संस्कृत विजयताम के जयघोष से गूंज उठा विवि h3>
दरभंगा। संस्कृत दिवस के अवसर पर कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय संस्कृत विजयताम के जयघोष से गूंज उठा। इस अवसर पर विश्वविद्यालय की ओर से सुबह में प्रभातफेरी निकाली गई। उसके बाद विश्वविद्यालय मुख्यालय में उपाकर्म सह पूजन-हवन आदि कार्यक्रम आयोजित किए गए। सावन पूर्णिमा के अवसर पर हर वर्ष की तरह इस बार भी संस्कृत विश्वविद्यालय में धूमधाम से संस्कृत दिवस मनाया गया। प्रात: सत्र में विवि के शिक्षक व छात्र-छात्राओं ने प्राच्य परंपरा के अनुसार संस्कृत भाषा एवं विद्या के प्रचार-प्रसार एवं संवर्धन के लिए प्रभातफेरी निकाली। छात्र-छात्राओं ने संस्कृत को कंप्यूटर एवं विज्ञान के साथ जोड़ते हुए समाज एवं राष्ट्र के लिए संस्कृत को उपयोगी बताया तथा अपने नारों से संस्कृत को सृष्टि की मूलभाषा बताते हुए जन-जन में संस्कृत के प्रति उत्साह का प्रदर्शन किया।
डॉ. संतोष पासवान के संयोजन में बाघ मोड़ से शुरू शोभायात्रा श्यामा मंदिर समेत अन्य मार्गों से गुजरते हुए पुन: विश्वविद्यालय परिसर पहुंच कर संपन्न हुई। शोभायात्रा में शामिल संस्कृत प्रेमी डॉ. यदुवीर स्वरूप शास्त्री एवं डॉ. साधना शर्मा के नेतृत्व में जयकारे लगा रहे थे। स्माकं भाषा-संस्कृत भाषा, बदतु बदतु संस्कृत बदतु, पठतु पठतु संस्कृत पठतु बार बार दोहराए जा रहे थे। शोभायात्रा में डॉ. प्रियंका तिवारी, डॉ. मुकेश कुमार निराला, डॉ. धीरज कुमार पांडेय, डॉ. प्रमोद कुमार मिश्र आदि थे।
संस्कृत विवि के स्नातकोत्तर विभाग परिसर में बने यज्ञ स्थल पर पूरे विधि-विधान से पूजा पाठ व हवन आदि के साथ उपाकर्म क्रिया सम्पादित की गई। कुलपति प्रो. लक्ष्मी निवास पांडेय स्वयं मुख्य यजमान थे और पंडित की भूमिका में वेद विभाग के डॉ. ध्रुव मिश्र थे। वेद विभागाध्यक्ष डॉ. विनय कुमार मिश्र, डॉ. प्रमोद कुमार मिश्र समेत कई जानकारों ने वैदिक कार्यों में सहयोग किया।
मौके पर प्रतिकुलपति प्रो. सिद्धार्थ शंकर सिंह, प्रो. लक्ष्मीनाथ झा, डीन डॉ. शिवलोचन झा, प्रो. दिलीप कुमार झा, प्रो. पुरेन्द्र वारीक, डॉ. कुणाल कुमार झा, प्रो. दयानाथ झा, डॉ. उमेश झा, डॉ. घनश्याम मिश्र, डॉ. शम्भू शरण तिवारी, डॉ. यदुवीर स्वरुप शास्त्री, डॉ. धीरज कुमार पांडेय, डॉ. साधना शर्मा, पीआरओ निशिकांत समेत विभिन्न विभागों के शिक्षक, कर्मी व छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।
जीवन शोधन की महत्वपूर्ण प्रक्रिया उपाकर्म : कुलपति प्रो. पांडेय
यजमान बने कुलपति प्रो. पांडेय ने कहा कि श्रावणी उपाकर्म जीवन शोधन की एक महत्वपूर्ण वैदिक प्रक्रिया है। इसमें पाप से बचने का व्रत लिया जाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में श्रावणी पूर्णिमा के दिन ही उपाकर्म और उत्सर्ग दोनों विधान कर दिए जाते हैं। प्रतीक रूप में किया जाने वाला यह विधान हमें स्वाध्याय और सुसंस्कारों के विकास के लिए प्रेरित करता है। यह जीवन शोधन की एक अति महत्वपूर्ण मनोवैज्ञानिक-आध्यात्मिक प्रक्रिया है। उसे पूरी गम्भीरता के साथ किया जाना चाहिए।
