर आए।
सीएम भजनलाल शर्मा की ओर से सोमवार को कहा गया कि सचिन शर्मा के परिजनों को 5 लाख रुपए की सहायता राशि देकर उन्हें संबल प्रदान करने में योगदान किया गया है। सीएम का यह बयान आने के बाद कांग्रेस में उन्हें निशाने पर ले लिया।
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि सचिन के परिवार को 5 लख रुपए के मुआवजा राशि देना ना काफी है। गहलोत ने कहा कि 50 लाख रुपए मुआवजा राशि देनी चाहिए।
गहलोत ने कहा कि इस मामले में राज्य सरकार ने बेहद असंवेदनशील रवैया अपनाया है। आर्थिक रूप से बेहद कमजोर परिवार की आजीविका कमाने वाले सचिन शर्मा की मृत्यु के 9 दिन बाद परिजनों को केवल 5 लाख रुपये की मामूली सहायता देना नाकाफी है। इस सहायता के लिए भी परिजनों को प्रदर्शन करने पर मजबूर होना पड़ा। मेरी सरकार से मांग है कि सरकारी लापरवाही के इस मामले को विशेष प्रकृति का मानकर परिवार को 50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता एवं एक परिजन को रोजगार दिया जाए।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भी भाजपा सरकार पर निशाना साधा है। डोटासरा ने कहा है कि भाजपा सरकार ने पांच लाख देकर संवेदनहीनता दर्शाई है। कम से कम पचास लाख मुआवजा व सरकारी नौकरी देनी चाहिए। क्योंकि अपने परिवार में इकलौता कमाने वाला सिर्फ सचिन था। अब परिवार की हालत खराब है।