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दरभंगा। संस्कृत दिवस के अवसर पर कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय संस्कृत विजयताम के जयघोष से गूंज उठा। इस अवसर पर विश्वविद्यालय की ओर से सुबह में प्रभातफेरी निकाली गई। उसके बाद विश्वविद्यालय मुख्यालय में उपाकर्म सह पूजन-हवन आदि कार्यक्रम आयोजित किए गए। सावन पूर्णिमा के अवसर पर हर वर्ष की तरह इस बार भी संस्कृत विश्वविद्यालय में धूमधाम से संस्कृत दिवस मनाया गया। प्रात: सत्र में विवि के शिक्षक व छात्र-छात्राओं ने प्राच्य परंपरा के अनुसार संस्कृत भाषा एवं विद्या के प्रचार-प्रसार एवं संवर्धन के लिए प्रभातफेरी निकाली। छात्र-छात्राओं ने संस्कृत को कंप्यूटर एवं विज्ञान के साथ जोड़ते हुए समाज एवं राष्ट्र के लिए संस्कृत को उपयोगी बताया तथा अपने नारों से संस्कृत को सृष्टि की मूलभाषा बताते हुए जन-जन में संस्कृत के प्रति उत्साह का प्रदर्शन किया।
डॉ. संतोष पासवान के संयोजन में बाघ मोड़ से शुरू शोभायात्रा श्यामा मंदिर समेत अन्य मार्गों से गुजरते हुए पुन: विश्वविद्यालय परिसर पहुंच कर संपन्न हुई। शोभायात्रा में शामिल संस्कृत प्रेमी डॉ. यदुवीर स्वरूप शास्त्री एवं डॉ. साधना शर्मा के नेतृत्व में जयकारे लगा रहे थे। स्माकं भाषा-संस्कृत भाषा, बदतु बदतु संस्कृत बदतु, पठतु पठतु संस्कृत पठतु बार बार दोहराए जा रहे थे। शोभायात्रा में डॉ. प्रियंका तिवारी, डॉ. मुकेश कुमार निराला, डॉ. धीरज कुमार पांडेय, डॉ. प्रमोद कुमार मिश्र आदि थे।
संस्कृत विवि के स्नातकोत्तर विभाग परिसर में बने यज्ञ स्थल पर पूरे विधि-विधान से पूजा पाठ व हवन आदि के साथ उपाकर्म क्रिया सम्पादित की गई। कुलपति प्रो. लक्ष्मी निवास पांडेय स्वयं मुख्य यजमान थे और पंडित की भूमिका में वेद विभाग के डॉ. ध्रुव मिश्र थे। वेद विभागाध्यक्ष डॉ. विनय कुमार मिश्र, डॉ. प्रमोद कुमार मिश्र समेत कई जानकारों ने वैदिक कार्यों में सहयोग किया।
मौके पर प्रतिकुलपति प्रो. सिद्धार्थ शंकर सिंह, प्रो. लक्ष्मीनाथ झा, डीन डॉ. शिवलोचन झा, प्रो. दिलीप कुमार झा, प्रो. पुरेन्द्र वारीक, डॉ. कुणाल कुमार झा, प्रो. दयानाथ झा, डॉ. उमेश झा, डॉ. घनश्याम मिश्र, डॉ. शम्भू शरण तिवारी, डॉ. यदुवीर स्वरुप शास्त्री, डॉ. धीरज कुमार पांडेय, डॉ. साधना शर्मा, पीआरओ निशिकांत समेत विभिन्न विभागों के शिक्षक, कर्मी व छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।
जीवन शोधन की महत्वपूर्ण प्रक्रिया उपाकर्म : कुलपति प्रो. पांडेय
यजमान बने कुलपति प्रो. पांडेय ने कहा कि श्रावणी उपाकर्म जीवन शोधन की एक महत्वपूर्ण वैदिक प्रक्रिया है। इसमें पाप से बचने का व्रत लिया जाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में श्रावणी पूर्णिमा के दिन ही उपाकर्म और उत्सर्ग दोनों विधान कर दिए जाते हैं। प्रतीक रूप में किया जाने वाला यह विधान हमें स्वाध्याय और सुसंस्कारों के विकास के लिए प्रेरित करता है। यह जीवन शोधन की एक अति महत्वपूर्ण मनोवैज्ञानिक-आध्यात्मिक प्रक्रिया है। उसे पूरी गम्भीरता के साथ किया जाना चाहिए।